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दमोह कोर्ट ने हत्यारे बुजुर्ग को पुत्रो एवं नाती सहित आजीवन कारावास की सजा सुनाई.. सिर्फ विवेचना की कमी दोषमुक्ति का आधार नहीं– न्यायाधीश

हत्यारे बुजुर्ग को पुत्रो व नाती सहित आजीवन कारावास

दमोह। न्यायाधीश संतोष कुमार गुप्ता द्वारा हत्या की एक मामले में निर्णय सुनाते हुए आरोपी बुजुर्ग को उसके पुत्रो एवं नाती सहित चारो को हत्या करने का दोषी मानते हुए कठोर सश्रम आजीवन जेल में रखने सहित कुल छह हजार रुपए के जुर्माना की सजा से दण्डित किया। मामले में म.प्र.शासन की ओर से पैरवी शासकीय अभिभाषक राजीव बद्री सिंह ठाकुर द्वारा की गई। अभियोजन अनुसार मामला इस प्रकार है।

थाना पथरिया के अंतर्गत आने वाले ग्राम कोटरा निवासी आरोपी चंद्रभान कुर्मी पिता चैने कुर्मी (70), परसू उर्फ रामप्रसाद पिता चंद्रभान कुर्मी(47),कमलेश पिता चंद्रभान कुर्मी(43) एवं अभिषेक पिता परसू उर्फ रामप्रसाद कुर्मी (19) और मृतक मुकेश कुर्मी एक ही गांव के निवासी और परिवार के है। दिनांक 19 जनवरी 2022 को शाम करीब 5 बजे मुकेश कुर्मी अपनी मोटरसाइकिल से पथरिया से घर आ रहा था, तभी रास्ते में बेहर वाले कुआं के पास आरोपी कमलेश, अभिषेक, परसु एवं चंद्रभान ने मुकेश का रास्ता रोककर उसे गालियां दी एवं जान से मारने की नीयत से कुल्हाड़ी और लाठी से मुकेश के साथ मारपीट कर दी। बीच बचाव करने मुकेश कर्मी की पत्नी राधा उर्फ लक्ष्मी आई तो आरोपियों ने उसके साथ भी मारपीट कर दी। मारपीट करके आरोपीगण वहां से भाग गए। घटनास्थल से मुकेश के माता-पिता जुगल कुर्मी एवं उमारानी, मुकेश और लक्ष्मी को इलाज के लिए अस्पताल ले गए। अस्पताल में इलाज के दौरान मुकेश की मृत्यु हो गई।घटना की रिपोर्ट पथरिया थाने में मृतक के पिता ने लिखाई। पुलिस ने मामले में आरोपियों को गिरफ्तार कर चालान न्यायालय में पेश किया। मामले में अभियोजन द्वारा प्रकरण को साबित करने के लिए घटनास्थल पर मौजूद साक्षियो सहित पुलिसकर्मियों के बयान कराए। मृतक के माता पिता और पत्नी के अलावा घटनास्थल पर मौजूद साक्षी अपने पुलिस को दिए बयान से मुकर गए। तर्क के दौरान आरोपिओ के अधिवक्ता ने न्यायालय में व्यक्त किया कि मृतक के माता पिता और पत्नी के अलावा किसी ने प्रकरण का समर्थन नहीं किया है और उनके कथनों में भी विरोधाभास है, साथ ही रोजनामचा सान्हा का पेश न करना, मौका नक्शा में घटना का स्थान और गवाहों को स्थिति दर्शित नही होने सहित प्रकरण की विवेचना में भी काफी कमी है।

 न्यायालय ने निर्णय में उल्लेख किया कि विवेचना की कमी के आधार पर दोषमुक्त करना विवेचक को प्रकरण का निराकरण का अधिकार देने के समान होगा, प्रकरण को साबित करने साक्षियो की संख्या नही एक साक्षी ही पर्याप्त है,साक्षीगण के कथनों में लोप या विरोधाभास अभियोजन के प्रकरण को जड़ से प्रभावित नहीं करता। न्यायालय ने अभियोजन द्वारा प्रस्तुत साक्षी एवं तर्कों से सहमत होकर आरोपियों को कठोरआजीवन कारावास भुगताए जाने की सजा से दंडित किया।

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