दिनदहाड़े काटे जा रहे प्लांटेशन के अंदर लगे पेड़
दमोह। एक तरफ मप्र शासन के आह्वान पर एक पेड़ मां के नाम अभियान के तहत विभिन्न संगठन पर्यावरण प्रेमी जहां पेड़ पौधे लगाकर पर्यावरण को बचाने की अलख जगा रहे हैं वहीं दूसरी ओर वन माफिया हरे भरे जंगल को साफ करने में जुटे हुए हैं वनों की सुरक्षा व देखभाल के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं, प्लांटेशनों का निर्माण कार्य किया जा रहा है जिसमें पौधों को लगाया जा रहा है और उनके संरक्षण के लिए वनरक्षक व चौकीदारों को भी रखा जा रहा है। वनों के संरक्षण हेतु कई योजनाओं को चलाया जा रहा है।
सागर
जबलपुर स्टेट हाईवे 15 पर अब वन माफिया लगातार हरे भरे पेड़ों की कटाई
करने में लगे हुए हैं आए दिन झलौन तेन्दूखेड़ा मार्ग व हाईवे किनारे लगे
वर्षों पुराने सागौन सहित अन्य प्रजातियों के कीमती पेड़ों पर रात के समय
आरा मशीन चलाई जा रही है गौर करने वाली बात ये है कि इस बारे में संबंधित
विभाग के अधिकारी कर्मचारी अंजान है ताजा मामला रविवार की सुबह देखने को
मिला जब मार्निंग वॉक करने जाने वाले पर्यावरण प्रेमियों ने एक प्लांटेशन
के अंदर एक दर्जन से अधिक हरे भरे पेड़ों को कटा हुआ देखा और वन विभाग की
गश्ती और सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े किए और वन को को कोसते हुए नजर आए..
दरअसल तेन्दूखेड़ा वन परिक्षेत्र के अंतर्गत झलौन मार्ग पर आईटीआई के समीप
वर्ष 2017-18 में बनाई गई विस्तार वानिकी कक्षा क्रमांक पीएफ 104 में वन
विभाग द्वारा 20 हजार से अधिक पौधौ का रोपण किया गया था और उसकी देखरेख के
लिए प्लांटेशन के चारों ओर लोहे की जाली सहित अंदर चौंकी बनाई गई जहां पर
वनकर्मी और अमला रहकर पौधौ की देखभाल करेंगे..
लेकिन यहां पर माफियाओं
द्वारा शनिवार रविवार की दरमियानी रात को हाईवे किनारे वानिकी के अंदर कई
प्रजातियों के हरे भरे पेड़ों को काट कर ले गए और टहनियां ठूंठ छोड़कर चले
गए और वन अमले को भनक तक नहीं लगी वहीं अगर पूरी वानिकी प्लांटेशन की जांच
की जाए तो सैकड़ों ठूंठ नजर आएंगे जो कटाई का होने का साबित है लेकिन वन
विभाग के कर्मचारियों द्वारा इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है करीब
30 वर्ष पूर्व उप वन मंडल तेन्दूखेड़ा के अंतर्गत बेशकीमती सागौन अचार
बीजा आदि के औषधीय पेड़ अत्यधिक मात्रा में थे इन पेड़ों एवं यहां पर अन्य
जाति के पेड़ होने से जिसकी वजह से यह वनांचल क्षेत्र के नाम से जाना जाता
था यहां के चार वन परिक्षेत्रों में सबसे अवैध कटाई तेन्दूखेड़ा वन
परिक्षेत्र में हुई है इस वन परिक्षेत्र में पहले की अपेक्षा अब सागौन गिने
चुने क्षेत्रों में ही देखने मिल रहा है.. तेन्दूखेड़ा उप वनमंडल में
तेन्दूखेड़ा तारादेही तेजगढ़ झलौन परिक्षेत्र आते हैं लेकिन तेन्दूखेड़ा
परिक्षेत्र में से अवैध कटाई जोरों पर चल रही है कई जगह पेड़ काटकर खेती
बाड़ी की जाने लगी है इसी तरह तेन्दूखेड़ा वन परिक्षेत्र की केवलारी में भी
हजारों एकड़ वन भूमि में खेती-बाड़ी की जाने की बात बताई गई है ग्रामीणों
द्वारा कही जा रही है वहीं तेन्दूखेड़ा वन परिक्षेत्र में पेड़ों की कटाई
के साथ ही मुरम पत्थर सहित अन्य खनिज संपदा निकालने का काम भी जोरों पर चल
रहा है जंगलों के पत्थरों को निकलकर ट्रैक्टर ट्रालियां के माध्यम से
परिवहन भी किया जा रहा है जंगलों में बनी पुरानी खकरी के पत्थरों का उपयोग
आसपास की ग्राम पंचायतों में खकरी बाउंड्री बनाने में किया जा रहा है..
वहीं
दूसरी तेदूखेड़ा वन परिक्षेत्र की तिपनी बीट में वर्ष 2020 में वन
माफियाओं द्वारा रातों रात हजारों की संख्या में पेड़ों की कटाई की थी,
जिसके बाद वन विभाग के बड़े अधिकारियों में हड़कंप मच गया था और सागर
सीसीएफ व दमोह डीएफओ भी मौके पर पहुंचे थे, करीब एक हप्ते तक पेडों की
गिनती चलती रही, लेकिन बाद में क्या कार्रवाई हुई? इसकी फाइल दबकर रह गई।
इसी तरह 2021 अगस्त माह में तिपनी वीट के जंगल में गांव के लोगों ने तिपनी
बीट के कक्ष क्रमांक 187 में वन विभाग का जहां वांस प्लांटेशन बनाने की
तैयारी की जा रही थी, उसी जगह गांव के आधा सैकड़ा लोगों वन भूमि पर कब्जा
करके झोपड़ी बनाकर तैयार कर ली थी, जिस पर वन विभाग द्वारा सिर्फ
खानापूर्ति करते हुए कार्रवाई की गई थी, जिसका आज तक उस कार्रवाई का भी पता
नहीं चला है और उसी स्थान पर बास का प्लांटेशन बनाया जाना था..
तेंदूखेड़ा
वन परिक्षेत्र में सक्रिय वन माफिया पर उचित कार्रवाई नहीं होने से अब वन
विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों पर ग्रामीण सवाल उठाने लगे हैं। ग्रामीणों
का कहना है कि वन परिक्षेत्र की बीटों में पेड़ों को बेखौफ काटा जा रहा है।
कई क्षेत्र में पेड़ों के सिर्फ डूठ ही दिख रहे हैं। फिर भी इन माफियाओं
पर जिम्मेदार अफसरों द्वारा उचित कार्रवाई न करना कहीं न कहीं मिलीभगत
साबित कर रहा है वहीं दूसरी अगर कहीं पर कटाई की जाती
है और वन विभाग द्वारा जांच पड़ताल की जाती है तो कटे हुए पेड़ों पर हेमर
लगाया जाता है और कार्रवाई की गिनती में लिया जाता है लेकिन तेन्दूखेड़ा वन
परिक्षेत्र के जंगलों में हो रही कटाई की बात करें तो कई बीटों में बिना
हेमर के सैकड़ों ठूंठ नजर आ जाएंगे वहीं ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों का
कहना है कि वनकर्मियों द्वारा कटे हुए पेड़ों के ठूंठ के सबूत मिटाने के
लिए ठूंठों को आग लगाकर जला दिया जाता है जिससे अधिकारियों को कटाई होने का
पता ही नहीं चलता है साथ ही कार्रवाई से बच निकलते हैं..
जब
इस संबंध में तेन्दूखेड़ा वन परिक्षेत्र अधिकारी सृष्टि जैन से बात करने
के लिए फोन लगाया गया तो उन्होंने फोन रिसीव करना जरूरी नहीं समझा गया वहीं
वन परिक्षेत्र अधिकारी द्वारा पूर्व में भी कई मामलों को लेकर फोन लगाया
जाता है तो उनके द्वारा फोन रिसीव नहीं किया जाता है कहीं न कहीं जंगलों की
कटाई के पीछे वन अमले का संरक्षण प्रतीत होता है इस
संबंध उप वनमंडल अधिकारी प्रतीक कुमार दुबे से बात की गई तो उन्होंने कहा
मैं दिखवाता हूं अगर कटाई की जा रही है तो कर्मचारियों पर कार्रवाई की
जाएगी साथ ही मैं जंगलों का निरीक्षण करता हूं.. विशाल रजक की खबर
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