दमोह। प्रदेश के पशुपालन एवं डेयरी विभाग राज्यमंत्री स्वंत्रत प्रभार लखन पटेल आज दमोह स्थित कार्यालय में पधारे नागरिकों की समस्याओं को सुना एवं उनके निराकरण हेतु संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया।
उन्होंने कहा है शववाहन की उपलब्धता में देरी होने पर भी शव को शवगृह में रखा जा सकता है। यह कि जिला चिकित्सालय दमोह में वर्तमान में सिर्फ 2 ही एसी केबिनेट हैं जिनमें शवों को रखा जाता है तथा लगातार उपयोग के कारण कई बार वह शव खराब भी होते रहते हैं दोनों ही केबिनेट की आयु 10 वर्ष से अधिक की हो गई है। पोस्टमार्टम की प्रतिक्षा में सूर्यास्त के बादद्ध शवों को जिला अस्पताल में बने शव गृह में रखा जाता है। कई बार अज्ञात शव भी कई.कई दिनों तक शवगृह में रखना पड़ता है।
ज्ञातव्य है कि जिला चिकित्सालय दमोह 300 विस्तरीय अस्पताल है इसके अलावा यहां मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य संबंधी अस्पताल में 100 बिस्तर अतिरिक्त हैं। प्रतिदिन लगभग 600 से 800 मरीज़ ओण्पीण्डीण् में उपचार लेने आते हैं एवं लगभग 70 से 80 व्यक्ति भर्ती होकर उपचार प्राप्त करते हैं। कई बार प्रतिदिन 5 से 6 पोस्टमार्टम हेतु शव भी लाये जाते हैं गर्मी के दिनों में शव का विघटन 8 घंटे में ही शुरू हो जाता है एवं शरीर से बदबू आना शुरू हो जाती है। शव को सम्मानपूर्वक मरीज के परिजनों को सौंपना भी एक सामाजिक जिम्मेदारी है।
दमोह। जिले के विकासखंड दमोह के ग्राम अभाना में कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर ने कृषक आकाश सेठ के खेत में धान की डीण्एसण्आरण् पद्धति का प्रदर्शन एवं कृषक शिव सिंह लोधी के खेत में संकर मक्का एवं स्वीट कॉर्न मक्का का जायजा लिया । कलेक्टर श्री कोचर ने कृषकों से आह्वान किया कि कृषक इसी प्रकार धान की उन्नत तकनीकी डीण्एसण्आरण् पद्धति का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करें एवं मांग अनुसार फसलों की खेती करें। कलेक्टर श्री कोचर ने कृषकों को अवगत कराया गया कि जिले में पर्याप्त खाद एवं बीज उपलब्ध है कृषक बंधु डी ए पी के स्थान पर एनपीके जैसे 12 32 16 20 20 13 20 20 20 आदि का उपयोग करें जिससे कृषको को डीएपी की तुलना में अधिक लाभ प्राप्त हो सकता है। डीएपी में जहां दो तत्व पाए जाते हैंए वहीं एनण्पीण्केण् में फसलों के लिए आवश्यक तीन मुख्य पोषक तत्व पाए जाते हैं जिससे फसलों में उत्पादन भी अच्छा होता है दाने में चमक भी अच्छी आती है। रोग एवं कीटों के प्रति प्रतिरोधकता भी बढ़ती है।
उन्होंने कहा दलहन एवं तिलहनी फसलों में सिंगल सुपर फास्फेट का उपयोग किया जाये । गौरतलब है कि कृषि विभाग एवं मंथन एन. जी.ओ. के सहयोग से ग्राम अभाना में आकाश सेठ के खेत में धान की सीधी बुवाई डी.एस.आर. पद्धति का प्रदर्शन किया गया। कृषक श्री सेठ ने बताया उनके द्वारा इस पद्धति का उपयोग दूसरे वर्ष किया जा रहा है, पूर्व वर्ष में उन्होंने इस पद्धति से धान की बोनी की थी जिसमें उन्हें 25 क्विंटल प्रति एकड़ के मान से उत्पादन प्राप्त हुआ तथा बीज एवं सिचाई की मात्रा भी कम लगी। रोपा पद्धति से बोनी करने पर श्रमकों की अधिक आवश्यकता पड़ती है,
इस पद्धति में श्रमिको की कम आवश्यकता पड़ती है जिससे उत्पादन लागत में कमी आ जाती है एवं उत्पादन भी लगभग रोपा पद्धति के बराबर होता है जिससे शुद्ध आय में वृद्धि हो रही है। कृषक श्री सेठ द्वारा ग्रीष्म कालीन तरबूज एवं खरबूज का भी उत्पादन किया जाता है जिससे उन्हें प्रति एकड़ 20 टन तरबूज का उत्पादन हुआ जिससे उन्हें एक एकड़ में लगभग एक से डेढ़ लाख का शुद्ध लाभ प्राप्त हुआ। श्री सेठ द्वारा खरीफ में धानए कपासए मिर्च एवं शिमला मिर्च की खेती की जाती है जिससे वह अच्छा लाभ कमा रहे हैं । उपसंचालक कृषि श्री जितेंद्र सिंह राजपूत ने बताया डीएसआर पद्धति के द्वारा धान की बोनी करने पर प्रति एकड़ 9 से 12 किलो संकर बीज की आवश्यकता होती हैए इस पद्धति में कतार से कतार की दूरी 9 इंच तथा पौधे से पौधे की दूरी 3 से 4 इंच रखी जाती है एवं बीज की बोनी आधा से 1 इंच गहरी की जाती है। कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ मनोज अहिरवार द्वारा उपस्थित कृषकों को फसल विवधिकरण के बारे में जानकारी दी। इस दौरान अनुविभागीय अधिकारी कृषि शंकर लाल कुर्मी सहायक संचालक कृषि जेएल प्रजापति वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी आरके जैन एनजीओ के सहयोगी अभिषेक पटेल एवं दुर्गेश पटेल प्रगतिशील कृषक बहादुर सिंह लोधी संबंधित क्षेत्र के कृषि विस्तार अधिकारी एवं कृषक बंधु उपस्थित रहे ।
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