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दमोह में तीन निर्यापक मुनि संघ विराजमान.. देश प्रदेश से दर्शन करने पहुच रहे है भक्त.. इच्छा अनुसार जीने वालो के लिए मोक्ष के रास्ते बंद हो जाते हैं- मुनि पुंगव श्री सुधा सागर

जो इच्छा अनुसार जीते हैं उनके लिए मोक्ष के रास्ते बंद हो जाते हैं-मुनि श्री सुधा सागर

दमोह। श्री पारसनाथ दिगंबर जैन नन्हे मंदिर जी में आचार्य भगवान श्री विद्यासागर जी महाराज आचार्य श्री समय सागर जी महाराज के तीन निर्यापक मुनि संघ सहित विराजमान है। जिनके दर्शन पूजन अर्चन के लिए प्रतिदिन बड़ी संख्या में देश के कोने-कोने से भक्तजनों का दमोह पहुंचना जारी है।

 मुनि संघ के सानिध्य में प्रतिदिन सुबह से शाम तक विभिन्न धार्मिक आयोजन हो रहे हैं। जिनमे प्रातः आचार्य भक्ति, धर्म सभा, आहार हेतु पड़गाहन, दोपहर में सामायिक, शाम को जिज्ञासा समाधान, आरती, प्रवचन आदि धार्मिक आयोजनों में शामिल होकर भक्तजन पुण्य अर्जन कर रहे हैं। गुरुवार सुबह जैन धर्मशाला में धर्म सभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री सुधा सागर जी महाराज ने अपने प्रवचन में इच्छा अनुसार जीवन को निषेध बताते हुए कहा कि मनुष्य में जब तक इच्छाओं का जागरण रहेगा तब तक मुक्ति संभव नहीं है। संसारी व्यक्ति अपनी इच्छानुसार जीवन जीना चाहता है जबकि धर्म कहता है इच्छा निरोधा। तप इच्छाओं का निरोध करना ही तप है मोक्ष जाने की या मुनि बनने की इच्छा भी बाधक है। जब तक मोक्ष जाने की इच्छा है तो मोक्ष नहीं पहुंच सकते। जो इच्छा अनुसार जीते हैं उनके लिए मोक्ष के रास्ते बंद हो जाते हैं प्रकृति मोक्ष का मार्ग बंद कर देती है।
मुनि श्री ने कहा कि मुनि दशा वह दशा है जहां शेर भी समयक नहीं बिगाड़ सकता ध्यान भंग नहीं कर सकता किंतु आज शारीरिक शक्ति हीन होने से एक मच्छर भी परेशान कर देता है आज के संत तपस्या भी अपनी इच्छा अनुसार करना चाहते हैं बाहुबली और सर सकुशल जैसे मुनियों के उदाहरण हमारे समक्ष जिन्हें शेरनी भी खाती  रही किंतु उनका ध्यान भंग नहीं हुआ और उन्होंने मोक्ष प्राप्ति कर ली अपनी इच्छा अनुसार जीवन जीना अय्याशी है ऐसा व्यक्ति मोक्ष मार्ग में नहीं चल सकता गुरु को पाने के बाद इच्छापूर्ति का भाव आ रहा है तो यह निश्चित ही विनाश का कारण है वही मां अच्छी होती है जो अपने बालक की सभी इच्छाओं को पूरा नहीं करती किसी से यदि इच्छा पूर्ति का भाव आ गया तो इसी का नाम दुर्योधन है 

वह अपनी इच्छापूर्ति अपने बड़ों से भी समझा कर डरा कर धमका करवा लेता था। धृष्टराष्ट्र में मात्र एक दुर्गुण था वह अपने बेटे की हर इच्छा पूरी करना चाहता था। चाहे न्याय से हो अथवा अन्याय से धर्म से अथवा अधर्म से करना पड़े वह सबके लिए तैयार रहता था अपनी इच्छा पूर्ति के लिए महा शक्तियों का लाभ लेना अहितकारी है इच्छा रहित जीवन की साधना ही सर्वश्रेष्ठ है। इसके पूर्व धर्म सभा को निर्यापक मुनि श्री वीर सागर महाराज एवं श्री प्रसाद सागर महाराज ने भी संबोधित किया। 
विभिन्न क्षेत्रों से आए भक्तों ने श्रीफल अर्पित किए

इस मौके पर कोटा एवं जयपुर से पधारे हुकुम काका के साथ अनेक भक्तगणों ने तथा पुणे से पधारे दानवीर मुनि भक्त अतुल काका के साथ अनेक भक्तगणों ने मुनि श्री को श्रीफल अर्पित कर आशीर्वाद ग्रहण किया। पुणे के सुप्रसिद्ध श्रावक श्रेष्ष्टि दानवीर मुनि भक्त श्रीमान अतुल काका एवं उनके साथी गणों ने आचार्य विद्यासागर वृती आहार शाला का निरीक्षण किया एवं आहारशाला की हृदय से प्रशंसा की और ऑर्गेनिक फूड के संबंध में मार्गदर्शन प्रदान किया।
आज की आहारचार्य के सौभाग्यशाली परिवार
गुरुवार को मुनि श्री सुधा सागर जी महाराज का पड़गाहन करके अपने चौके में ले जाकर आहार कराने का सौभाग्य पंडित सुरेश शास्त्री परिवार को प्राप्त हुआ।

मुनि श्री प्रसाद सागर महाराज को आहार कराने का सौभाग्य अभिषेक सिंघई परिवार को ,मुनि श्री वीर सागर महाराज को आहार कराने का सौभाग्य संतोष सिंघई परिवार को, मुनि श्री शीतल सागर महाराज को आहार कराने का सौभाग्य सुधीर सिंघई परिवार को, मुनिश्री पदम सागर जी महाराज को आहार करने का सौभाग्य शैलेंद्र बजाज परिवार को प्राप्त हुआ।।


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