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कुंडलपुर में आचार्य पद पदारोहण अनुष्ठान महा महोत्सव आज, सर संघ संचालक एवं मुख्यमंत्री आएंगे.. अजमेर के दानवीर ने भावी आचार्य को आहार कराकर दान किए 11 करोड़.. गुरु की कृपा से सब आपदाएं टल गई.. मुनि श्री विमल सागर जी

 कुंडलपुर में आचार्य पदारोहण अनुष्ठान महामहोत्सव आज

दमोह। सुप्रसिद्ध सिद्ध क्षेत्र, जैन तीर्थ कुंडलपुर में भव्य पंडाल में आयोजित होगा आचार्य पद पदारोहण अनुष्ठान महा महोत्सव। महोत्सव समिति संयोजक वीरेश सेठ से प्राप्त जानकारी के अनुसार 16 अप्रैल को1 बजे चल समारोह के रूप में सभी साधुगण को पंडाल तक ले जाया जाएगा ।वहां पहुंचकर पहले ध्वजारोहण होगा ।तत्पश्चात पंडाल जिसका नाम विद्यासागर मंडपम दिया गया है इसका उद्घाटन होगा । पंडाल में निर्मित रैंप पर चलकर पूरा मुनि संघ मंच पर विराजमान होगा । 
मंच का संचालन निर्यापक श्रमण मुनि श्री नियम सागर जी महाराज, मुनि श्री प्रमाण सागर जी महाराज, आर्यिका रत्न श्री पूर्णमति माताजी करेंगी । मंगलाचरण होगा, दीप प्रज्वलन होगा, चित्र अनावरण किया जाएगा ।श्रावक श्रेष्ठि ,उपस्थित विशाल जन समूह आचार्य पद ग्रहण करने हेतु पूज्य मुनि श्री से निवेदन करेगा ।परम पूज्य संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का उत्तरदायित्व संभालने पूरे देश की समाज मुनि श्री से निवेदन करेगी । मुनि संघ, आर्यिका संघ ,ऐलक संघ, क्षुल्लक संघ, ब्रह्मचारी भैया जी, दीदी जी भी निवेदन करेंगे । चौक पूरा जाएगा, कलश रखे जाएंगे, सिंहासन रखा जाएगा और नए आचार्य को सिंहासन पर बिठाया जाएगा । श्रेष्ठीजन  सभी मिलकर पाद प्रक्षालन करेंगे ।अतिथियों का उद्बोधन होगा ।आचार्य महाराज जी का उद्बोधन होगा।
अजमेर के दानवीर ने भावी आचार्य को आहार कराकर दान किए 11 करोड़.. श्री  दिगंबर जैन सिद्ध क्षेत्र कुंडलपुर में महा समाधि धारक आचार्य श्री विद्यासागर जी महामुनिराज के शिष्य निर्यापक मुनि श्री समय सागर जी महाराज ससंघ के सान्निध्य में प्रातः काल की बेला में अभिषेक, शांतिधारा हुई आचार्य श्री की महापूजन हुई गणधर वलय विधान हुआ। इसमें पात्र बनने का सौभाग्य अशोक पाटनी आर के मार्बल वंडर सीमेंट परिवार एंव श्रीमती आशारानी पांडया परिवार इंदौर को प्राप्त हुआ।
15 अप्रैल को भावी आचार्य श्री समय सागर जी का पडगाहन करके आहार कराने का सौभाग्य अजमेर राजस्थान के दानवीर अशोक पाटनी परिवार को प्राप्त हुआ। श्री पाटनी ने आहारचर्या के उपरांत कुंडलपुर में बड़े बाबा परिसर के निर्माण हेतु 11 करोड़ की राशि समर्पित करने की घोषणा की। उल्लेखनीय है पाटनी परिवार के द्वारा बड़े बाबा मंदिर के सामने सहस्त्रकूट जिनालय का निर्माण भी कराया गया है।
गुरु की कृपा से सब आपदाएं टल गई.. मुनिश्री विमल सागर
इस अवसर पर धर्म सभा को  संबोधित करते हुए  मुनि श्री विमल सागर जी महाराज ने कहा कि हम सब यहां पर बैठे हुए हैं प्रतिदिन बैठते हैं सभी दृश्य देख रहे हैं लेकिन इस दृश्य को बनाने वाले गुरु महाराज दिखाई नहीं दे रहे हैं अदृश्य के रूप में है हमारी नहीं सभी के अंदर की एक ही भावना हो रही होगी कि काश यहां पर अभी गुरु महाराज बैठे होते तो आज क्या नहीं होता, हम लोगों के अंदर की एनर्जी कितनी बड़ी होती है यह सब अंदर ही अंदर हमारे हैं ,पर कह नहीं पा रहे है, लेकिन हम सबकी जिज्ञासाओं का समाधान गुरु महाराज पहले ही कर चुके हैं, अपने उपदेशों के माध्यम सेअपने चिंतन, मनन लेखन के माध्यम से और उन्होंने एक हाइको लिखा और उन्होंने कहा कि मुझे देखना चाहते हो तो ऊपर देखो, बाजू मैं देखो इधर देखो, उधर देखो, क्या मैं मिलूंगा,उन्होंने हाइको बनाया अंतरिक्ष में ना अंतर जगत में मुझसे मिलो मैं हमेशा मिलूगाआप अगर मिलना चाह और अपने हृदय मेंमेरे प्रति जो आपकी श्रद्धा है भक्ति है समर्पण है मैं हमेशा आपके अंदर रहूंगा..
यह गुरुदेव का बहुत बड़ा उपदेश हम सबको मिला हैऔर अगर इसमेंकमी रह गई तो गुरु महाराज हमें मिलने वाले नहीं है आज हम वह सारे कार्य सिद्ध कर सकते हैं अगर हमने गुरु को हृदय में बैठा लिया जो गुरु जी के सानिध्य में हम अपने कार्यों को सिद्ध करते थे उनका हृदय में बिठाकर के उनका नाम लेकर के आज भी हम उन सारे कार्यों को सिद्ध कर सकते हैं, यह गुरुजी का उपदेश था और उनकी भावनाएं थी, वह सब भावनाएं पूर्ण हुई है, जो उनकी भावनाएं रह गई है हम सबका एक ही कर्तव्य है कि गुरुदेव की भावनाएं पूर्ण हो, बार-बार गुरुदेव के पास आने की मैंने चेष्टा की लेकिन कर्म ने रोक दिया कर्म कहता था आगे बढ़ भी जाओगे तो तुम्हारे लिए गुरुदेव मिलने वाले नहीं है हमने क्या बहुत सारे संघों ने इस प्रकार का पुरुषार्थ किया लेकिन पुण्य आत्मा पुरुष वही थे जो गुरु जी के चरणों में पहुंच गए और उनकी वैयावृत्ति सेवा करने का अवसर मिला, जब इस तरफ आ रहा था चारों मुनिराज थे और वहीं से एक मुड़ने का स्थान आ गया यहां से जाएंगे तो बड़े बाबा कुंडलपुर का स्थान कम पड़ेगा लेकिन इतने में इंदौर वाले आ गए वह बार-बार गुरुदेव के पास जा रहे थे भावना भा रहे थे हमें पंचकल्याणक करना है लेकिन गुरुदेव की तरफ से यही संकेत मिलता था ठहरो..
निकट में मुनिराजो को आने दो आपका काम हो जाएगा, लेकिन जैसे ही हम लोग मुड़ने वाले थे वह लोग आ गए भावना लेकर महाराज अब आप निकट में हो हमारा पंचकल्याणक करवा दो, ऐसी ऐसी समस्या आ रही है बड़े महाराज जी के पास खबर भेजिए और बड़े महाराज जी ने कहा अगर वह महत्वपूर्ण नहीं है पंचकल्याणक, बड़े बाबा का कार्यक्रम महत्वपूर्ण है लेकिन अगर समय पर इस कार्यक्रम में आ गए तो  हमारा दोनों हाथों से आशीर्वाद है हमने कहा अगर महाराज जी आपका आशीर्वाद होगा तो यह पंचकल्याणक  सानंद संपन्न हो जाएगा और मैं भी आपके चरणों में आ जाऊंगा इस विश्वास के साथ ऐसी व्यवस्था बनाई की दो महाराज अलग से विहार करेंगे । बड़े महाराज जी के आशीर्वाद से बहुत अच्छा पंच कल्याणक हुआ तो कुछ ऐसी दो घटनाएं घटी जो बहुत बड़ी घटनाएं हो सकती थी लेकिन बड़े महाराज जी के आशीर्वाद से वह यूं ही सहज में निकल गई और कुछ भी नहीं हुआ और बड़े बाबा की कृपा से और बड़े बाबा के छोटे बाबा के बड़े समवशरण के बड़े महाराज जी की कृपा से सब आपदाएं टल गई यह सब श्रद्धा का फल है।

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