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मप्र में मोहन सरकार में भी नहीं थम रहा रिश्वतखोरी का खेल.. लोकायुक्त ने 30000 रूपये की रिश्वत लेते सीईओ को रंगे हाथों पकड़ा.. उपसरपंच से नाली तथा ग्रेवल रोड निर्माण के भुगतान के बदले में मांगे थी 40 हजार की रिश्वत..

 लोकायुक्त ने 30000 की रिश्वत लेते सीईओ को पकड़ा

रीवा। मध्य प्रदेश में भाजपा की नई सरकार के गठन के साथ भले ही मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री तथा उनके विभागों में पूरी तरह से फेर बदल हो गया हो लेकिन रिश्वतखोरों की कार्य प्रणाली पर किसी तरह का फेर बदल होता हुआ नजर नहीं आ रहा। मुख्यमंत्री मोहन यादव की सरकार के दो महीनो में लोकायुक्त कार्यवाही की खबरे हर दूसरे तीसरे दिन सुर्खियों में बनी रहती है।
ताजा मामला रीवा से सामने आया है जहां पर विंध्य विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को लोकायुक्त टीम ने 30000 की रिश्वत लेते हुए रानी हाथों पकड़ने के बाद में कार्यवाही की है रिश्वत की यह रकम एक उपसरपंच से नाली तथा ग्रेवल रोड निर्माण के भुगतान के बदले में ली जा रही थी।  
पूरे मामले में जानकारी देते हुए रीवा लोकायुक्त के निरीक्षक प्रमेन्द्र कुमार ने बताया कि विंध्य विकाश प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालन अधिकारी  राजेश कुमार साकेत को उनके ही कार्यालय में बुधवार को तीस हजार रूपये की रिश्वत लेते रंगे हाथो पकड़ा किया है। मझियारी ग्राम पंचायत के उप सरपंच रंजित सिंह से रिश्वत की यह रकम ली जा रही थी। लेकिन लोकायुक्त की टीम ने रंग में भंग डालने जैसे हालात निर्मित करते हुए सीईओ साहब की मनसा पर पानी फेर दिया।
दरअसल ग्राम पंचायत मझियारी के उप सरपंच रंजीत सिंह ने लोकायुक्त एसपी रीवा को लिखित शिकायत देते हुए बताया था कि उनकी पंचायत में पक्की नाली निर्माण एवं ग्रेवल रोड निर्माण का कार्य कराया गया था। जिसकी राशि स्वीकृत हो जाने के बाद एक एक किश्त भी  मिल चुकी है। शेष राशी निकालने के लिए विंध्य विकास धिकरण रीवा के सीईओ राजेश कुमार द्वारा 40 हजार रुपए की रिश्वत मांगी जा रही थी। जिसमे 10 हजार रुपए वह पहले ही दे चुके है। शेष राशी देने से पहले लोकयुक्त में शिकायत करने पर जांच के उपरांत आज लोकायुक्त की टीम ने सीईओ साहब को उनके ही ऑफिस में रिश्वत गिरा काम के साथ पकड़ने में देर नहीं की। फिलहाल उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 के तहत अपराध पंजीकृत करके कार्यवाही की जा रही है।

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