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मुनि श्री सुव्रत सागर जी के सानिध्य में अगारा में गजरथ फेरी के साथ पंच कल्याणक महा महोत्सव सपन्न.. इधर बागेश्वर धाम में होने वाले पंचम बुंदेलखंड महोत्सव का भगवान जागेश्वर नाथ के साथ भक्तों को दिया निमंत्रण..

 गजरथ फेरी के साथ पंचकल्याणक महा महोत्सव सपन्

दमोह। बटियागढ के अगारा गाव की धरा पर एतिहासिक पंचकल्याणक महोत्सव मुनि श्री सुव्रत सागर जी के सानिध्य में बा ब्रह्मचारी संजय भैया मुरैना के मार्गदर्शन मे हुआ जिसमें आस पास के गाव के लोगों सहित पूरे प्रदेश के लोग आये इस अवसर पर मुनि श्री ने कहा कि मोक्ष क्या कहलाता है इस बात पर सभी की जिज्ञासा रहती है सभी मत-मतांतरों में और देश-विदेश में इस बात की बहुत बड़ी जिज्ञासा रहती है आखिर क्या कहलाता है मोक्ष। इस विषय में सभी लोगों ने अपनी अपनी मान्यता सिद्धांत व्यक्त किए हैं किंतु जैन धर्म की मान्यता दुनिया के सभी सिद्धांतों से अलग है। जैन धर्म का मानना है कि अनादि काल से आत्मा और कर्मों का सहयोग रहता है जो आत्मा को संसार में दुखी करती है और इस दुख के कारण उसे जन्म मरण की प्राप्ति होती है जो संसार के सबसे बड़े दुख कहलाते हैं। जब तक जन्म मरण का चक्कर चलता रहेगा तब तक तो दुखों से मुक्ति प्राप्त नहीं होगी किंतु जन्म मरण को देने वाले होते हैं कर्म। अर्थात कर्मों के कारण संसारी प्राणी दुख भोगता है और त्याग तपस्या करके इन कर्मों का आत्मा से विच्छेद किया जाता है आत्मा को कर्मों से दूर किया जाता है या कर्मों को आत्मा से दूर किया जाता है जब कर्म और आत्मा एक दूसरे से एकदम अलग हो जाते हैं तो ऐसी दशा को आत्मा का मोक्ष माना जाता है।
क्या वास्तव में मोक्ष होता है.. क्या वास्तव में मोक्ष होता है ऐसा विषय सुनकर मुनि श्री को मंद मंद मुस्कान आ गई मुनिश्री ने कहा कि जब हम संसार को मानते हैं सुख-दुखों को मानते हैं संसार के जन्म मरण को देखते रहते हैं लोगों की पीड़ा परेशानियों को देखते रहते हैं तरह-तरह के उच्च नीच के भाव को देखते रहते हैं तो फिर मोक्ष की धारणा को क्यों स्वीकार नहीं करते हैं। हमने शास्त्रों के अनुसार साधुओं के अनुसार धर्म के अनुसार सब कुछ तो स्वीकार कर लिया किंतु मोक्ष की धारणाओं को स्वीकार नहीं किया यह हमारी अधूरी श्रद्धा का प्रतीक माना जाएगा। जैसा हमारे शास्त्रों में लिखा है वैसा वैसा दुनिया में दिख रहा है उसको तो हम मानते हैं किंतु मोक्ष को क्यों नहीं मानते ऐसी धारणा रखने वाले लोगों के ही मन में यह बात उत्पन्न होती है क्या वास्तव में मोक्ष होता है या नहीं। तो मुनिश्री ने बताया की चूंकि वास्तव में जो चीज हमें दिखाई नहीं देती है उस पर विश्वास करना बड़ा कठिन होता है किंतु श्रद्धालु लोग शास्त्रों पर साधुओं पर विश्वास करके मोक्ष पर भी विश्वास करते हैं और मोक्ष को प्राप्त करने की साधना करते हैं और उन्हें ही मोक्ष प्राप्त होता है।
विश्व शांति महायज्ञ क्यों किया जाता है.. मुनिश्री ने बताया कि जब हम कोई धार्मिक अनुष्ठान करते हैं भगवान की भक्ति करते हैं अथवा कोई भी कार्य करते हैं तो उसमें गलतियां होना त्रुटियां होना स्वाभाविक है इन त्रुटियों की क्षमा याचना करने के लिए और विश्व के प्रत्येक प्राणी का कल्याण हो ऐसी भावना से ओत-प्रोत होकर ही विश्व शांति महायज्ञ किया जाता है। और साइंस के अनुसार विज्ञान के अनुसार हमारे आसपास बहुत सी नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है इस ऊर्जा को हवन मन्त्रों के माध्यम से नष्ट करने की प्रक्रिया का नाम है विश्व शांति महायज्ञ। अपने आप को सकारात्मक ऊर्जा से भरने के लिए और नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करने के लिए और स्वस्थ रखने के लिए किया जाता है विश्व शांति महायज्ञ क्योंकि विश्व शांति महायज्ञ में वह चीज नष्ट हो जाती हैं जो हमें दुखी बनती है जैसे हवन कुंड में आग जलने पर दूंगा उठना है और सब कुछ जलकर नष्ट हो जाता है इस तरह से विश्व शांति महायज्ञ के माध्यम से हमारे पाप नष्ट हो जाते हैं।
क्या कहलाती है गजरथ की फेरी.. पंचकल्याणक संपन्न होने पर गजरथ में श्री जी को लेकर भगवान को विराजमान करके सात परिक्रमाएं लगाई जाती हैं। इन परिक्रमाओं को ही गजरथ की फेरी कहते हैं। गजरथ की फेरी के माध्यम से यह सूचना दी जाती है कि हम संसार में जन्मो जन्म से लेकर के भटक रहे होते हैं और जैसे विवाह की बंधन में हम बधते हैं तो उसमें भी सात परिक्रमाएं लगाई जाती है। विवाह का बंधन सामान्य बंधन नहीं होता है एक बार विवाह होने पर अनंत संसार की वृद्धि मानी जाती है उसे अनंत संसार की वृद्धि को रोकने के लिए गजरथ की  फेरी लगाई जाती है।
हे भगवान हमारे संसार का चक्कर मिटा दो और हमें सुखी शास्त्र बनाकर अपने जैसा बना लो इस भावना से संलग्न होकर लोग परिक्रमाएं करते हैं और परिक्रमा करते-करते यह कहते हैं कि हे भगवान तीन लोक में विश्व में संसार में आपके जैसा कोई नहीं है हे भगवान हमें अपनी शरण में रख लो हे भगवान हमारा कल्याण कर दो और हमें अपना बनाकर अनंत काल के लिए अपना बना लो इसी भावना से परिक्रमाएं लगाई जाती होगी।
मुनिश्री ने सभी को बहुत-बहुत आशीर्वाद देते हुए कहा कि जैन धर्म की शान को बढ़ाने में अगर हमारे प्राण भी चले जाएं तो हमें पीछे नहीं हटना चाहिए और इसी भावना से मुनिश्री ने सबको शुभकामनाएं आशीर्वाद भी दिया कि आप लोग ऐसे ही भक्ति समर्पण की भावना से धर्म के कार्यों में लगे रहे। जब-जब धर्म की चर्चाएं होंगी जब-जब भगवान की चर्चाएं होंगी तब तक भक्तों की चर्चा भी होती रहेगी क्योंकि जहां-जहां भगवान होते हैं वहां भक्त भी होते हैं। अंत में भगवान के चरणों में नमोस्तु करते हुए और गुरु महाराज के चरणों में नमोस्तु करते हुए मुनिश्री ने कार्यक्रम का समापन सानंद पूर्ण तरीके से करते हुए ब्रह्मचारी संजय भैया मुरैना वालों को और ब्रह्मचारी अंशु भैया कोलारस वालों को बहुत-बहुत आशीर्वाद दिया और कहां की इसी तरह से जैन धर्म की भक्ति में लगे रहना और अपनी आत्मा के कल्याण के पद पर बढ़ते रहना और शिव पिता से परमधाम मोक्ष को हम सभी प्राप्त करें ऐसी भावना के साथ सबसे विदाई ली।

बागेश्वर धाम में होने वाले पंचम बुंदेलखंड महोत्सव का भोलेनाथ के साथ भक्तों और ग्रामीणों को निमंत्रण
दमोह।  बुंदेलखंड के प्रसिद्ध तीर्थ श्री बागेश्वर धाम तीर्थ पर पीठाधीश्वर पंडित श्री धीरेंद्र कृष्ण जी शास्त्री के मार्गदर्शन में 1 मार्च से 8 मार्च तक पंचम बुंदेलखंड महोत्सव का आयोजन किया जाना है जिसके अंतर्गत अनेक प्रकार के धार्मिक आयोजन और अनुष्ठान किए जाएंगे साथ ही 8 मार्च महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर 151 कन्याओं के सामूहिक विवाह सम्मेलन का कार्यक्रम भी किया जाना है बागेश्वर महाराज के निर्देश पर बांदकपुर धाम में भव्य कॉरिडोर निर्माण हो इस अभियान को निरंतर चल रहे श्री बागेश्वर धाम शिष्य मंडल एवं श्री जागेश्वर नाथ धाम शिष्य मंडल बांदकपुर जिला दमोह के भक्तों द्वारा सर्व प्रथम श्री जागेश्वर नाथ जी महादेव बांदकपुर पहुंचकर भोलेनाथ को पीले चावल और भेंट अर्पित कर उन्हें निमंत्रित किया।

 साथ ही आयोजन का बैनर मंदिर परिसर में लगाया उसके बाद मंदिर दर्शन हेतु पधारे जिलेभर के श्रद्धालुओं एवं बांदकपुर नगर में लोगों को पीले चावल देकर इस पंचम बुंदेलखंड महोत्सव का आमंत्रण दिया गया। शिव भक्त शंकर गौतम ने बताया कि परम पूज्य बागेश्वर महाराज के निर्देश पर बांदकपुर धाम में भगवान भोलेनाथ और सभी व्यापारी बंधुओ भक्तों को पीले चावल देकर महोत्सव का निमंत्रण दिया गया है ताकि अधिक से अधिक संख्या में श्रद्धालु इस ऐतिहासिक महा महोत्सव में शामिल हो सके।
इस अवसर पर विशेष रूप से भक्त कृष्णा पटेल ,राम गौतम,महेंद्र तिवारी, नितिन राजपूत,अंशु दुबे, तुलसीराम तिवारी दुर्गेश पटेल सहित अनेक भक्तों की उपस्थिति रही।

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