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श्री राम लला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में सम्मिलित होकर.. अयोध्या से दमोह वापिस पहुंची डॉ सुधा मलैया का हुआ जगह-जगह स्वागत..मीडिया से चर्चा के दौरान में डॉ मलैया ने सुनाए राम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़े संस्मरण..

अयोध्या से लौटी डॉ सुधा मलैया का जगह-जगह स्वागत

 22 जनवरी 2024 भारतीय इतिहास में एक ऐतिहासिक दिवस के रूप में सम्मिलित हो गया। इस दिन 500 वर्षों के संघर्ष और बलिदानों के पश्चात अयोध्या में भव्य दिव्य नव्य मंदिर में श्री राम लाल की प्राण प्रतिष्ठा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा की गई। इस समारोह में दमोह से भाजपा की पूर्व राष्ट्रीय सचिव एकलव्य विश्वविद्यालय की कुलाधिपति डॉ सुधा मलैया को भी आमंत्रण पत्र मिला था। डॉ मलैया प्राण प्रतिष्ठा समारोह में सम्मिलित हुई एवं 23 जनवरी को उन्होंने श्री राम लला के दर्शन भी किए। 24 जनवरी को अयोध्या से वापिस दमोह लौटने पर उनका गर्म जोशी के साथ जगह जगह स्वागत किया गया।

अयोध्या से लौटने पर डॉ सुधा मलैया ने श्री जागेश्वर धाम बांदकपुर में भगवान जागेश्वर नाथ के दर्शन पूजन किए। दमोह पहुंचने पर उनका जगह-जगह पुष्प वर्षा कर स्वागत किया गया। समन्ना, धरमपुरा से राम भक्तों ने अगवानी की एवं उन्हें पुष्पगुच्छ एवं फूलमाला पहनकर स्वागत किया। तदुपरांत स्वागत रैली के माध्यम से शहर के मुख्य मार्ग से होते स्वागत रैली बड़ापुरा, पुराना थाना, शिवाजी चौक, बकौली, घंटाघर, स्टेशन चौराहा, तीन गुल्ली से होते हुए  मलैया मिल परिसर पहुंची। 

जहां ओजस्विनी महाविद्यालय एवं एकलव्य विश्वविद्यालय के स्टाफ द्वारा पुष्प वर्षा कर स्वागत किया गया। उन्होंने परिसर में स्थित जैन मंदिर में स्तुति की, परिवार जनों ने उनकी आरती उतार कर स्वागत किया।
 राम जन्मभूमि आंदोलन से संबंधित संस्मरण सुनाए.. 
 पत्रकारो से चर्चा के दौरान राम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़े संस्मरण सुनाते हुए डॉ मलैया ने कहा कि यह विषय है राम आएंगे, राम आए हैं, श्री राम जी के की मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा हो गई। 5 वर्ष के रामलला विराजमान हो गए, 1949 में प्रकट हुए 7 इंच के रामलला भी भव्य मंदिर में विराजमान हो गए। रामलाल वहीं विराजमान हुए जहां वह 1949 से 1992 तक विराजमान थे, उसके पश्चात वह अस्थाई रूप से टेंट में विराजमान थे, अब रामलाल स्थाई निवास में पहुंच गए हैं, जैसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अब रामलला को टेंट में नहीं रहना पड़ेगा, रामलला की भव्यता, महिमा भारत के गौरव स्वाभिमान के अनुरूप उनका उनका स्थान प्राप्त हो गया है, यह राष्ट्रीय गौरव का विषय है यह धार्मिक जाए या विजय नहीं है। 
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा भारत के गौरव व स्वाभिमान की प्राण प्रतिष्ठा हुई है। राम जन्मभूमि आंदोलन को विश्व हिंदू परिषद व भारतीय जनता पार्टी ने गति दी, परंतु आंदोलन तो तभी प्रारंभ हो गया था जब क्रूर बाबर के निर्देश पर 1528 में उसके सेनापति मीर बाकी ने राम मंदिर को तोड़ कर वहां मस्जिद बनाई थी। श्री राम भारतीय संस्कृति व आदर्श के प्रतीक हैं उनकी प्राण प्रतिष्ठा के लिए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 11 दिन का कठोर तप किया उन्होंने भूमि शयन किया व्रत किया जब रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हुई तो वहां उपस्थित सभी साधु संत अतिथि सभी भाव विभोर हो गए थे प्रधानमंत्री ने पूर्ण मनो योग से साष्टांग प्रणाम कर रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की है।

यह मेरा सौभाग्य है कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में मुझे सम्मिलित होने का अवसर प्राप्त हुआ रामलला की मोहक छवि का दर्शन प्राप्त हुआ मेरे लिए बहुत ही गौरवपूर्ण क्षण था यह आनंद करने वाला हर्षित करने वाला क्षण था और मैं इसकी साक्षी बनी 5 अगस्त को भूमि पूजन के पश्चात भी मुझे 6 अगस्त को रामलला के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हुआ था मुझे रामलला के ऐसे दर्शन हुए कि मैं अभीभूत हो गई
 डॉ सुधा मलैया ने आगे कहा कि 1528 से 1949 और राम जन्मभूमि पर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने तक 500 वर्षों तक एक लंबे समय तक यह आंदोलन चला मैं धन्यवाद करूंगी 1949 में तत्कालीन जिलाधीश सिटी मजिस्ट्रेट एवं महंत रामदास जी का जिनके समय रामलला प्रकट हुए इसी कारण हम यह केस जीत पाए 1992 में बाबरी विध्वंस के बाद 12 दिसंबर को जब अयोध्या में मार्शल लॉ लगा था के बीच में अयोध्या गई वहां मलवे में अवशेषों के फोटो लिए एवं उनकी छाप से उनका अर्थ निकलवाया सभी दस्तावेज व फोटो मैंने विश्व हिंदू परिषद को सौंप दिए सभी सबूत माननीय न्यायालय में प्रस्तुत किए गए जो मान्य हुए मेरे द्वारा एक पुस्तक लिखी गई है जिसका शीर्षक है कथा राम जन्म भूमि मंदिर निर्माण की जिसका विमोचन शीघ्र ही होगा।

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