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फर्जी पट्टे जारीकर्ता दो आरोपियों को कारावास और जुर्माना.. लैपटॉप पर अन्य दस्तावेज से स्कैन कर बनाते थे सील, हस्ताक्षर.. अपर सत्र न्यायाधीश डॉ. आरती शुक्ला पांडेय की कोर्ट ने सुनाया महत्वपूर्ण मामले में अहम फैसला..

 फर्जी पट्टे जारीकर्ता दो आरोपियों को कारावास और जुर्माना

दमोह। अपर सत्र न्यायाधीश डॉ. आरती शुक्ला पांडेय द्वारा दस्तावेज लेखक सहित अन्य को ग्रामीणों से पांच पांच हजार रुपए लेकर कलेक्टर सहित समिति के सदस्यों के कंप्यूटर द्वारा स्कैन हस्ताक्षर व सील से तैयार कूटरचित पट्टे जारी कर छल करने के मामले में दोषी मानते हुए भादवि की धारा 420, 465, 467, 468, 471 में पांच पांच वर्ष के कठोर सश्रम कारावास एवं नौ हजार रुपए के अर्थदण्ड से दण्डित किया है। मामले में शासन की ओर से पैरवी शासकीय अभिभाषक राजीव बद्री सिंह ठाकुर द्वारा की गई।

 मामला इस प्रकार है, तहसील जबेरा के ग्राम सगोड़ीखुर्द निवासी हनुमंत गोंड द्वारा फर्जी वनाधिकार पट्टा वितरण की शिकायत वन विभाग और आदिम जाति कल्याण विभाग में की थी। शिकायत की जांच हेतु कलेक्टर द्वारा तीन सदस्य जांच कमेटी जिसमें एसडीएम तेंदूखेड़ा, एसडीओ वन विभाग, एवं जिला संयोजक आदिम जाति कल्याण विभाग दमोह को शामिल कर गठित की गई। उक्त समिति ने दिनांक 9 अक्टूबर 2020 को ग्राम सगोड़ीखुर्द, आमघाट, कंजई एवं चौरई के ग्रामीणों को प्राप्त पट्टा की जांच की। जांच में सभी 77 व्यक्तियों को प्राप्त पट्टे कंप्यूटर से स्कैन कर सील व हस्ताक्षर से बनाना प्रतीत हुए। समिति ने सभी ग्रामीणजन से पूछताछ की तो ग्रामीणों ने बताया कि उक्त पट्टे पुरानी कलेक्ट्रेट  में बैठने वाले दस्तावेज लेखक किशोर दुबे पिता गौरीशंकर दुबे निवासी सिविल वार्ड नंबर 4 दमोह द्वारा पांच हजार रुपए लेकर दिलवाए गए हैं। समिति के सदस्य दो वाहनों में ग्रामीणों को पुरानी कलेक्ट्रेट दमोह लेकर आए। ग्रामीणों द्वारा आरोपी किशोर दुबे जो वहा फोटोकॉपी की दुकान पर खड़ा ग्रामीणों ने बात कर रहा था को पहचान लिया, ग्रामीणों द्वारा समिति के सदस्यों को जब बताया गया कि इसी व्यक्ति द्वारा उन्हें पट्टे दिलवाए गए हैं तो समिति के सदस्यों द्वारा पुलिस को फोन कर मौके पर बुलाया गया। पुलिस ने आकर आरोपी किशोर दुबे को गिरफ्तार किया। किशोर दुबे ने बताया कि उसने यूट्यूब पर एमपी वनमित्र पोर्टल खोलने पर वन अधिकार पट्टे का प्रोफार्मा देखकर सादे कागज पर पेन से प्रोफार्मा बनाया था और प्रोफार्मा के आधार पर उसे जिला अस्पताल के पास फोटोकॉपी दुकानदार आरोपी संतोष बर्दिया द्वारा कंप्यूटर पर टाइप करके और अन्य दस्तावेज से अशोक चिन्ह, एवं पट्टे जारीकर्ताओ के सील व हस्ताक्षर स्कैन कर वन अधिकार पट्टे तैयार किये थे। पुलिस ने आरोपी संतोष बर्दिया पिता प्यारेलाल वर्दियां निवासी हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी को गिरफ्तार किया और अभियुक्तगण के लैपटॉप, कलर प्रिंटर, सीपीयू, माउस, वास्तविक वन अधिकार पट्टा की छायाप्रति और कूटरचित फर्जी वनपट्टे जप्त किये 
मामला न्यायालय में आने पर अभियोजक राजीव बद्री सिंह ने प्रकरण में साक्ष्य के रूप में 187 दस्ताबेज प्रस्तुत किए, वही बचाव पक्ष ने तर्क किया कि आरोपी संतोष बर्दिया एक फोटो कॉपी दुकान का संचालक है उसके पास कई ग्राहक आते हैं और वह मेहनताना प्राप्त कर उनका काम करता है उसका कोई उद्देश्य अपराध के लिए नहीं है, साथ ही यह भी व्यक्त किया कि जब्त पट्टे पर जो हस्ताक्षर है उनका नकली होने के संबंध में मूल हस्ताक्षर नमूने प्राप्त नहीं किए गए हैं और दस्तावेजों पर हस्तलिपि विशेषज्ञ की रिपोर्ट भी प्राप्त नहीं की है। तब न्यायालय ने निर्णय में लेख किया कि हस्ताक्षर की पहचान उस व्यक्ति के द्वारा भी की जा सकती है जिसने दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए हो, समिति का एक सदस्य जो जारी पट्टे फर्जी बता रहा है उसने स्वयं अपने हस्ताक्षर पट्टे पर ना होना व्यक्त किया है और जहां कोई षड्यंत्र एकांत और चार दिवारी में होता है तो उसके संबंध में कोई प्रत्यक्ष साक्ष्य विरले ही उपलब्ध होती है, इस कारण ऐसे प्रकरणों में अनुमान लगाकर ही निष्कर्ष निकाला जा सकता है अतः बचाव पक्ष द्वारा प्रस्तुत तर्क का लाभ उन्हें प्राप्त नहीं हो सकता। न्यायालय द्वारा आरोपी किशोर दुबे और संतोष वर्दियां को दोषी मानते हुए कठोर कारावास एवं जुर्माना से दंडित किया
 यहां यह उल्लेखनीय है कि 11 अक्टूबर 2020 से आरोपी किशोर दुबे जेल में ही है जबकि आरोपी  संतोष वर्दियां को आठ माह जेल में रहने के बाद जमानत मिली थी। वर्तमान में दोनों अभियुक्तों को सजा सुनाने के बाद पुनःजेल भेज दिया गया।

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