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जिला अस्पताल में एनएचएम पीआर के पद पर रही.. दमोह की बेटी नौशीन खान बनी दिल्ली के ऐम्स में नर्सिंग ऑफिसर.. इधर निरच्छित निष्काम सेवा को दर्शाते निरंकारी भक्त.. 76वें वार्षिक निरंकारी संत समागम की तैयारियाँ जोरों पर..

 दमोह की बेटी नौशीन बनी दिल्ली के ऐम्स में नर्सिंग ऑफिसर

 दमोह। दमोह नगर के फुटेरा वार्ड पीली अटारी के पास रहने वाली नौशीन खान पिता स्व ज़हीर खान का दिल्ली के एम्स हॉस्पिटल में नर्सिंग ऑफिसर के पद पर सिलेक्शन हुआ। नौशीन खान जिला अस्पताल में एनएचएम पीआर के पद पर कार्यरत रहते हुए ऐम्स की तैयारी करती रहीं परीक्षा देकर सफलता पाई और दिल्ली ऐम्स में नर्सिंग ऑफिसर के पद पर सिलेक्शन हो गया। एक समान्य परिवार से तालुक रखने वाली नोशीन खान ने काफी कठिनाइयों के दौर से गुज़रते संघर्ष करते हुए उसने यह मुकाम हासिल किया है। दमोह से अपनी नर्सिंग की पढ़ाई पूरी कर जॉब की तलाश में दमोह के निजी अस्पतालों में ट्राई किया लेकिन सफलता नही  फिर किसी तरह भोपाल में दो वर्ष बंसल हॉस्पिटल में जॉब करने के बाद अनुभव प्रमाण पत्र पाकर अपनी आगे की तैयारी जारी रखी 4 से 5 घण्टे प्रतिदिन जॉब के साथ पढ़ाई करने वाली नोशीन खान ने सेल्फ स्टडी शुरू कर परीक्षा दी और एग्जाम देकर मेडिकल कॉलेज ग्वालियर में सिलेक्शन हुआ और साथ ही दमोह जिला हॉस्पिटल में एनएचएम पीआर भी किया..

जिसके बाद डी.एच. हॉस्पिटल ज्वाइन किया और दमोह जिला अस्पताल में एनएचएम के पद पर रहकर जिला अस्पताल में रहते हुए 2021 में एम्स का एग्जाम का फार्म भरा और एग्जाम दिया जिसमें सफलता नहीं मिली इसके बाद फिर से  2022 में भी  एम्स का फार्म भरा परीक्षा दी फिर असफलता हाथ लगी। फिर इसके बाद 2022 की परीक्षा में नाकामी मिलने के बाद नौशीन खान ने अपने रजिस्टर के पहले पेज पर लिख लिया था की मुझे एम्स 2033 के एग्जाम में सफलता हासिल करनी है और चयन लेना है रैंक के साथ। उसके बाद जब जब नौशीन पढ़ने बैठती तब तब उसी पेज को खोल कर 2023 में चयन का वाक्य देखती फिर अपनी पढ़ाई शुरू करती 2022 से 2023 का जो सफर रहा उसमें भी संघर्ष करते हुए फार्म भरकर परीक्षा दी और सरकारी अस्पताल में नौकरी करने के साथ साथ जितना समय मिला सिर्फ अपनी पढाई पर ध्यान दिया और जब ऐम्स का रिजलड आया तो देखा नोशीन खान ने 1344 रैंक पाकर ऐम्स अस्पताल में नर्सिंग ऑफिसर के पद पर सिलेक्शन हुआ नौशीन खान का कहना है मुझे आगे बढ़ाने में मेरी बचपन की दोस्त रिज़वाना खान का  महत्वपूर्ण रोल है अगर वह मुजगे नर्सिंग की सलाह और सहयोग ना देती तो शायद आज हम यहां नहीं होते  बारहवीं के बाद हम दोनों अलग अलग होते तब उसी ने प्रोत्साहित किया और मेरी हेल्प भी की तब हमने नर्सिंग कोर्स कम्प्लीट कर अपनी आगे की पढ़ाई जारी रखी मैं इस कामयाबी का सिला सबसे पहले अपने खुदा का शुक्रिया अदा करूँगी उसके बाद इस कामयाबी का सेहरा अपने मरहूम पिता ज़हीर खान और माँ को देना चाहूँगी उनकी कोशिशों से आज यहाँ तक पहुँची बड़ी मुश्किल हालातों से जूझते हुए हमने अपनी मंज़िल पाई है।

 76वें वार्षिक निरंकारी संत समागम की तैयारियाँ जोरों पर

 दमोह। संत निरंकारी आध्यात्मिक स्थल समालखा में निरंकारी मिशन का 76वां वार्षिक संत समागम, पिछले 75 वर्षों की भांति इस वर्ष भी भव्यतापूर्वक दिनांक 28, 29 एवं 30 अक्तूबर, 2023 को सत्गुरू माता सुदीक्षा महाराज एवं निरंकारी राजपिता के पावन सान्निध्य में आयोजित होने जा रहा है। इस समागम का भरपूर आनंद विश्वभर से आये हुए सभी निरंकारी भक्त एवं श्रद्धालुओ द्वारा प्राप्त किया जायेगा। इस शुभ सूचना से संपूर्ण निरंकारी जगत में अत्यंत उत्साह का वातावरण है जहां हर प्रांत से आये हुए भक्त अपने हृदय में ‘वसुदैव कुटुम्बकम्ब’ का संदर भाव लिए हुए एक विस्तृत परिवार के रूप में सत्गुरू के साकार दर्शन एवं उनकी दिव्य वाणी को श्रवण करेंगे। निसंदेह यह स्वयं में एक अलौकिक नजारा होगा जहां पर सभी जनमानष अपनी भाषा, जाति, धर्म एवं वर्ण को भुलाकर ‘एकत्व’ के दिव्य संदेश को वास्तविक रूप में चरितार्थ करेंगे।

 समागम अर्थात् संतों का संगम, इस पावन अवसर की तैयारियां पूर्ण समर्पण एवं चेतनता के साथ भक्तों द्वारा की जा रही है। जिस ओर भी दृष्टि डालो उस ओर ही हजारों की संख्या में निःस्वार्थ भाव से सभी श्रद्धालु भक्त सूर्य की पहली किरण से लेकर सांय ढलने तक सत्गुरु के साकार रूप में दीदार कर, झूमते, नाचते अपनी सेवाओं को आनंदपूर्वक निभा रहे है। इस अनुपम दृश्य को देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे इन श्रद्धालुओं में निरंकारी मिशन की सिखलाई मिलर्वतन एवं एकत्व के संदर भाव को प्रदर्शित कर रही हो। बच्चे, युवा और वृद्ध सभी पूरे जोश के साथ बढ़ चढ़कर इन सेवाओ में तनमयतापूर्वक योगदान दे रहे है। कही पर मैदानों को समतल करने हेतु मिट्टी से भरे तसलों की सेवा और वहीं दूसरी तरफ खाली तसलों की। छोटे-छोटे बच्चे भी अपने नन्हे-नन्हे हाथों में तसलों को उठाकर सेवा का भरपूर आनंद प्राप्त कर रहे है। हर ओर ही सेवा का अनुपम नजारा दृश्यमान हो रहा है। 

यह सब कुछ आने वाले सभी श्रद्धालुओं एवं आंगतुको के भव्य स्वागत हेतु किया जा रहा है ताकि वह समागम में आकर न केवल आध्यात्मिक शिक्षाओं से लाभान्वित होगें साथ ही सभी प्रकार की सुख सुविधाएं भी उपलब्ध करवायी जायेंगी। संतों द्वारा संगतों के लिए टैन्ट लगाना, शामियानों की व्यवस्था में सहायता करना इत्यादि जैसे कार्य भी हर्षोल्लासपूर्वक किये जा रहे है।  उनके दिन-रात किये जा रहे अथक प्रयासो का ही यह सकारात्मक परिणाम है कि मात्र कुछ ही समय में शामियानों की सजी हुई संदर नगरी एक आकर्षक समागम स्थल के रूप में परिवर्तित हो जायेगी। मानव मात्र की सेवा में लगे हुए इन सभी सेवादारों एवं भक्तों के चेहरों पर थकान नहीं अपितु आनन्द की आभा ही प्रतीत हो रही है जिसे देखकर हृदय अत्यंत प्रफुल्लित हो जाता है। 

यह सब केवल सत्गुरु माता जी के पावन आशीर्वाद द्वारा ही हो रहा है। सेवा हेतु सत्गुरु माता जी भी अकसर अपने विचारों में यही समझाते है कि ‘तन पवित्र सेवा किए, धन पवित्र किए दान; मन पवित्र हरिभजन से त्रिविध होय कल्याण।’ अर्थात् तन मन धन से की गयी सेवा सदैव ही सर्वोत्तम कहलाती है जिससे हमारा सर्वत्र रूप में कल्याण होता है। इस पावन संत समागम में समस्त भारतवर्ष के अतिरिक्त दूर देशों से भी लाखों की संख्या में आने वाले सभी श्रद्धालु भक्तों के लिए समुचित प्रबन्ध व्यवस्था की जा रही है। निरंकारी सेवादल के भाई-बहन नीली एवं खाकी वर्दी पहने हुए रेलवे स्टेशन, बस अड्डे और एयरपोर्ट पर आने वाले सभी श्रद्धालु भक्तों का स्वागत करने और उन्हें उनके पूर्व निर्धारित निवास स्थान पर पहंुचाने का प्रबन्ध करते हुए दिखाई देंगें। सेवा की महत्ता का जिक्र निरंकारी मिशन की ‘संपूर्ण हरदेव बाणी’ में भी किया गया है कि

निरिच्छित निष्काम सेवा अमृत के समान है।
कहे ‘हरदेव’ गुरू का इसमें छुपा हुआ वरदान है।

निश्चित रूप में इस दिव्य निरंकारी संत समागम में हर उस महानुभाव का हृदय से हार्दिक अभिनन्दन है जो यहां आकर स्वयं को प्रेम, एकत्व एवं शांति के इस पावन पर्व में सम्मिलित कर परम् आनंद की अनुभूति प्राप्त करना चाहता है।

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