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मध्यप्रदेश में एक दिन में दो रिश्वतखोरो पर शिकंजा.. जबलपुर लोकायुक्त की टीम ने ज्वाइंट कमिश्नर सहकारिता के रीडर को 20000 की रिश्वत लेते पकड़ा.. इधर ग्वालियर लोकायुक्त की टीम ने फॉरेस्ट गार्ड को 20000 की रिश्वत लेते पकड़ा..

 मध्यप्रदेश में एक दिन में दो रिश्वतखोरो पर शिकंजा..

मप्र में भ्रष्टाचार का दंश थमने का नाम नहीं ले रहा है लोकायुक्त द्वारा लगातार कार्रवाई के बावजूद बिना लेनदेन के कार्य नहीं करने वाले अधिकारी कर्मचारी अपनी आदत से बाज नहीं आ रहे हैं। 6 फरवरी को ग्वालियर तथा जबलपुर लोकायुक्त की टीम ने दो अलग-अलग स्थानों पर कार्यवाही करते हुए 20 -20000 की रिश्वत लेते हुए दो रिश्वतखोर कर्मचारियों पर शिकंजा कसा है। ग्वालियर लोकायुक्त की टीम ने शिवपुरी के कोलारस के बदरवास ब्लॉक मे फॉरेस्ट गार्ड वन आरक्षक गिर्राज धाकड़ को 20000 की रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा है।
इधर जबलपुर लोकायुक्त की टीम ने ज्वाइंट कमिश्नर सहकारिता सिद्धार्थ सिंह के कार्यालय में दस्तक देते हुए उनके रीडर राकेश कुमार कोरी को Rs20000 की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा है। सहकारिता विभाग के संभागीय कार्यालय में में लोकायुक्त के छापा पड़ने की खबर से सोमवार दोपहर हड़कंप के हालात बने रहे तथा लोग दबी जुबान से रिश्वतखोर रीडर के कारनामों की चर्चा करते नजर आए।
दरअसल फरियादी सुरेश सोनी जो सेवा सहकारी समिति बरगी में सहायक समिति अधिकारी है इनके द्वारा लोकायुक्त एसपी को दिए गए आवेदन में बताया गया था कि कोर्ट के आदेश और उसका पालन नहीं करने पर लगाएगा कंटेंट के बावजूद ज्वाइंट कमिश्नर सहकारिता के रीडर द्वारा 20000 Rs की रिश्वत की मांग की जा रही है। जिसके बाद लोकायुक्त की टीम द्वारा आज कार्यालय पहुंचकर इन को रंगे हाथों पकड़ा गया। 
 उल्लेखनीय है कि शिकायतकर्ता सोसाइटी के वरिष्ठ कर्मचारी सुरेश सोनी के सीनियर होने के बावजूद जूनियर कर्मचारी को सोसाइटी प्रबंधक बना दिया गया था जिसकी शिकायत इनके द्वारा किए जाने के बाद कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी जिस पर इनके पक्ष में फैसला आने के साथ कोर्ट ने प्रबंधक बनाए जाने के निर्देश दिए थे। इसके बावजूद कोर्ट के आदेश को दरकिनार किए जाने पर न्यायालय की अवमानना की अपील भी इनके द्वारा की गई थी जिसकी आज पेशी भी थी। कोर्ट के आदेश के बावजूद लीडर राकेश कोरी द्वारा ₹20000 मांगे जाने की शिकायत लोकायुक्त किए जाने पर आज उन्हें रंगे हाथों पकड़ने के बाद में भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा 7 के तहत कार्यवाही की गई है।

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