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सरकार सरपंचों का मानदेय बढ़ा रही.. इधर राजनीतिक संरक्षण प्राप्त नए सरपंच पुराने रिकॉर्ड तोड़ने अमादा.. एक सरपंच ने पानी से भरे दो तालाबो को कागजों में गहरा कराके चार लाख के फर्जी मस्टर कबाड़े.. इधर निजी भूमि में निर्मल नीर, परकुलेशन टैंक की जन सुनवाई में गूंज..

बिना सत्यापन मूल्यांकन के मशीनों से कार्य जारी..

मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री ने आज ही सरपंचों के मानदेय 1750 रु में जबरदस्त वृद्धि करते हुए 4250 रुपए कर दिया है वहीं दूसरी ओर मशीनों से काम कराने वाले सरपंच किस तरह से मनरेगा सहित अन्य योजनाओं में शासन की मंशा के विपरीत कार्य कर रहे हैं इसका उदाहरण देखना हो तो कलेक्टर जिला पंचायत के सीईओ को आज ही पटेरा के रेबझा कला गांव में चल रहा है कार्यो का अवलोकन करके अंदाजा लगा लेना चाहिए।

दमोह। कुछ माह पूर्व पंचायतों के चुनाव के बाद भी गांव में होने वाले कार्यों में भ्रष्टाचार की तस्वीर बदलने का नाम नहीं ले रही है कहीं सरपंच के अनपढ़ कमजोर होने का फायदा उठाकर सचिव रोजगार सहायक मनमाने ढंग से पंचायती राज की योजनाओं को पलीता लगा रहे हैं तो कहीं दबंग सरपंच सचिव सहायक सचिव को हाशिए पर रखकर अपने हाथ जगन्नाथ की कहावत को चरितार्थ करते नजर आ रहे हैं। 
फिलहाल हम तस्वीर दिखा रहे हैं दमोह जिला मुख्यालय से 30 किमी दूर पटेरा जनपद पंचायत अंतर्गत रेबझा कला ग्राम पंचायत की। पांच महीने पहले हुए पंचायत चुनाव में यहां की जनता ने बड़ी उम्मीदों के साथ हजारी सिंह को सरपंच पद पर चुना था। लेकिन लोगों को क्या पता था सरपंच बनते ही यह गांव का भला करने के बजाए अपने अपनों का भला करना शुरू कर देंगे। यह तस्वीर है गांव में निर्माणाधीन परकुलेशन टैंक की है । मनरेगा के तहत बनाए जाने वाले इस टैंक की खुदाई में गांव के ही जाब कार्ड धारी मजदूरों को काम दिया जाना चाहिए था।
  लेकिन जो तस्वीर सामने आई है उनमें पोकलेन मशीन धरती का सीना छलनी करते हुए मजदूरों के हक पर डाका डालते साफ नजर आ रही है। इधर 10 लाख रुपए की लागत से बन रही खकरी का कार्य भी सरपंच महोदय द्वारा निजी जमीन को सुरक्षित रखने के लिए कराया जा रहा है। इधर करीब 6 लाख के निर्मल नीर का निर्माण कार्य सरपंच के खेत में होने की जानकारी सामने आई है। 
इधर पिछले महीने भी पंचायत के 2 तालाबों के गहरीकरण के नाम पर कुआं खेड़ा महदेला एवं रेबझा कला में पूर्व से निर्मित 2 तालाबों के गहरीकरण के नाम पर दो दो लाख रुपए की राशि फर्जी मस्टरोल के जरिए निकाली जा चुकी है। जबकि तालाबों में लबालब पानी भरा हुआ है। ऐसे में यह समझ पाना मुश्किल है कि गहरी करण कार्य के लिए खुदाई किस जगह पर कराई गई होगी ? हो सकता है फर्जी मस्टर धारको ने तालाब के अंदर घुस कर खुदाई करने का कारनामा कर दिखाया हो। लेकिन इसका मूल्यांकन फिलहाल इंजीनियर द्वारा नई किए जाने की जानकारी सामने आई है।
 इसी तरह पूर्व सरपंच द्वारा बनवाई गई सुदूर सड़क पर जेसीबी से कार्य करा कर नए सरपंच द्वारा लाखों रुपए की राशि निकाल लेने की जानकारी सामने आई है। रेबझा कला पंचायत में पिछले सरपंच के कार्यकाल के दौरान मंजूर कार्यों को कराने के नाम पर जिस तरह से नए सरपंच ने नियम कायदा कानून को ताक पर रखकर शासन की योजनाओं को पलीता लगाना शुरू किया है उसकी शिकायतें कलेक्टर, जिला पंचायत के सीईओ से लेकर मध्यप्रदेश शासन की जनसुनवाई तक पहुंच चुकी है। तथा मामला जांच के लिए जनपद पंचायत सीईओ को फॉरवर्ड किया गया है। लेकिन सवाल यही उठता है लाखों का यह घोटाला क्या जनपद के जिम्मेदार अधिकारियों की मर्जी के बिना किया जाना संभव हो सकता है।

इस संदर्भ में जब ग्राम पंचायत के सचिव सुरेंद्र सिंह से संपर्क करना चाहा तो उन्होंने मोबाइल रिसीव करना जरूरी नहीं समझा। इधर इंजीनियर केएल पटेल का मोबाइल स्विच ऑफ बता रहा था। जबकि सरपंच हजारी सिंह का मोबाइल पर कहना था कि परकुलेशन टैंक का काम अभी शुरू ही नहीं किया गया है। वही खकरी का निर्माण कार्य उन्होंने शासन की जमीन पर कराना बताया। फिलहाल देखना होगा जनसुनवाई में की गई शिकायत और इस खबर के दिखाए जाने के बाद शासन प्रशासन और जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी सरपंच सचिव इंजीनियर के खिलाफ केेब तक कार्यवाही करते है।

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