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अब जन्मजात जनसंघी और भाजपाइयों ने पार्टी छोड़ी.. BJP कार्यालय में पदाधिकारी नहीं मिले तो..चौकीदार को सौंपा इस्तीफा..

 मलैया समर्थकों का भाजपा छोड़ने का सिलसिला जारी

दमोह। नगर पालिका चुनाव के ठीक पहले भाजपा में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है हर चुनाव के पहले दूसरे दलों के नेताओं की आवक से गुलजार रहने वाली भाजपा में इस बार मैं चल तू माया की तर्ज पर पार्टी छोड़ने वालों की बहार आई हुई है इनमें भी अनेक नेता तो ऐसे हैं जिनको जन्मजात भाजपाई कहा जा सकता है..

  सोमवार 20 जून को भी वर्तमान भाजपा की नीति रीतियों से आहत होकर जन्म से भाजपाई  नमो नमो मोर्चा के प्रदेश कार्यवाहक अध्यक्ष, भाजपा पिछड़ा वर्ग मोर्चा व युवा मोर्चा के पूर्व प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य सहित पार्टी के अन्य पदों पर रहे युवा समाजसेवी सत्येंद्र साहू अपने समाज के अन्य पदाधिकारियों के साथ जिला भाजपा कार्यालय पहुंचे। जहां देर तक इंतजार के बाद भी जब भाजपा का कोई भी पदाधिकारी नहीं पहुंचा तो उन्होंने पार्टी कार्यालय के चौकीदार को फूल माला पहनाकर अपना इस्तीफा सौंप दिया। उल्लेखनीय है कि सत्येंद्र साहू के पिता स्वर्गीय तुलाराम साहू जनसंघ के जमाने से पार्टी से जुड़े रहे हैं तथा दमोह जिले में वह भाजपा के संस्थापक सदस्यों में शामिल रहे हैं। यही वजह है कि उनके बेटे सत्येंद्र को जन्मजात भाजपाई कहा जाता है।
 

मूल रूप से पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया के समर्थक माने जाने वाले सत्येंद्र साहू अपनी समाज के युवा इकाई के प्रदेश कार्यवाहक अध्यक्ष भी हैं वही प्रदेश भर में साहू समाज सहित पिछड़ा वर्ग को भाजपा के पक्ष में लाने वह निरंतर कार्य करते रहे हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के छोटे भाई प्रहलाद मोदी के साथ भी वह पूरे प्रदेश में साहू समाज को एकजुट करने के लिए दौरा जनसंपर्क में सक्रिय नजर आते रहे हैं। ऐसे में उनके साथ समाज के कुछ अन्य लोगों के भी भाजपा छोड़ने को भले ही वर्तमान पार्टी पदाधिकारी हल्के में ले रहे हो लेकिन इसका व्यापक असर साहू समाज पर पढ़ना तय माना जा रहा है। 
सतेंद्र के भाजपा छोड़ने की वजह उनको उनके वार्ड से भाजपा की पार्षद टिकट नहीं दिया जाना बताया जा रहा है। दरअसल इस वार्ड से सतेंद्र के पिता तुला राम साहू दो बार तथा मां एक बार पार्षद रह चुकी है। वही पिछली बार इनकी मां मामूली अंतर से पार्षद का चुनाव हार गई थी। इसके बावजूद और पार्टी गतिविधियों व कार्यक्रमों में लगातार सक्रियता दर्ज कराती रही थी।
जन्मजात जनसंघी सीताराम नागर ने भी स्तीफा दिया
भाजपा कार्यालय पहुंचकर इस्तीफा देने की बात करने वालों में जन्मजात जनसंघी सीता राम नागर भी शामिल है। सीता राम के पिता प्रसिद्ध केश शिल्पी श्री हरिराम नागर जनसंघ के जमाने से सक्रिय सदस्य रहे हैं वही सीताराम भी जनसंघ से लेकर भाजपा की स्थापना काल के समय से सक्रिय सदस्य रहकर फर्स उठाने  बिछाने जैसे दायित्वों का निर्वहन बरसों करते रहे हैं। आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के बाद भी प्रत्येक चुनाव के समय पार्टी प्रत्याशियों के पक्ष में झंडा बैनर उठाने से लेकर आम सभाओं में सबसे आगे नजर आने वाले सीताराम नागर के पार्टी में योगदान की कदर भले ही आज की भाजपा के नेताओ ने नही की हो लेकिन राजमाता सिंधिया से लेकर आडवाणी जी जैसे नेता भी सीताराम और उनके परिवार के पार्टी में योगदान को मानते व जानते थे यह बात हम नहीं कह रहे बरन इनके परिवार के पास मौजूद पुरानी तस्वीर कहती हैं।
पूर्व छात्र नेता सुनील सोनी ने भी भाजपा छोड़ी

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 भाजपा से इस्तीफा देने वालों में एक और प्रमुख नाम पीजी कॉलेज के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष और जिला भाजपा में पूर्व में जिम्मेदार पदों पर रहे सुनील सोनी भी शामिल है। मूल रूप से पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया के समर्थक माने जाने वाले सुनील सोनी ने जिला भाजपा कार्यालय अपना इस्तीफा देने पहुचे। उन्होंने भी पार्टी में लगातार उपेक्षा का आरोप लगाते हुुुए 25  पार्षद टिकट नहीं देने और पार्टी में हाल ही में शामिल हुए यशपाल ठाकुर को शास्त्री में परोस कर टिकट देने पर नाराजगी जाहिर की है। 
प्रमोद विश्वकर्मा को मनाने में जुटे पदाधिकारी 
सोमवार को भाजपा से इस्तीफा देने वालों में पिछड़ा वर्ग मोर्चा के जिलाध्यक्ष प्रमोद विश्वकर्मा का नाम भी चर्चाओं में था। दोपहर में उनके भी समर्थकों के साथ भाजपा कार्यालय इस्तीफा देने के लिए पहुंचने की संभावना जताई जा रही थी वही उनको रोकने के लिए भाजपा नेता ब्रज गर्ग और उनकी टीम सक्रिय बनी हुई थी। जिसमे फिलहाल वह सफल भी बताए जा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि फुटेरा वार्ड 4 से अपनी पत्नी के लिए भाजपा पार्षद की टिकट मांगने वाले प्रमोद की पत्नी निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर अपना नामांकन भर चुकी है। वही भाजपा इस वार्ड से पूर्व पार्षद पूर्व नपा उपाध्यक्ष नरेंद्र सिंह चंदेल की पत्नी को प्रत्याशी घोषित कर चुकी है। ऐसे में देखना होगा प्रमोद अपनी पत्नी का नामांकन वापस कर वाते हैं या फिर निर्दलीय चुनाव लड़ा कर भाजपा को बाय-बाय करते हैं।

 

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