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कुंडलपुर में बड़े बाबा का महामस्तकाभिषेक अब 22 मार्च तक.. तेजगढ़ में श्री जिनवाणी आस्थाप कलशरोहण तिलक महोत्सव का शुभारंभ.. मुनिश्री अजितसागर जी के सानिध्य में पारसनाथ विधान

 कुंडलपुर में संत शिरोमणि आचार्य गुरुवर विद्यासागर जी महाराज के मंगल सानिध्य में प्रारंभ हुआ बड़े बाबा का मस्तकाभिषेक भक्तजनों की भीड़ को देखते हुए इसे होलिका पर्व से आगे 22 मार्च रंग पंचमी तक बढ़ा दिया गया है। क्षेत्र कमेटी के प्रचार मंत्री सुनील वेजिटेरियन ने बताया कि मस्तकाभिषेक हेतु उमड़ रही भीड़ को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है।


मस्तकाभिषेक आयोजन समिति के प्रभारी श्रेयांश लहरी ने बताया कि होली एवं रंग पंचमी पर मस्तकाभिषेक प्रातः 8.30 बजे से 12.00 बजे तक एवं दोपहर 1.00 बजे से 5.00 बजे तक रखा गया है। कुंडलपुर कमेटी के अध्यक्ष संतोष सिंघई ने सभी श्रद्धालु गणों से मस्तकाभिषेक का सौभाग्य शीघ्र प्राप्त कर लेने का आग्रह किया है क्योंकि आने वाले 9 वर्षों तक अब यह सौभाग्य प्राप्त नहीं होगा बड़े बाबा का अगला महा मस्तकाभिषेक 2031 में आयोजित किया जावेगा।

श्री जिनवाणी आस्थाप कलश रोहण महोत्सव का शुभारंभ
तेंदूखेड़ा ब्लाक के तेजगढ़ में श्री जिनवाणी आस्थाप कलश रोहण तिलक महोत्सव शुभारंभ आज रविवार की सुबह प्रभात फेरी निकाली गई इसके साथ चल रहे विविध कार्यक्रमों में दोपहर में मंदिर के ध्वजों की बढ़चढ़कर बोलियां लगाई गई तत्पश्चात कलशों की बोलियां ली गई इसके वाद पालकी शोभायात्रा निकाली गई
शोभायात्रा में दमोह पथरिया हटा बटियागढ़ जबेरा नोहटा जबलपुर कटनी  तेंदूखेड़ा तारादेही टोरी चोरई दिनारी लुहरा सहित दमोह जिले के अलावा जबलपुर कटनी जिलो से भी भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लेकर धर्म लाभ अर्जित किया
दया का भाव धर्म है- मुनि श्री, जैन धर्मशाला में मंगल प्रवचन
दमोह।
धर्म मनुष्य को दुख से निकाल कर सुख के सिंहासन पर बैठा देता है दया का भाव धर्म है अहिंसा परमो धर्म ह धर्म कोई वस्तु नहीं वरन वस्तु का स्वभाव है। उपरोक्त उद्गार मुनि श्री अजीत सागर जी महाराज ने नन्हे मंदिर में चल रहे पारसनाथ विधान के उपरांत अपने मंगल प्रवचनओं में अभिव्यक्त किए।

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विधान का पुण्य अर्जन राजेंद्र अटल, राजकुमार खजरी, राकेश चौधरी, धनेश जैन सगरा एवं शांति धारा करने का सौभाग्य विमल पटवारी जी एवं गिरनार ट्रेडर्स को प्राप्त हुआ। इस मौके पर अहिंसा चैनल के डायरेक्टर त्रिलोक जी का समाज की ओर से गिरीश नायक अहिंसा, सुनील वेजिटेरियन, संजीव शाकाहारी, चक्रेश सराफ, राजेश आदि ने किया आचार्य श्री की मंगल पूजन करने का सौभाग्य चौधरी मंदिर महिला मंडल को प्राप्त हुआ।

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मुनि श्री ने अपने मंगल प्रवचन में आगे कहा कि यदि राक्षस धर्मात्मा के वेश में आ जाए तो वह बहुत खतरनाक बन जाता है जिस तरह रावण धर्मात्मा के वेश में आकर सीता का हरण कर ले जाता है किंतु उन्हें कभी अपना नहीं बना पाया उसी तरह गंदे मन से किया गया धर्म कभी फलदाई नहीं होता मन यदि गंदा हो तो गंगा में डूबे रहने से भी कोई फर्क नहीं पड़ता जिस तरह गंगा में डूबे मगरमच्छ कभी पवित्र नहीं हो पाते मन की निर्मलता जरूरी है तभी हमें गंगा का जल निर्मल कर पाता है मंदिर में मात्र बैठे रहने से मन पवित्र नहीं होता धर्म को धारण करने से मन पवित्र होता है धर्म बाहर की वस्तु का नहीं वरन अंतरंग के परिणामों की विशुद्धि का नाम है।

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इसके पूर्व एलक श्री दया सागर जी महाराज ने अपने उद्बोधन में कहा कि आत्मा से जुड़ने एवं आध्यात्मिक उपलब्धि के लिए अष्टनिका का पर्व मनाया जाता है यह पर्व हमें अहंकार से मुक्ति दिला कर मुक्ति का मार्ग दिखाते हैं जिनेंद्र भगवान के दर्शन और भक्ति से हमारे मोह की समाप्ति होती है एवं सम्यक दर्शन की प्राप्ति होती है जो हमारे कल्याण के लिए आवश्यक है।

 

 

 

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