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अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि जी महाराज की संदिग्ध हालात में मौत की खबर से हिन्दू समाज के साथ संत समाज और शिष्य परिवार भी हतप्रद.. इधर सुसाइड नोट में 3 नाम सामने आने के बाद पुलिस ने आनंद गिरी को हरिद्वार से हिरासत में लिया..इधर शिष्य ने गुरु की हत्या की आशंका जताई

 अखाड़ा परिषद अध्यक्ष की मौत से समाज हतप्रद

प्रयागराज। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि जी महाराज की संदिग्ध हालात में मौत की खबर ने देशभर के हिंदी समाज के साथ उनके शिष्य मंडल और संत समाज को हतप्रद कर के रख दिया इधर पुलिस द्वारा बरामद किए गए सुसाइड नोट में 3 नाम सामने आने के बाद पुलिस ने हरिद्वार से उनके शिष्य आनंद गिरी को हिरासत में लेने में देर नहीं की है वहीं दो अन्य की तलाश में पुलिस सरगर्मी से जुटी हुई है। 


 उल्लेखनीय है कि पुलिस को नरेंद्र गिरि के कमरे से जो सुसाइड नोट मिला है उसमें आनंद गिरि के नाम के साथ परेशान करने की बात लिखी है। ज्ञातव्य हो कि आनंद गिरि और नरेंद्र गिरि में पिछले साल काफी विवाद के बाद आनंद गिरि को मठ से निष्कासित भी कर दिया था। बाद में आनंद गिरि ने माफी मांग ली और समझौता हो गया था। यूपी के एडीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार के अनुसार सुसाइड नोट में आनंद गिरि का नाम आने के बाद उन्हें हिरासत में लिया गया है। आनंद गिरि फिलहाल हरिद्वार में हैं। वहां की पुलिस ने आनंद गिरि को हिरासत में लिया है। यूपी से विशेष टीम आनंद को लाने के लिए भेजी जा रही है।


अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी की मौत की खबर में जहां उनके शिष्यों के साथ संत समाज को झकझोर कर रख दिया है वही हिरासत में लिये जाने से ठीक पहले आनंद गिरि ने नरेंद्र गिरी की हत्या की आशंका जताने के साथ पुलिस अधिकारियों पर कई आरोप लगाकर ऐसे मर्डर मिस्ट्री करार देने में कोई कसर नहीं छोड़ी है प्रयागराज के आईजी केपी सिंह को भी मामले में संदिग्ध बताने के साथ आनंद गिरि ने नरेंद्र गिरि के कई करीबियों का नाम लेते हुए उनकी हत्या का षड्यंत्र रचने का आरोप लगाया। आनंद गिरि ने नरेंद्र गिरि की सुरक्षा में तैनात सिपाही अजय सिंह, मनीष शुक्ला, अभिषेक मिश्रा और शिवेष मिश्रा का नाम भी लिया है।

सुसाइड नोट में लिखी बातों के छिपे है गहरे राज..
 नरेंद्र गिरी के सुसाइड नोट में आनंद गिरी पर परेशान करने की बातें तक लिखी है। वहीं आनंद गिरी ने इसे  हत्या बताते हुए कहा कि वह बाल्यकाल से उनका शिष्य रहा है। मेरे साथ उनका कोई विवाद नहीं था।  कुछ लोग मठ की जमीन बेचना चाहते थे, मैं उसका विरोध करता था। उन्हीं लोगों ने हम लोगों के बीच अलगाव कराया। उन लोगों ने ही गुरुजी को पहले मुझ से दूर किया और अब उन्हें छीन लिया है। सनातन धर्म की यह सबसे बड़ी हानि है। यह सब एक षडयंत्र है। मेरी भी जान ली जा सकती है।

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