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कोरोना केसो में कमी के साथ टूटने लगा ग्राहक दुकानदारों के सब्र का बांध.. लेफ्ट राइट को भूल व्यापारी दुकाने खोलने पर हुए आमादा.. इधर अध्यक्ष का घेराव करके अनेक व्यापारियों ने प्रतिदिन मार्केट खुलवाने प्रेशर बनाया.. कलेक्टर ने कहा सोमवार को आपदा प्रबंधन की बैठक में विचार होगा..

 लेफ्ट राइट को भूल दुकाने खोलने पर आमादा हुए..


दमोह। जिले में कोरोना संक्रमण का असर कम होने के साथ केसों की संख्या में जमकर कमी आ रही है दूसरी ओर अनलॉक प्रक्रिया प्रारंभ होने के बाद 1 दिन के अंतराल से एक साइड की दुकान है खोलने की इजाजत प्रशासन द्वारा दिए जाने के बाद अब पूरा मार्केट एक साथ खोले जाने की मांग जोर पकड़ने लगी है। इसके पीछे व्यापारियों के अपने तर्क और वजह भी हैं।


 घंटाघर के समीप जिला व्यापारी संघ के अध्यक्ष की दुकान के बाहर पहुंचे अनेक व्यापारियों ने दमोह का बाजार प्रतिदिन खोले जाने के लिए प्रशासन को राजी करने के लिए संजय यादव के समक्ष अपनी बात रखी। तथा प्रशासन की राजी नहीं होने पर धरना प्रदर्शन आंदोलन जैसा रुख अख्तियार करने के लिए भी कहा। जिस पर संजय का कहना था कि आज ही हुआ है व्यापारी साथियों के साथ इस मुद्दे को लेकर कलेक्टर से मिलने गए थे। जिस पर कलेक्टर ने सोमवार को आपदा प्रबंधन समिति की बैठक में प्रतिदिन बाजार खोलने के प्रस्ताव पर विचार करने के लिए कहां है अतः इसके पहले कुछ नहीं हो सकता।


 इसके बाद भी अनेक दुकानदार असंतुष्ट नजर आए तथा वह प्रतिदिन दुकान खोलने की बात पर अड़े रहे।
5 जून से शुरू हुई थी लेफ्ट राइट अनलॉक प्रक्रिया..
उल्लेखनीय है कि आपदा प्रबंधन समिति की पिछली बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार रविवार छोड़कर सप्ताह के 6 दिनों में एक दिन के अंतराल से लेफ्ट राइट साइड की दुकाने सुबह 10:00 बजे से शाम के 8:00 बजे तक खोले जाने की गाइड लाइन तय की गई है। इसके बावजूद करीब डेढ़ महीने से कोरोना कर्फ्यू के कारण शादी विवाह का सीजन गवा चुके व्यापारी गण दुकानें बंद रखने को कतई तैयार नहीं है। 

कोरोना काल मे दुकानदार का दुश्मन बना दुकानदार !



हालांकि केसो में कमी को ध्यान में रखकर प्रशासन भी सख्त कार्यवाही के मूड में नहीं है लेकिन कुछ दुकानदार एक दूसरे की शिकायतें करके कार्रवाई कराने पर अमादा रहते हैं जिससे प्रशासन को मजबूरी में नियम विरुद्ध खुली दुकानों पर कार्रवाई करने पहुंचना पड़ रहा है। कोरोना कर्फ्यू के दौरान भी अनेक बार ऐसे ही हालात सामने आए थे जब कुछ दुकानदार अंदर से ग्राहकी कर रहे थे और दूसरे दुकानदार मीडिया के जरिए प्रशासन को शिकायतें करा कर कार्यवाही कराकर तमाशा देख रहे थे।

मुनाफाखोरी  और ऑक्सीजन प्लांट की चर्चा भी होना चाहिए आपदा प्रबंधन की बैठक में..
सोमवार को आयोजित आपदा प्रबंधन समिति की बैठक में बढ़ती हुई मुनाफाखोरी तथा जिला अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट स्थापना में हो रही देरी को लेकर भी सदस्यों द्वारा प्रशासन का ध्यान आकर्षित कराया जाना चाहिए। आपदा को अवसर बनाने वालो के द्वारा तेल शक्कर से लेकर अन्य खाद्य सामग्री महंगे दामों पर बेचे जाने जैसे मुद्दे को भी इस बैठक में रखा जाना चाहिए। वही कोरोना कर्फ्यू कॉल का दुकानों का किराया, नगरपालिका का टैक्स, बिजली का बिल आदि माफ किए जाने की मांग भी सदस्यों को प्रशासन से करना चाहिए। तभी मनोनीत सदस्यों का आपदा प्रबंधन समिति का सदस्य होना सार्थक कहा जा सकेगा.. पिक्चर अभी बाकी है

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