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मप्र में बढ़ते कोरोना संकट ने जिला/ जनपद पंचायत अध्यक्षों के कार्यकाल को दिया जीवन दान.. पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव की पहल पर सीएम शिवराज सिंह ने जिला जनपद अध्यक्षों का कार्यकाल बढ़ाया.. अब सरपंचों की भी कार्यकाल बढ़ने की आस बढ़ी..

 जनपद जिला पंचायत अध्यक्ष का कार्यकाल बढ़ा                        
भोपाल। कोरोना संक्रमण काल ने मप्र में जिला जनपद अध्यक्ष के कार्यकाल को एक और जीवनदान दे यिा है। अब आगामी आदेश तक या नए अध्यक्षों का निर्वाचन नहीं होने तक सभी जनपद जिला पंचायत अध्यक्ष अपने पद पर बने रहेंगे। यह निर्णय पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव की पहल पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह द्वारा लिए जाने की खबर से पिछले पांच साल से जनपद जिला पंचायतों की सुविधाए भोग रहे नेताओं के चेहरे फिर से खिल उठे है। वहीं ग्राम पचायंतों के सरपंच भी अब अपने कार्यकाल को बढ़ाए जाने की उम्मीदें सजाते नजर आने लगे है।  
मप्र में बढ़ते हुए कोरोना संकट के बीच शिवराज सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए जिला पंचायत और जनपद पंचायतों के अध्यक्षों का कार्यकाल बढ़ा दिया है। शुक्रवार दोपहर सोशल मीडिया पर यह जानकारी वायरल होते ही रिटायर हो गए पंचायत के जनप्रतिनिधियों के चेहरे खिल उठे। इनका कार्यकाल खत्म होने पर हाल ही में प्रशासकों की नियुक्ति गई थी। लेकिन इस आदेश को बदलते हुए आगामी चुनाव तक के लिए पुराने अध्यक्ष अपने पद पर बने रहेंगे। 
प्राप्त जानकारी के अनुसार जिला और जनपद पंचायतों के अध्यक्षों के कार्यकाल को बढ़ाने को लेकर शुक्रवार को मुख्यमंत्री आवास पर आयोजित बैठक के दौरान पहुचे जिला और जनपद अध्यक्षों के प्रतिनिधि मंडल ने मुख्यमंत्री से कार्यकाल बढ़ाने की मांग की। इस दौरान पूर्व पंचायत मंत्री गोपाल भार्गव ने भी इनकी मांग को उचित बताया। उन्होंने कहा कोरोना संकट में ग्रामीण प्रतिनिधि महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं तथा कार्यकाल बढ़ने से कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ने में ग्रामीण क्षेत्रों में मदद मिलेगी व सभी जनप्रतिनिधि युद्धस्तर पर काम करेंगे। जिसके बाद मुख्यमंत्री शिवराज जी ने प्रशासक की नियुक्ती वाले पुराने निर्णय को बदलकर पुराने अध्यक्षों के कार्यकाल को बढ़ाने का निर्णय लेने में देर नहीं की।
उल्लेखनीय है कि  जिला और जनपद पंचायतों के कार्यकाल समाप्त होने पर मध्यप्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 के प्रावधानों के तहत प्रशासक नियुक्त करने के 13 अप्रैल के निर्णय को निरस्त करते अब सरकार प्रशासकों से अधिकार वापस लेते हुए अध्यक्षों को फिर से जिम्मेदारी सौंप दी जाएगी। 

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