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इंदौर विकास प्राधिकरण के उपयंत्री के 10 ठिकानों पर लोकायुक्त का छापा.. डेढ़ किलो सोना, 25 लाख नकद, करोड़ों की संपत्ति के दस्तावेज मिले.. लोकयुक्त टीमो की जांच जारी..

आईडीए के सब इंजीनियर के 10 ठिकानों पर पड़े छापे-
 इंदौर मध्यप्रदेश लोकायुक्त की टीम ने इंदौर विकास प्राधिकरण के प्लानिंग शाखा के सब इंजीनियर के 10 ठिकानों पर शनिवार सुबह एक साथ दबिश दी। टीम गजानंद पाटीदार के योजना क्रमांक 78 स्थित निवास के साथ ही उनके बहन और भाई के घर पहुंची। एक टीम उनके खरगोन स्थित पैतृक निवास पर भी तलाशी लेने पहुंची। सूत्रों के अनुसार कार्रवाई में टीम को करोड़ों रुपए की संपत्ति मिली है। इसमें 25 लाख रुपए नकद और साेने-चांदी की ज्वैलरी भी शामिल है।  
 फिलहाल इस पूरे मामले में लोकायुक्त 10 टीमों के द्वारा अलग अलग जांच कार्रवाई जारी है। अभी इनके बैंक लाकरो आदि के बारे में जानकारी नहीं लगी है। वहीं मध्य प्रदेश लोकायुक्त के वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक शाम तक बड़े खुलासे की उम्मीद की जा रही है। 
 स्कीम नंबर 78 स्थित निवास पर जैसे ही टीम ने दरवाजा खटखटाया, गेट खुलते ही इंजीनियर के हाथ-पांव फूल गए। लोकायुक्त पुलिस इंस्पेक्टर विजय चौधरी ने बताया कि सुबह जिस समय गजानंद पाटीदार के घर पर छापा मारा गया, उसी समय गजानंद पाटीदार के आठ अन्य ठिकानों पर भी छापा मारा गया है। इनमें योजना स्कीम - 78 योजना, स्कीम -136, योजना स्कीम -114 तथा सुखलिया स्थित ठिकाने शामिल हैं। प्रारंभिक जांच में गजानंद पाटीदार के पास करोड़ों रुपए की संपदा होने के दस्तावेज मिले हैं। टीम को छापे में अब तक करोड़ों रुपए की संपत्ति के दस्तावेज मिले हैं। इसमें स्कीम नंबर - 94 में एक मकान, खरगोन स्थित शेगांव में पैतृक निवास, 25 लाख नकद, करीब सवा लाख का गोल्ड, स्कीम 78 में 2500 स्क्वेयर फीट पर मकान, एक खाली फ्लाॅट और गार्डन, खेती की जमीन, दुकान शामिल हैं।  
  लोकायुक्त की एक टीम गजानंद के बड़े भाई और बिल्डर रमेश चंद्र पाटीदार के यहां भी पहुंची। टीम ने यहां पर दस्तावेज जांचे और उन्हें जब्त किया। बताया जाता है कि गजानंद नौकरी के साथ ही अपने भाई के कारोबार में भी भागीदार हैं। प्लालिंग शाखा में होने की वजह से इन्होंने जमीन और बिल्डिंग में बड़ी मात्रा में मोटी कमाई की है।  गजानंद पाटीदार पांच साल पहले ही पदोन्नति पर इंदौर विकास प्राधिकरण में सब इंजीनियर बने हैं। वर्तमान में उनका वेतन करीब 55 हजार रुपए महीना है। शुरू से ही वे प्राधिकरण की प्लानिंग शाखा में ही काम कर रहे हैं। प्राधिकरण द्वारा लाई जाने वाली किसी भी नई योजना का प्लान बनाने का काम शाखा के द्वारा किया जाता है।  फिलहाल जांच जारी है और बड़े खुलासे की उम्मीद की जा रही है।

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