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यह तो कमाल हो गया.. सामुदायिक भवन निर्माण हेतु 6 लाख में सिर्फ गड्ढे ही खुदे.. ब्लाक कांग्रेस की शिकायत पर CEO ने गठित कर दी 6 सदस्यी जांच कमेटी..

भवन निर्माण हेतु 6 लाख में सिर्फ गड्ढे ही खुदे-
दमोह।  पंचायती राज व्यवस्था में  निर्माण कार्यों की  वास्तविक स्थिति  और सत्यापन  हालात को लेकर  अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों में "ढाक के तीन पात"  जैसे हालात किसी से छिपे नहीं है। किराना और स्टेशनरी दुकान के कच्चे बिलों में सीमेंट लोहा खरीदी के पक्के बिल लगकर भुगतान हो जाने जैसे हालात के बीच अब लाखो रुपये के गड्ढे भी सामने आने लगे है।

"यह तो कमाल हो गया" जैसे हालात को बयान करते यह गड्ढे दमोह जिला मुख्यालय से महज चंद किलो मीटर की दूरी पर स्थित सिंगपुर ग्राम पंचायत की शोभा बढ़ा रहे हैं। बनना तो यहाँ पर 12 लाख का सामुदायिक भवन था। लेकिन महंगाई के इस दौर में 6 लाख रुपए में 40 पैसे कम की राशि खर्च हो गई और सिर्फ़ गड्ढे ही खुद सके।
 इस मामले को लेकर कांग्रेस के ग्रामीण ब्लॉक अध्यक्ष नितिन मिश्रा अपनी टीम के साथ दमोह जनपद कार्यालय पहुचे। जहा उन्होंने जनपद पंचायत के सीईओ को लिखित शिकायत देते हुए सिंगपुर ग्राम पंचायत में 14 अप्रैल 2018 को 12 लाख रुपए के सामुदायिक भवन निर्माण की स्वीकृति मिलने के हालात की जानकारी दी। तथा यहा पर करीब 6 लाख खर्च हो जाने के बाद सिर्फ गड्ढे ही हो पाने के हालात से भी अवगत कराया।
इसी तरह हिरदेपुर ग्राम पंचायत में विधायक निधि से बनी सड़क तथा बिजोरी ग्राम पंचायत में कराए गए कार्यों की भी भौतिक सत्यापन की मांग शिकायत पत्र में की गई है। इधर कल तक भाजपा सरकार मैं शिकायतों की अन देखी, अनसुनी करने वाले सीईओ महोदय भी सरकार बदलते ही अपनी कार्यशैली में भी बदलाव लाते हुए नजर आए। ब्लॉक ग्रामीण कांग्रेस अध्यक्ष की शिकायत को वह गंभीरता से लेते हुए उक्त कार्यों की जांच के आदेश भी तत्काल देने से नही चुके।
इस हेतु तत्काल ही जनपद पंचायत के 6 अधिकारियों की एक समिति गठित कर दी गई है। जिसमें सहायक यंत्री, एपीओ, दो उपयंत्री और दो पीसीओ की टीम उक्त ग्राम पंचायतों में मौका स्थल पर पहुंचेगी। ग्राम पंचायत द्वारा खर्च की गई राशि तथा मौके पर मौजूद काम का सत्यापन करेगी। तथा इसकी रिपोर्ट जल्द ही जनपद पंचायत के सीईओ को सौंपगी। 

मौका स्थल के हालात और जांच रिपोर्ट यदि पारदर्शी रही तो तय है कि यह गड्ढे 50-50 हजार रुपए की लागत वाले ही साबित होंगे। बीच में किसी प्रकार की सेटिंग नहीं हुई तो फिर राशि का दुरुपयोग करने वालों पर कार्यवाही होना भी तय रहेगा। देखना होगा कि लाखों के इन गड्ढों पर सामुदायिक भवन आकार ले पाता है अथवा नहीं। वैसे भी इस भवन की आधारशिला रखने वाले अब सर कार में नहीं है। तथा शिकायतकर्ता अपनी जिद पर और जांच पर अड़े रहे तो सत्यापन में "दूध का दूध पानी का पानी" होने में देर नही लगेगी। 

निर्माण कार्यों के  सत्यापन कराने की मांग को लेकर इसी तरह की शिकायतें करने यदि अन्य लोग भी आगे आने लगे तो पंचायतों में हुए फर्जीवाड़े की "पोल पट्टी खुलते" देर नहीं लगेगी। अन्यथा पंचायत के कार्यो और हालात का तो भगवान ही मालिक बचा है, तभी तो पंच परमेश्वर जैसी योजनाओं में भी फर्जी बाड़े ने सेंध लगाने में कोई कसर नही छोड़ी है। अटल राजेंद्र जैन की रिपोर्ट

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