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बसस्टेंड शहर से बाहर ले जाने का मामला विकास पर पड़ा भारी.. कांग्रेस के शिलालेखों पर कुत्तो के पेशाब करने व राक्षस बताने जैसे बयान ने भी किया नुकसान..

बसस्टेंड शहर से बाहर ले जाने का मामला पड़ा भारी-
दमोह। मध्य प्रदेश के वित्त मंत्री जयंत मलैया द्वारा अपने विधानसभा क्षेत्र में करोड़ों अरबों रुपए की राशि से विभिन्न निर्माण विकास कार्य कराए जाने के बावजूद उनकी कांग्रेश के नए नवेले प्रत्याशी से हुई हार को अप्रत्याशित नहीं कहा जा सकता। करए दिनों में कराए गए निर्माण कार्यों के भूमि पूजन मूर्त रूप ले सकेंगे अथवा नहीं यह तो भविष्य बताएगा लेकिन उसके दुष्परिणाम को लेकर कमेंट करने से विरोधी अब नही चूक रहे है।
इस हार की इबारत तो शायद उसी दिन से लिखना शरू हो गई थी जब कचोरा बाजार के अधूरे विकास का खाका तैयार किया गया था। कचौरा बाजार से लगे बसस्टेंड को कीचड़ मुक्त कराने के बजाय शहर से दूर सागर बाईपास पर नए बसस्टेंड का शिलान्यास कर दिया गया था। करय दिनों में नए कार्यों की शुरुआत के धार्मिक व्याख्यान को भी नजरअंदाज कर गया था।

उस समय कांग्रेस के कुछ लोगों ने विधानसभा चुनाव घोषणा के पहले शहर से बाहर नए बस स्टैंड की भूमि पूजन तथा इसके निर्माण पर खर्च होने वाली राशि प्रावधान को लेकर आपत्ति दर्ज कराई थी। जिस पर तत्कालीन वित्त मंत्री और दमोह के विकास पुरुष श्री जयंत मलैया यह कहने से नहीं चूके थे कि हम जो भूमि पूजन करते हैं वह कार्य भी पूरा करते हैं और कांग्रेस के शिलालेखों पर कुत्ते पेशाब करते हैं।


नए बस स्टैंड के भूमि पूजन शिलान्यास समारोह के मौके पर 28 सितंबर 2018 को मंत्री श्री मलैया के दंभ भरे बयान की यह वीडियो Atalnews 24 पर उस समय भी दिखाकर अलर्ट करने का प्रयास किया गया था, कि श्री मलैया जैसे वरिष्ठ विकास पुरुषों के श्री मुख से इस तरह की भाषण बाजी अच्छी नहीं लगती। और इसका जनता में गलत संदेश जा सकता है। 

लेकिन उस समय दमोह में दंभ में डूबे भाजपा नेताओं को  नए बस स्टैंड का  विरोध करने वाले कांग्रेसी राक्षस नजर आ रहे थे। 28 सितंबर 2018 को ही नव बसस्टेंड शिलान्यास अवसर पर मंत्री श्री मलैया के भाषण के पूर्व उनके खास सिपहसालार जिला भाजपा के महामंत्री रमन खत्री ने इस तरह से विरोध करने वाले कांग्रेसियों को कालनेमि राक्षस की संज्ञा दी थी। उस समय भी भाजपा नेता इसे गंभीरता से लेने की बजाय तालियां बजाते नजर आए थे।

 Atalnews 24 ने उस समय भी इन वीडियो को खबर में दिखाकर यह बताने की कोशिश की थी कि सत्ता में बैठे लोगों को इस तरह की बयानबाजी अर्थात बड़बोला पन शोभा नहीं देता। लेकिन उस समय किसी ने इसे गंभीरता से नहीं लिया था। यहां तक की भूरा गैंग ने तो "लाल पीले" होने की नौटंकी करते हुए नए बस स्टैंड का विरोध करने वालों को विकास विरोधी कहने में भी कोई गुरेज नहीं किया था। 

विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान विजय करमरकर जैसे पुराने भाजपाई ने अनाउंसमेंट के जरिए नए बस स्टैंड का खूब प्रचार किया। वही पुराने समाजवादी संतोष भारती ने नए बस स्टैंड के आसपास ओजस्विनी परिवार द्वारा भारी मात्रा में खरीदी गई जमीन के पंपलेट शहर में वितरित करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। इधर गूगल मैप में वर्तमान बसस्टेंड के ओजस्विनी नर्सिंग कॉलेज शो होने के मुद्दे को भी कांग्रेसियों ने जमकर हवा दी। 

हालांकि इन सब को लेकर ओजस्विनी समदर्शी न्यास की चेयर पर्सन तथा मंत्री जयंत मलैया की धर्मपत्नी डॉ सुधा मलैया सफाई देती रही। जिला प्रशासन के समक्ष शिकायतें दर्ज कराती रही। लेकिन लोगो के बीच में उनकी बात को सही तरीके से पहुंचाने में गंभीरता नहीं दिखाई गई। हालांकि शहर में गुंडागर्दी के पुराने दिनों की याद दिला कर तथा रूपेश का जिला बदर करा कर इस मामले को भटकाने का प्रयास किया गया। इसके बावजूद गांव के लोगों ने नए बसस्टैंड को लेकर खुलकर विरोध में वोट दिए। गांव वालों के लिए नए बस स्टैंड से शहर तक आने के लिए गांव से शहर आने के किराए से ज्यादा पैसे लगने की बात को प्रचारित करने में कांग्रेसी  सफल रहे। तथा पुराने बस स्टैंड के आसपास रोजी रोटी चलाने वाले आशंकित बने रहे।

जिले में करोड़ों अरबों की विकास योजनाए आने के वाद भी शहर के पुराने बस स्टैंड की अनदेखी करने, कांग्रेसियों द्वारा बसस्टेंड के कीचड़ में बेशर्म के फूल खिलाने पर नए बस स्टैंड निर्माण कराने का जोर शोर से प्रचार करके जल्दबाजी में इसका भूमि पूजन व बढ़-चढ़कर बयान बाजी दिए जाने जैसे हालात को लेकर आम जनता के बीच होने वाले रिएक्शन की खबर दिखाए जाने के बाद भी सत्ता के मद में डूबे लोगों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया गया था नतीजा सामने है।
मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार को हटाकर कमल नाथ की सरकार के शपथ लेने के दिन यह खबर दिखाने का उद्देश्य मंत्री मलैया परिवार या भाजपाइयों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का नहीं है। बल्कि यह बताने का प्रयास है कि "दिया तले अंधेरे के" हालात कभी कभी "सूर्य के प्रकाश" को भी फीका कर देते हैं। हालांकि प्रदेश में भाजपा और दमोह में मंत्री मलैया की पराजय की वजह और भी है।

 "माई के लाल"  जैसे वयानो से लेकर संविदा कर्मियों के आंदोलन के दौरान बयान बाजी, पेट्रोलियम पदार्थों पर जबरदस्त टैक्स, महंगाई, किसान आंदोलन, टिकिट वितरण में वरिष्ठजनो की अनदेखी, पार्टी कार्यकर्ताओं  के बजाय चंद नेताओं को लगातार लाभ, पार्टी मंच से लेकर हर मोर्चे पर भूरा गैंग की मौजूदगी, नगर विकास कार्यो में पार्षदों की मनमानी भ्रष्टाचार, नगर पालिका में जमकर कमीशन बाजी, सीएमओ की जगह प्रभारी के मैनेजमेंट पर भरोसा, 15 साल की सत्ता में समर्पित जनों की उपेक्षा तथा अवसर वादियों को अपनाने की पराकाष्ठा, चुनाव के दौरान जातिवादी  मुद्दों को हवा, कतिपय अधिकारी कर्मचारियों को बढ़ावा  देना जैसी अनेक बजह भाजपा और शिवराज की लोकप्रियता और विकास पर भारी पड़ती नजर आई हैं। जिन पर गौर करना लोकसभा चुनाव के पहले जरूरी है। अन्यथा नतीजे फिर चौकानेवाले ही आएंगे। अटल राजेंद्र जैन की रिपोर्ट

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