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बाबाजी अब आटो तथा ऋषि ट्रैक्टर की सवारी भर से काम नहीं चलेगा..चुनावी रेस में बने रहने चंचला लक्ष्मी पर जोर देना जरूरी..!

चुनाव खर्च मैं अभी से कंजूसी दिखाने लगे प्रत्याशी-
 विधानसभा क्षेत्रों से चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों की चिन्ह मिलने के साथ स्थिति साफ हो चुकी है लेकिन प्रचार के 3 दिन बीत जाने के बाद भी अधिकांश प्रत्याशी चंचला लक्ष्मी का उपयोग करने से बचते नजर आ रहे हैं। जिससे समर्थकों में हताशा के भाव देखे जाने लगे हैं। ऐसे में कार्यकर्ताओं का रुझान उस तरफ होना स्वाभाविक है जहां "श्री लक्ष्मी जी सदा सहाय करें" का सन्देशा देती नजर आ रही है। 
दमोह जिले के चारों विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा कांग्रेस की जीत के समीकरणों के बीच में बागी प्रत्याशियों की भूमिका अहम नजर आ रही है। इस के बावजूद बागी प्रत्याशियों को मैनेज करने के मूड में दोनों ही दलों के उम्मीदवार नजर नहीं आ रहे हैं। इधर बागी प्रत्याशी भी जिस अंदाज में नामांकन के दौरान गरज बरस रहे थे अब चुनाव प्रचार के पहले दौर में फुस्स होते नजर आ रहे हैं।
बाबाजी.. आटो में सवार होने से काम नही चलेगा-


 दमोह तथा पथरिया से जोर शोर के साथ निर्दलीय नामांकन दाखिल करने वाले पूर्व मंत्री रामकृष्ण कुसमरिया के ऊपर पूरे प्रदेश की निगाहें लगी हुई है लेकिन बाबा जी पहले ही दौर में चुनावी खर्च के मामले में ठंडे पढ़ते नजर आ रहे हैं। भाजपा के बागी रामकृष्ण कुसमरिया अब ऑटो रिक्शा पर घूमते नजर आ रहे हैं। जबकि इन को मनाने के लिए भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा हेलीकॉप्टर लेकर आए थे। दरअसल इन को  ऑटो रिक्शा चुनाव चिन्ह मिला है  इसलिए आज यह  ऑटो की सवारी करते नजर आए। इधर उन्हें चुनाव लड़ाने के लिए उकसाने वाले लोग भी धीरे धीरे छठते जा रहे हैं। 


बाबाजी आप भी कई बार सांसद विधायक और एक बार कैबिनेट मंत्री रहे हैं ऐसे में अब आपको अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए चंचला लक्ष्मी का उपयोग करना बेहद जरूरी हो गया है। अन्यथा समर्थक आपको ऑटो में ऐसे ही अकेला छोड़ देंगे। बाबाजी अब आटो से काम नहीं चलेगा। आपको "बाबा बड़ा दिलेर है बुंदेलखंड का शेर है" नारे को सार्थक करने के लिए अब चंचला लक्ष्मी का उपयोग बहुत आवश्यक हो गया है। अन्यथा आपका यह विद्रोह व्यर्थ जाते देर नही लगेगी। 
अकेले ट्रैक्टर की सवारी से काम नहीं चलेगा ऋषि भैया-

जबेरा विधानसभा क्षेत्र में जनसंपर्क की रेस में सबसे आगे चल रहे हैं। भाजपा के बागी प्रत्याशी राघवेंद्र सिंह ऋषि लोधी को ट्रैक्टर चलाता किसान चुनाव चिन्ह मिला है तथा वह ट्रैक्टर के जरिए ही अपने प्रचार अभियान में जुटे हुए हैं। इन्होंने भी यदि अपनी चंचला लक्ष्मी का सदुपयोग नहीं किया तो आने वाले दिनों में रेस में पिछड़ते देर नहीं लगेगी। क्योंकि एक तरफ भाजपा दूसरी तरफ कांग्रेश और तीसरी तरफ पूर्व मंत्री के पुत्र आदित्य खड़े हैं। समय रहते धन का सदुपयोग करके इस स्वर्ण अवसर का लाभ उठाने से नहीं चूक ना ऋषि।
मलैया के मुकाबले की आर्थिक स्थिति में कोई नही-

दमोह जिले में भाजपा प्रत्याशियों के आर्थिक हालात की चर्चा करें तो दमोह के भाजपा प्रत्याशी  प्रदेश के कुबेर कहे जाने वाले वित्त मंत्री जयंत मलैया को पहले से लक्ष्मी पुत्र है। पिछले 5 सालों में उनकी तथा पत्नी की संपत्ति में दो तीन गुना इजाफे के बाद उम्मीद की जा रही है कि चुनाव प्रचार के दौरान खर्च करने में वह पूर्व की तरह दोनों हाथों से चंचला लक्ष्मी का उपयोग करने से नहीं चूकेंगे।
राहुल सिंह जनसंपर्क करने भर से काम नहीं चलेगा-

दमोह से कांग्रेस प्रत्याशी राहुल सिंह ने कांग्रेस टिकट की रेस जीतने में जिस तरह से बाजी मारी है वेेसी वाजी चुनावी रेस में चंचला लक्ष्मी के उपयोग के बिना संभव नहीं है। लगातार जनसंपर्क के बावजूद जिस तरह से कांग्रेस टिकट के दावेदार और वरिष्ठ नेता दूर नजर आ रहे हैं उसके लिए समय रहते चंचला लक्ष्मी का उपयोग शुरू करना अभी से आवश्यक है। अन्यथा रेस में पिछड़ते देर नहीं लगेगी।
पटेल की कंजूसी से कार्यकर्ता भी रहते है नाखुश-

 पथरिया से दोबारा भाजपा प्रत्याशी बनाए गए लखन पटेल भी आर्थिक तौर पर कहीं से कमजोर नहीं है। स्टेट बैंक की नौकरी से इस्तीफा देकर ऑपरेटिव बैंक के अध्यक्ष तथा उसके बाद पथरिया से विधायकी तक के सफर में उन्होंने जोड़ा अधिक और खर्च कम किया है। चुनाव घोषणा पत्र में 5 साल की आय में जो वृद्धि उन्होंने दर्शाई है यदि उसी का उपयोग चुनाव प्रचार में कर दिया तो वह रेस में वापिस आ सकते है। अन्यथा अभी तो वह तीसरे नंबर पर नजर आ ही रहे हैं।
पथरिया की रेस में हाथी के पीछे लगी साइकिल-

पथरिया विधानसभा क्षेत्र में  हाथी के सहारे  चुनावी रेस में  फिलहाल सबसे आगे नजर आने वाली बसपा प्रत्याशी रामबाई के समर्थक भी चुनावी खर्च के मामले में कंजूसी दिखाते नजर आ रहे हैं। समय रहते इन को हाथी की चाल की तरह लक्ष्मी का उपयोग कर लेना चाहिए। 

वहीं इनके निकट प्रतिद्वंदी की दौड़ में शामिल होते नजर आ रहे साइकिल सवार हजारी पुत्र अनुराग वर्धन के प्रचार पर अभी से चंचला लक्ष्मी का उपयोग नहीं किया गया तो ऐन मौके पर साइकिल के पंचर होते देर नही लगेगी।
गौरव ध्यान रखो ऐसे मौके बार-बार नहीं मिलते-
पथरिया से पहले ही प्रयास में कांग्रेस टिकट के दिग्गज दावेदारों को पछाड़कर कांग्रेसी प्रत्याशी बन जाने वाले गौरव को अपना गौरव बचाने के लिए चंचला लक्ष्मी का भरपूर उपयोग आवश्यक हो गया है। हार्दिक पटेल के कोटे से कांग्रेस की टिकट लेने वाले गौरव पटेल ने यदि अभी भी कंजूसी दिखाई तो उनको कांग्रेस की टिकट मिलना और ना मिलना एक बराबर साबित हो सकता है। क्योंकि ऐसे मौके बार-बार नहीं मिलते दूसरी बार नहीं मिलते सनद रहे वक्त पर काम आवे।
 तंतुबाय अब आडिटर नही केशियर बनकर दिखाए-

हटा से भाजपा प्रत्याशी बनाए गए पीएल तंतुबाय की टिकिट "बिल्ली के भाग से छींका टूटने" की कहावत को चरितार्थ करती है। अपनी अर्धांगिनी के सहारे  राजनैतिक भवर में उतरे श्री तंतुबाय की सहजता भले ही उनकी सबसे बड़ी पूंजी हो, लेकिन चुनाव में उन्हें अपने विवेक से चंचला लक्ष्मी का उपयोग ऑडिटर के बजाय कैसियर की तरह करना जरूरी है। यदि दूसरे लोग मैनेजर बनकर संचालन करते रहे तो अच्छा मौका चूकते देर नही लगेगी। 
हरिशंकर तुम इस बार भी वेसे ही नहीं हार जाना-
हटा से दूसरी बार कांग्रेस के प्रत्याशी बनाए गए हरिशंकर चौधरी की पिछली चुनावी हार की एक वजह चंचला लक्ष्मी के उपयोग में बड़ी चूक रही थी। इस बार भी शुरुआती दौर में ऐसे ही कुछ हालात नजर आ रहे हैं। इस बार भी यदि चंचला लक्ष्मी के उपयोग में इनके द्वारा  चूक की गई तो शायद अगली बार कांग्रेश टिकट देने में भी चूक कर जाएगी। इधर कांग्रेस से बगावत करने वाले प्रदीप खटीक भी खर्च के मामले में शुरुआत से कंजूसी दिखाते नजर आ रहे हैं ऐसे में आने वाले दिनों में रेस मैं पिछड़ने के हालात बनते देर नहीं लगेगी।
धर्मेंद्र को फिल्मी स्टाइल में दिलेरी दिखाना जरूरी-

जबेरा विधानसभा क्षेत्र से पहले ही प्रयास में भाजपा की टिकट पा जाने वाले धर्मेंद्र सिंह लोधी को चुनावी खर्च के मामले में दिलेरी दिखाने की सबसे अधिक आवश्यकता है। यदि इन्होंने चंचला लक्ष्मी का उपयोग करने में जरा सी भी चूक की तो तो चुनाव नतीजे पंचायत चुनाव के अनु भव को दोहराने वाले भी हो सकते हैं। 
प्रताप और आदित्य को नाम सार्थक करना होगा-

कांग्रेश प्रत्याशी प्रताप सिंह को अपनी विधायकी कायम
रखने तथा आदित्य सालोमन को अपने पिता के पद चिन्हों पर चलने चंचला लक्ष्मी के उपयोग की अभी से जरूरत महसूस की जा रही है। 

और अंत में समझदार को इशारा काफी है-

हमाओ इतनो सब कछु लिखबो समझदार को इशारो काफी है। वैसे भी बुंदेलखंडी में यह कहावत चरितार्थ है कि सौ बक्का और एक लिक्खा। सो हमाये लिखवे को आशय जो ई है कि ई चुनाव मैदान में अपनी दमदार उपस्थिति दिखाने हैं तो चंचला लक्ष्मी के मामले में पत्रकारों की अनदेखी न करियो। काय से पत्रकारई ऐसे जीव हैं जो चुनावन के बाद भी अच्छी बुरी खोटी जनता को बतात रहे। जै राम जी के साथ सबई चुनाव लड़बे वारो को शुभ होय। अटल राजेंद्र जैन

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