कालोनियों में निशुल्क सफाई सेवाओं पर लगी रोक
दमोह। लगातार आर्थिक तंगी से जूझ रही दमोह नगर पालिका ने नए सीएमओ के आने के बाद आखिरकार बड़ा कदम उठा लिया है। जिससे बड़े लोगों के निवास वाले कॉलोनी क्षेत्र में अब सफाई का संकट गहरा सकता है। क्योंकि नगर पालिका ने इन कॉलोनी क्षेत्र में निशुल्क सफाई सेवा देने पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। बताया जा रहा है कि पिछले तीन-चार साल में नगर पालिका ने यहां पर साफ सफाई पर 2 करोड़ से अधिक खर्च किए। फिर भी टैक्स के रूप में नगर पालिका को एक धेला भी नहीं मिला। जबकि संबंधित कॉलोनाइजर अपने रह वासियों से हर महीने विभिन्न सेवाओं के बदले में कितना शुल्क वसूलते हैं यह किसी से छिपा नहीं है।
दमोह मुख्य नगर पालिका अधिकारी प्रदीप कुमार शर्मा ने नगर वासियों से कहा है नगर निरीक्षण दौरान किल्लाई नाका से पीजी कालेज एवं किल्लाई नाका से सुरेखा कालोनी तक सफाई नहीं पायी गयी। प्रभारी निरीक्षक अभिषेक शुक्ला एवं श्री प्रेम पारोचे स्थायी कर्मी द्वारा बताया गया कि ग्रामीण क्षेत्र में आने वाली सुरेखा कालोनी अभिनव होम बसुंधरा कालोनी द्वारका पुरी मधुवन कालोनी इन्द्रमोहन नगर ऐलोरा कालोनी विजय नगर आदि में सफाई हेतु कर्मचारी भेजने के कारण नगरीय क्षेत्र में सफाई नहीं हो पा रही एवं वाहनों की कमी के कारण नगरीय क्षेत्र में भी सभी जगह अपशिष्ट संग्रहण वाहन नहीं पुहँच रहे है।
यह कालोनियॉ वर्तमान में ग्राम पंचायत द्वारा शासित है एवं स्वच्छ भारत मिशन के तहत प्राप्त होने वाली राशि इस वित्तीय वर्ष के लिये ग्राम पंचायत हिरेपुर जनपद पंचायत दमोह को प्राप्त हुई है। मप्र कालोनी विकास नियम 2021 के नियम 19 के अनुसार ष्कालोनाईजर द्वारा कालोनी का विकास कार्य पूर्ण कर लेने के पश्चात् विकास कार्य पूर्ण कर लेने की सूचना प्रारूप पाँच क में सक्षम प्राधिकारी को दी जायेगी। सक्षम प्राधिकारी सूचना प्राप्त होने के पश्चात् 15 दिन की कालावधि के भीतर संबंधित कालोनी के विकास कार्यों का निरीक्षण सक्षम तकनीकी अधिकारियों से करायेगा तथा विकास कार्य पूर्णतः प्रमाण पत्र जारी किये जाने की तरीख को संबंधित कालोनी संधारण के लिये मप्र प्रकोष्ठ स्वामित्तव नियम 2019 के तहत गठित रहवासी कल्याण समीति को अंतरित की गई समझी जायेगी।
मप्र नगरपालिका जल प्रदाय मल जल तथा ठोस अपशिष्ट सेवाओं के लिये उपभोक्ता प्रभार नियम 2020 के प्रावधान में भी निशुल्क सेवा प्रदाय संभव नहीं है। विगत लगभग तीन.चार वर्षों से सेवा प्राप्ति के बावजूद कोई शुल्क नहीं दिया गया जबकि उक्त कालोनियों में दी गई सेवाओं पर लगभग 2 करोड़ रूपये से अधिक व्यय नगर पालिका का हुआ है। वर्तमान में नगर पालिका की वित्तीय स्थिति अत्यंत दयनीय है 2 माह से कर्मचारियों का वेतन भुगतान नहीं हो पाया साथ ही पिछले 36 माह का एनपीएस एवं जीपीएफ का भुगतान बकाया है। डीजल बिल भी माह जून से बकाया होने से अति आवश्यक सेवाएँ भी बधित हो रही है।परिस्थितियों के मद्देनजर एवं शासन के नियमों के अनुसार संबंधित कालोनियों में प्रदाय की जा रही सेवाओं पर शुल्क प्राप्ति तक तत्काल प्रभाव से रोक लगायी जाती है।
नगर पालिका द्वारा तत्काल प्रभाव से सफाई सेवाओं पर लगाए गए रोक का
सबसे ज्यादा असर तथाकथित समाज सेवी पूंजीपतिओं की कॉलोनी पर पड़ेगा
क्योंकि यह अपने रसूख के चलते रहवासियों से शुल्क तो भरपूर वसूलते थे
लेकिन नगर पालिका को कुछ भी नहीं देते थे। हालांकि नगर पालिका के इस कदम से
उन लोगों को जबरन ही परेशानी का सामना करना पड़ेगा जो कॉलोनाइजर को तो
सुविधा शुल्क हर महीने देते ही थे, यह अलग बात है कि कॉलोनाइजर नगर पालिका
की सेवाओं का शुल्क खुद डकार रहे थे। उक्त आदेश के बाद देखना होगा कि
कॉलोनाइजर नगर पालिका को सेवाओं के बदले में निर्धारित शुल्क देने के लिए
तैयार होते हैं अथवा वह अपने राजनीतिक रसूख के बल पर फिर से निशुल्क सेवा
पाने के लिए कोई ना कोई रास्ता निकालते हैं।
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