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मासूम को मारने नहीं बल्कि जिंदा करने मारे थे तांत्रिक ने थप्पड़..! गुलगंज पुलिस ने स्कूटी से भाग रहे कमलेश उर्फ मंटोले बाबा को पकड़कर दमोह पुलिस को सौपा, जीआरपी पुलिस अभिरक्षा में चोकाने वाला खुलासा..

कमलेश उर्फ मंटोले बाबा जीआरपी पुलिस अभिरक्षा में

दमोह। दमोह रेलवे स्टेशन पर दिल्ली से आने वाली गोंडवाना एक्सप्रेस से उतरे मड़ियादो क्षेत्र निवासी आदिवासी दंपति के मासूम बेटे की मौत एक तांत्रिक के थप्पड़ से होने के मामले में छतरपुर जिले से तांत्रिक की गिरफ्तारी के बाद उसका चौंकाने वाला बयान सामने आया है।
मामले में छतरपुर जिले के गुलगंज से वहां की पुलिस द्वारा स्कूटी सहित पकड़ा गया कमलेश उर्फ मंटोले बाबा विश्वकर्मा बीडी कालोनी जटाशंकर दमोह का निवासी है। लंबे समय से तंत्र विद्या करने वाले कमलेश पर आदिवासी दंपति ने आरोप लगाया था कि उसके बीमार बच्चों को चांटा मार कर एक तांत्रिक बाबा ने मार दिय है। इसके बाद पुलिस ने रेलवे स्टेशन पर लगे सीसीटीवी फुटेज की जब जांच की तो एक तांत्रिक जैसा बाबा स्टेशन से बाहर निकल कर स्कूटी से भागता हुआ नजर आया था। जिसकी गिरफ्तारी पर एसपी द्वारा इनाम घोषित करने के साथ चारों तरफ की पुलिस को सूचना दी गई थी।
इसके बाद शनिवार रात गुलगंज थाना पुलिस ने स्कूटी सहित आरोपी बाबा को पकड़ कर दमोह पुलिस तथा जीआरपी पुलिस को सूचना दी थी। देर रात उसे दमोह पुलिस लेकर आ गई थी वहीं बाद में इसको जीआरपी पुलिस के हवाले कर दिया गया। यहां पर उल्लेखनीय की ढाई साल के मासूम बच्चों के बीमार होने तथा उसे थप्पड़ मारने की बात उसके माता-पिता ने पुलिस तथा मीडिया के समक्ष कही थी। इधर पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बच्चों को किसी प्रकार की चोट आदि नहीं होने की जानकारी दी गई थी इसके बाद पुलिस के अधिकारी उपरोक्त घटना को हत्या करने को तैयार नहीं थे। 
इधर गुलगंज पुलिस तथा बाद में जीआरपी की अभीरक्षा में पहुंचे तांत्रिक बाबा कमलेश ने स्वीकार किया कि उसने दो थप्पड़ मारे थे लेकिन वह मृत बच्चों को जिंदा करने के लिए मारे थे। ऐसे में सवाल यह उठता है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में डॉक्टर ने मासूम को झापड़ की चोट को क्यों छुपाया ? क्या पुलिस के कहने पर मामले को शांत करने इस तरह की पीएम रिपोर्ट बनाई गई थी ? या फिर कोई और बात थी।  जीआरपी डीएसपी सरिता पांडे क्या कहना है कि आरोपी ने पूछताछ करने  पर  बताया कि बच्चा पूर्व में मर चुका था और स्टेशन पर महिला रो रही थी, इसी बीच मैं वहां पहुंचा और बच्चे को दो-तीन थप्पड़ मार कर जिंदा करने की कोशिश की, इसी बीच उसका पति आ गया और झूमाझपटी कर मैं वहां से भाग गया।
ऐसे में यह भी सवाल उठ रहा है कि उपरोक्त दंपति ने मासूम की मौत के लिए बाबा को क्यों जिम्मेदार बता दिया। पुलिस ने इस मामले का कम समय में खुलासा करके जहां सारी स्थिति स्पष्ट कर दी है वही लेख राम आदिवासी के द्वारा मदद मांगे जाने पर किसी पुलिसकर्मी ने गाली गलौज करके भगा दिया था इस इस बात को पुलिस ने क्यों गंभीरता से नहीं लिया तथा सीसीटीवी में उपरोक्त गाली-गलौज करने वाले पुलिसकर्मी की वस्तु स्थिति की जांच क्यों नहीं की।

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