कांग्रेस को मिला बसपा की कमलरानी का सहारा मिला
दमोह। जिला कांग्रेस कार्यालय में आयोजित दलबदल समारोह के दौरान बहुजन समाज पार्टी की पार्षद कमल रानी कांग्रेस में शामिल हो गई। इसी के साथ कांग्रेस ने पिछले सप्ताह एक निर्दलीय पार्षद साधना तिवारी के भाजपा में शामिल होने का हिसाब बराबर कर लिया। इसके बावजूद पार्षदों की संख्या बल के मामले में कांग्रेस अभी भी भाजपा और स्पष्ट बहुमत से दो कदम दूर बनी हुई है।
शनिवार को जिला कांग्रेस कार्यालय में विधायक
अजय टंडन जिला कांग्रेस अध्यक्ष रतन चंद जैन, नगर पालिका अध्यक्ष
प्रतिनिधि वीरू राय, उपाध्यक्ष प्रतिनिधि विक्रम ठाकुर सहित अनेक पार्षदों
कांग्रेस नेताओं की मौजूदगी में आयोजित कार्यक्रम के दौरान बहुजन समाज
पार्टी की पार्षद श्रीमती कमल रानी हरिशंकर चौधरी कांग्रेस में शामिल हो
गई। उनको विधायक अजय टंडन और अध्यक्ष प्रतिनिधि वीरू राय ने पुष्प माला और
कांग्रेस का दुपट्टा पहनकर कांग्रेस में शामिल किया। इसी के साथ 39 पार्षदो
वाली दमोह नगर पालिका में कांग्रेस के पार्षदों की संख्या बढ़कर 18 हो गई
है। जो बहुमत से दो कम है।
सवा साल पहले हुए चुनाव में किसी को बहुमत नहीं..उल्लेखनीय
की सवा साल पहले हुए नगर पालिका चुनाव के दौरान पार्षदों की संख्या बल के
हिसाब से किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था। 39 पार्षदों में से
कांग्रेस के 17, भाजपा के 14 तथा बसपा का एक पार्षद चुनाव जीतने में सफल
रहा था। सात पार्षद निर्दलीय निर्वाचित हुए थे जिनमें से पांच टीम
सिद्धार्थ समर्थक पार्षद थे।
सवा
साल पहले हुए नगर पालिका अध्यक्ष उपाध्यक्ष के चुनाव में कांग्रेस ने बाजी
मारते हुए नगर पालिका से भाजपा का आधिपत्य खत्म कर दिया था। सीधे जनता की
बजाए पार्षदों द्वारा हुए अध्यक्ष उपाध्यक्ष के चुनाव में स्पष्ट बहुमत
नहीं होने के बावजूद कांग्रेस प्रत्याशी मंजू वीरेंद्र राय ने 39 में से 24
वोट लेकर 9 वोट से शानदार जीत हासिल की थी। उपाध्यक्ष पद पर कांग्रेश की
सुषमा विक्रम ठाकुर 20 पार्षदों की वोट लेकर एक वोट से जीती थी। इसके बाद
हुए सभापतियों के चुनाव में भी कांग्रेस पार्षद तो नहीं सफलता हासिल की थी।
सिद्धार्थ की भाजपा में वापसी से बदले समीकरण..दमोह
नगर पालिका में पार्षदों के संख्या वाले मामले में किसी भी दल को स्पष्ट
बहुमत नहीं मिलने के बावजूद 4 माह पहले सिद्धार्थ मलैया की भाजपा में वापसी
के साथ नगर पालिका में भी संख्या बल के मामले में समीकरण बदलते नजर आए थे।
सिद्धार्थ समर्थक पांच पार्षदों को मिलाकर भाजपा पार्षदों की संख्या बढ़कर
उन्नई सो गई थी। जो बहुमत से एक कम थी।
पिछले
सप्ताह केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल के आवास पर निर्दलीय पार्षद साधना
कृष्णा तिवारी ने पहुंचकर भाजपा की सदस्यता ग्रहण की थी इसी के साथ नगर
पालिका में भाजपा समर्थक पार्षदों की संख्या बढ़कर 20 हो गई थी। जबकि
कांग्रेस के पार्षदों की संख्या 17 ही थी। आज बहुजन समाज पार्टी की पार्षद
कमल रानी चौधरी के कांग्रेस में शामिल होने से कांग्रेस के पार्षदों की
संख्या बढ़कर 18 हो गई है इसके बावजूद यह बहुमत से दो कम है।
दमोह
नगर पालिका में पार्षदों की संख्या बहुमत से कम होने के बावजूद कांग्रेस
के अध्यक्ष उपाध्यक्ष और सभापतियों पर फिलहाल कोई खतरा नजर नहीं आ रहा है।
क्योंकि नगरपालिका अधिनियम के अनुसार इनके खिलाफ ले जाने वाले अविश्वास
प्रस्ताव को गिराने के लिए कांग्रेस के पास पर्याप्त पार्षदों का संख्या बल
मौजूद है। ऐसे में भाजपा पार्षद अपने संख्या बल के आधार पर कांग्रेश
द्वारा लाए जाने वाले विभिन्न प्रस्तावों का विरोध तो कर सकते हैं लेकिन
अध्यक्ष उपाध्यक्ष को अविश्वास प्रस्ताव के जरिए नहीं हटा सकते।
सवा साल में एक भी उल्लेखनीय उपलब्धि नहीं..
काग्रेस
समर्थक नगर पालिका के गठन के सवा साल बाद भी शहर को ऐसी कोई उल्लेखनीय
उपलब्धि नहीं मिल सकी है जैसे नागरिक याद रख सके। नगर पालिका कार्यालय में
जिस तरह पूर्व में अधिकारी कर्मचारी काम करते थे, दलाल डेरा डाले रहते थे
और कमीशन बाजी चलती थी वैसा ही सब चल रहा है। विभिन्न वार्डो में जिस तरह
के घटिया निर्माण कार्य होते थे उससे भी घटिया काम हो रहे हैं। मेरे पास
जनप्रतिनिधियों की जगह उनके परिवार के लोग नगर पालिका में पहले की तरह खुली
दखलअंदाजी कर रहे हैं। जिसे देखकर कहा जा सकता है कि नगर पालिका में सत्ता
भले ही भाजपा की जगह कांग्रेस की हो गई हो लेकिन माहौल पहले की तरह ही
है.. पिक्चर अभी बाकी है
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