हत्या का मामला दर्ज कराने घंटों चक्का जाम प्रदर्शन
दमोह।
देहात थाना अंतर्गत बालाकोट के जंगल में सोमवार सुबह एक युवक का शव पेड़ से लटकता हुआ मिलने से सनसनी के हालात बनते देर नहीं लगी थी सूचना
मिलने पर देहात थाना पुलिस ने मौके पर पहुंचकर पंचनामा कार्रवाई करते हुए शव को जिला अस्पताल भिजवाया था वहीं मृतक की पहचान नोहटा थाना क्षेत्र हिनौती खेत सिंह निवासी घनश्याम अहिरवार के तौर पर हुई थी। घनश्याम जिंदल कंपनी जोकि दमोह में जल निगम की पाइप लाइन
बिछाने का कार्य करा रही है मैं सुपरवाइजर गिरी का काम करता था कुछ दिन
पहले ही उसने इस कंपनी को ज्वाइन किया था वही उसे जातिगत रूप से प्रताड़ित
किए जाने जैसी बात भी परिजनों द्वारा कही गई है इधर फांसी पर लटके मिले
मृतक के शरीर में जगह जगह चोट खरोच के निशान नजर आने के बाद परिजनों द्वारा
उसकी हत्या करके शव को फांसी के फंदे पर लटका दिए जाने के आरोप लगाए थे।
यही वजह रही कि पोस्टमार्टम के बाद दोपहर में घनश्याम के सबको एंबुलेंस में
रखे जाने के बाद एंबुलेंस को अंबेडकर प्रतिमा के समक्ष खड़ा करके अहिरवार
समाज के लोगों ने सड़क पर जाम लगा दिया जिससे अफरातफरी के हालात निर्मित
होते देर नहीं लगी। चक्का जाम की सूचना मिलने पर
कोतवाली देहात थाना पुलिस की टीम अंबेडकर चौक पहुंची जहां प्रभारी सीएसपी
भावना दांगी ने लोगों को समझाएं देने की कोशिश की वहीं बाद में एडिशनल एसपी
शिवकुमार सिंह भी यहां पहुंचे तथा उन्होंने लोगों को समझाईश दी। लेकिन
मृतक के परिजनों तथा समाज के लोगों का कहना था कि उसकी हत्या की गई है अतः
हत्या का मामला दर्ज किया जाए तभी वहां से शव को लेकर अंतिम संस्कार करने
के लिए गांव जाएंगे।
इस दौरान अहिरवार समाज संघ के
प्रदेश पदाधिकारी कोमल अहिरवार तथा जिला पंचायत सदस्य रजनी ठाकुर ने भी
पीड़ित परिजनों की मांगों का समर्थन करते हुए एफ आई आर दर्ज किए जाने की
मांग की। करीब 2 घंटे तक धरना प्रदर्शन चक्का जाम के हालात बने रहने से आम
नागरिकों वाहन चालकों को जहां परेशानी होती रही वहीं बाद में एसडीएम गगन
बिसेन भी अंबेडकर चौक पहुंचे। लेकिन उनकी समझाए फ्री बेअसर रही। बाद में
शाम 4:30 बजे एसपी डीआर तेनिवार ने स्वयं अंबेडकर चौक पहुंचकर पीड़ित
परिजनों से चर्चा की और उन्हें 48 घंटे में जांच करा कर आवश्यक कार्रवाई का
भरोसा दिलाया। इसके बाद ही शाम 5:00 बजे चक्का जाम खत्म हुआ और अंबेडकर
प्रतिमा क्षेत्र से आवागमन सुचारू हो सका। हालांकि उसके करीब घंटे भर बाद
तक मृतक के परिजन व समाज के लोग यहां पर डटे रहे तथा आपस में विचार विमर्श
करते रहे वहीं पुलिस भी आंदोलनकारियों को चिन्हित करने के लिए उनके नाम आदि
नोट करती नजर आई।
कुल मिलाकर जिस तरह से आज शहर के
सबसे संवेदनशील क्षेत्र जिला अस्पताल के पास करीब चार घन्टे से अधिक के
चक्का जाम के हालात सामने आए इस दौरान प्रदर्शनकारियों को समझाने में जा
पुलिस प्रशासनिक अधिकारी असफल साबित हुए वही एक बात लोगों की समझ में नहीं
आई जब मृतक के शरीर पर चोटों के निशान साफ नजर आ रहे थे प्रथम दृष्टया उसके
साथ मारपीट किए जाने की बात सामने आ रही थी ऐसे में पुलिस आखिर किस
प्रभावशाली व्यक्ति को बचाने की कोशिश कर रही थी जो उनके द्वारा अज्ञात के
खिलाफ भी रिपोर्ट लिखने के लिए मंशा नहीं थी।..
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