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बंगाली डॉक्टर निकला बंगलादेश का निवासी.. गांव में क्लिनिक चलाते बनवाए फर्जी पहचान पत्र, पासपोर्ट के चक्कर मे खुली पोल.. 2012 से क्लीनिक चला कर था निवासरत..

 मप्र के विभिन्न शहरों में बंगाली डॉक्टर बनकर ग्रामीण क्षेत्रों में क्लीनिक चलाने वाले बांग्लादेशी नागरिक भी हो सकते हैं इस बात का खुलासा दमोह जिले में होने के बाद सनसनी के हालात बने हुए हैं वहीं पुलिस ने आरोपी डॉक्टर को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया है..

 दमोह जिले में एक बार फिर प्रशासन के साथ स्वास्थ्य विभाग बड़ी लापरवाही की कलई खुलती नजर आई है तेजगढ़ थाना अंतर्गत झलौन क्षेत्र में लंबे समय से क्लीनिक चलाने वाला बंगाली डॉक्टर विश्वजीत बांग्लादेश का निवासी निकला है जो 9 वर्षों से यहां रहकर फर्जी डिग्री के आधार पर क्लीनिक का संचालन करते हुए ग्रामीणों की जान से खिलवाड़ कर रहा था लेकिन कभी भी स्वास्थ्य विभाग ने जांच कर कार्रवाई करना ध्यान नहीं दिया।

 विश्वजीत उर्फ विश्वास सारंग नाम का यह युवक 9 वर्षो से जिले में निवासरत था। उसके द्वारा वोटर आईडी, आधार कार्ड, पैन कार्ड जैसे भारत की नागरिकता के प्रमाण वाले दस्तावेज भी बनवा लिए गए थे। लेकिन पासपोर्ट के लिए भोपाल में अप्लाई करने के बाद वेरिफिकेशन में उसकी अंकसूची संदिग्ध पाए जाने पर जब तेजगढ़ पुलिस द्वारा जांच पड़ताल  की गई तो उसके बांग्लादेशी नागरिक होने का खुलासा होने में देर नहीं लगी।

तेजगढ़ थाना बृजेश पांडे के अनुसार विश्वजीत उर्फ विश्वास सारंग बंगाल के रिश्तेदारों की मदद से दमोह के झलौन गांव पहुंचकर 2012 से क्लीनिक चला रहा था जब वह मूल रूप से ढाका बांग्लादेश का निवासी था। मामले का पर्दाफाश होने पर उसके खिलाफ तेजगढ़ थाना पुलिस द्वारा विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज करके गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया गया। जहाँ से इसे जेल भेज दिया गया है।

 यह मामला उजागर होने के बाद अब अन्य झोलाछाप बंगाली डॉक्टरों की डिग्री दस्तावेजों की जांच हेतु विशेष मुहिम चला जाने की अपेक्षा जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग से की जा रही है

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