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दमोह पीजी कालेज में लिपिक के सोसाईट नोट लिखकर फांसी लगाने के मामले में.. पूर्व मुख्यमंत्री राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लिखा पत्र.. आरोपियों पर एफआईआर तथा पीड़ित परिजनों को पचास लाख की मदद व अनुकंपा नियुक्ती की मांग...

 दिग्विजय सिंह ने CM शिवराज सिंह को लिखा पत्र.. 

 भोपाल/ दमोह। दमोह के पीजी कालेज में पिछले दिनों श्री चतुरसिंह उइके सहायक ग्रेड.3 शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय द्वारा कॉलेज कैंपस में फांसी लगाकर आत्महत्या कर लेने के मामले में अभी तक पुलिस द्वारा कोई कार्रवाई नहीं किए जाने के हालात को संज्ञान में लेकर राज्यसभा सांसद कांग्रेस नेता पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर त्वरित कार्यवाही कराने की मांग की है।

पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा मुख्यमंत्री को 29 अक्टूबर को लिखे गए पत्र में स्पष्ट किया गया है कि दमोह जिले में 20 दिन पूर्व श्री चतुरसिंह उइके सहायक ग्रेड.3 शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय द्वारा कॉलेज कैंपस में फांसी लगाकर आत्महत्या करेने का मामला सामने आया था। मृतक ने आत्महत्या से पूर्व आयुक्त उच्च शिक्षा को एक शिकायती पत्र के साथ सुसाइड नोट भी प्रेषित किया था। पत्र में श्री उइके ने कॉलेज के प्राचार्य केपी अहिरवार एवं कर्मचारियों द्वारा भ्रष्टाचार की शिकायत करने एवं परेशान करने की जानकारी दी थी। इस घटना को 3 सप्ताह हो चुके है और पुलिस द्वारा अभी तक मामले में आत्महत्या के लिए मजबूर करने का प्रकरण तक दर्ज नहीं किया गया है। 

पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा मुख्यमंत्री को लिखे गए पत्र में स्पष्ट किया गया है कि स्व. चतुरसिंह उइके की आत्महत्या के प्रकरण में उच्च स्तर का राजनीतिक दबाव बनाया जा रहा है और बड़े नेताओं के संरक्षण के चलते ही आत्म हत्या के लिये उकसाने वाले प्राचार्य और अन्य कर्मचारियों पर अभी तक कोई मुकदमा दर्ज नहीं किया गया है न ही जांच हो रही है। लाखों रूपये की अनियमितता करने वाले लोग सबूत मिटाने में लगे है। यह बहुत दुख का विषय है कि आदिवासी परिवार के एक शासकीय कर्मचारी द्वारा वरिष्ठ अधिकारियों की प्रताड़ना से दुखी होकर आत्म हत्या जैसा कदम उठा लिया। आदिवासी समाज द्वारा आरोपियों के खिलाफ कार्यवाही की मांग को लेकर प्रदर्शन भी किया गया है पर दमोह पुलिस ने अभी तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं की है। जिला पुलिस कितनी असंवेदन शील हो सकती है। यह मामला इसका जीता जागता उदाहरण हैं। मांग यह है कि इस प्रकरण में प्राचार्य सहित सभी स्टॉफ को तत्काल हटाकर ही भ्रष्टाचार और मौत के कारण की जांच करानी चाहिए। 

मध्यप्रदेश में आदिवासियों पर हो रहे अत्याचारो की श्रृंखला में यह एक नई कड़ी है। दुःखद है कि आदिवासी वर्ग के कर्मचारी का पीड़ित परिवार न्याय की गुहार कर रहा है और पुलिस सत्ताधारी दल के नेताओं के दबाव में मूकदर्शक बनी हुई है। प्रदेश में आदिवासियों को जनसंख्या 22 प्रतिशत से अधिक है जो लगातार सरकार की नाइंसाफी का शिकार हो रहे है। दमोह जिले के आदिवासियों में इस घटना को लेकर बहुत आक्रोश व्याप्त है। मेरा निवेदन है कि स्वण् श्री चतुर सिंह उइके के परिवार के सदस्य को तत्काल अनुकंपा नियुक्ति दी जाये और मुख्यमंत्री सहायता कोष से दुखी और शोकसंतप्त परिवार को 50 लाख रूपये की सहायता दी जाये। मेरा आपसे अनुरोध है कि आरोपी प्राचार्य और अन्य कर्मचारियों द्वारा की गई प्रताड़ना के मामले में एट्रोसिटी एक्ट सहित अन्य सुसंगत धाराओं में तत्काल मुकदमा दर्ज कराया जाये और दोषियों को गिरफ्तार किया जाये।  श्री दिग्विजय सिंह ने इस पत्र की प्रति मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के अलावा मप्र के डीजीपी, सागर आईजी तथा दमोह एसपी को भी कार्रवाई हेतु प्रेषित की है।

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2 Comments

  1. पूर्व प्रधानमंत्री जी आपका आभार व्यक्त करता हूं जो की आपने न्याय के लिए अन्याय के खिलाफ के लिए अपनी आवाज बुलंद कर आदिवासियों के साथ हो रहे अन्याय के लिए न्याय दिलाने आप आगे आए। हम एवं हमारी समस्त आदिवासी समाज आपका आभार व्यक्त करती है

    आपका प्रदेश मीडिया प्रभारी
    गोंड समाज महासभा युवा मोर्चा मध्यप्रदेश

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    1. माफ करना पूर्व मुख्यमंत्री जी की जगह प्रधानमंत्री लिख गया है

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