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हीरा खनन हेतु बकस्वाहा के जंगल से दो लाख पेड़ काटे जाने के प्रस्ताव का विरोध शुरू.. कोरोना काल खत्म होने के बाद देश भर के पर्यावरण प्रेमी छतरपुर में जुटेंगे.. कटनी की पर्यावरण योद्धा मंजूषा गौतम सहित देश भर से पर्यावरण प्रेमियों ने पेड़ काटने का प्रस्ताव वापस लेने मांग की..

बक्सवाहा के जंगल से लाखों पेड़ बचाने जुटेंगे पर्यावरण प्रेमी

 दमोह संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले छतरपुर जिले के बकस्वाहा के जंगल बचाओ अभियान के लिए देश भर के पर्यावरणविद  की वर्चुअल ऑनलाइन मींटिंग ।9 मई को मातृत्व दिवस पर संपन्न हुई । जिसमें देश केे 50 से पर्यावरण योद्धाओं ने सहभागिता दर्ज कराई। पर्यावरण दो शब्दों से मिलकर बना है, परी-आवरण अर्थात प्रकृति का एक आवरण हमारे चारों और घेरे हुए वह हमें हवा पानी सब कुछ देता है। लेकिन इसके विपरीत मनुष्य इस आवरण को नष्ट कर रहा है। निजी स्वार्थों को लेकर जंगलों को अंधाधुंध काटा जा रहा है। जिससे ओजोन परत पतली होती जा रही है। और मानसून का अपना हिसाब किताब गड़बड़ाता जा रहा है।


पर्यावरण योद्धा प्रकृति प्रेमी  अतंर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर  सम्मानित समाज सेवी मंजूषा गौतम ने देश के प्रधानमंत्री श्री श्री नरेन्द्र मोदी जी एंव मप्र के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के साथ साथ जिला प्रशासन, कलेक्टर प्रियंक मिश्रा जी से करबद्ध निवेदन किया है कि बकस्वाहा के जंगलों को काटने का प्रस्ताव वापस लिया जाए। और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा दिया जाऐ, आज हम सभी को आक्सीजन का महत्व सबसे ज्यादा समझ आ गया है हम लोग कृत्रिम आक्सीजन पर कब तक आश्रित रहेंगे हम लोगों को प्राकृतिक आक्सीजन की सबसे ज्यादा जरूरत है। कोरोना महामारी मे सबसे ज्यादा मौतें आक्सीजन न मिल पाने के कारण ही हो रही हैं। आक्सीजन हमे पेड़ों से ही मिलती है तो हमें हर हाल में पेड़ों का संरक्षण करना चाहिए और दूसरी बात उस जंगल में रहने वाले जीव जन्तु,जानवर उनका रहने का स्थान तो जंगल ही है वो कंहा जायेंगे बेहद सोचने और  चिंतनीय विषय है।

मंजूषा गौतम ने कहा कि लोग आक्सीजन लेने के लिए पेड़ों पर चढ़ कर बैठ रहे हैं और आक्सीजन लेकर कोरोना से ठीक भी हो रहे हैं और आप लोग पेड़ काटने की बात कर रहे हैं।पेड़ो से हमे पानी, भोजन,और जीवन मिलता है तो फिर पेड़ों को क्यों न बचाया जाए। मंजूषा गौतम ने अंत में कहा कि कोरोना काल में आक्सीजन की अहमियत सभी को पता चल गई है।  बकस्वाहा के जंगल को बचाने के लिए  पीपल नीम तुलसी अभियान  के संस्थापक डॉ. धमेन्द्र कुमार ने बकस्वाहा के जंगलों को बचाने के लिए पूरे देश में अभियान चलाया है ।और कहा है कि अगर जरूरत पड़ी तो जंगल बचाने के लिए देश भर से पर्यावरण योद्धा  करोनाकल काल समाप्त होने के बाद  छतरपुर पहुंचगें। और  लोग पेड़ों को बचाने के लिए पेड़ों से चिपक कर खड़े हो जायेंगे चिपको आंदोलन की तरह लेकिन पेड़ों को कटने नहीं देंगे। 
 बकस्वाहा जंगल में मिला है देश का सबसे बड़ा हीरा भंडार

उल्लेखनीय है कि छतरपुर जिले के बकस्वाहा के जंगल में देश के सबसे बड़ा हीरा भंडार मिला है।  यंहा की जमीन में 3.42  करोड़ कैरेट के  हीरे दबे होने का अनुमान लगाया जा रहा है। इनकी कीमत हजारों करोड़ों रुपये में है। हीरा निकालने के लिए  382.131 हैक्टेयर जंगली क्षेत्र खोदा जायेगा।  इसमें लगभग 2,15,875 पेड़ काटे जायेंगे। इनमें 40 हजार तो केवल सागौन के पेड़ है इसके अलावा पीपल, तेंदु, जाबुन, बहैड़ा, अर्जुन जैसे औषधीय गुणों वाले पेड़ भी होंगे।  दो साल पहले सरकार ने इस जंगल की नीलामी की थी।

बकस्वाहा जंगल से 2 लाख पेड़ काटे जाने का प्रस्ताव तैयार


 बकस्वाहा के जंगलों से 2.15  लाख पेड़ काटे जाने का प्रस्ताव तैयार हो चुका है। जिसका अब स्थानीय स्तर पर और देश स्तर पर विरोध शुरू हो गया है। इसके विरोध में बकस्वाहा और आसपास के जिलों और देश में अन्य राज्यों और जिलों में अभियान छेड़ दिया गया है। पर्यावरण योद्धाओं ने इंटरनेट और सोशल मीडिया और ट्विटर आदि के माध्यम से जंगल बचाने अभियान शुरू कर दिया है।  कृपया हम सब मिलकर पेड़ों को और अधिक लगाए न की उनको काटे ।  बक्सवाहा से शिवराम अठया की रिपोर्ट


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1 Comments

  1. भाजपा का विकास ऐसे ही होता पेड़ काटो और पत्थरों का विकास करो धरती इसलिए ही गरम होने लगी मौसम में बदलाव इसलिए हो रहे ताउते भी उसी का उदाहरण है, पेड़ काटके विकास करना कहाँ तक उचित है

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