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दमोह उप चुनाव में जीत के दावों के साथ कांग्रेस आशंकित-भाजपा आश्वस्त.. शहर में कांग्रेस गांवों में भाजपा को मिला वोटरों का साथ.. कांग्रेस के लोधी बनाम अदर के मुद्दे का लाभ भाजपा को.. सोशल मीडिया पर कांग्रेस के अजय टंडन.. सट्टा बाजार में भाजपा के राहुल सिंह को बढ़त..

दमोह उपचुनाव में भाजपा कांग्रेस के जीत के दावे

दमोह। विधानसभा उपचुनाव मतदान की अंतिम स्थिति 60 प्रतिशत से कम पर ठहर जाने के बाद अब भाजपा कांग्रेश समर्थकों के बीच चुनावी जीत हार को लेकर विश्लेषण शुरू हो गया है। चुनाव के पहले तक जोर शोर से जीत का दावा करने वाले कांग्रेसी भी जहां अब संशय की बात करते नजर आने लगे हैं वहीं कल तक भाजपा की जीत के प्रति आशंकित नजर आने वाले समर्थक अब अंतिम दिनों के चुनावी मैनेजमेंट की दम पर जीत के प्रति आश्वस्त होते दिख रहे हैं। 

दमोह विधानसभा का चुनाव परिणाम पांच राज्यों की विधानसभा चुनाव नतीजों के साथ 2 मई को आएगा लेकिन उसके पहले सट्टा बाजार में जिस तरह से राहुल सिंह बनाम अजय टण्डन के बीच कांटे के मुकाबले की स्थिति सामने आई है उसने सोशल मीडिया पर पिछले कई दिनों से जारी कांग्रेस की जबरदस्त बढ़त दर्शाने वालों को भी चिंता में डाल दिया है। 22 प्रत्याशियों वाले इस उपचुनाव में पिछले बार की अपेक्षा वोट कम पढ़ने के बावजूद दोनों दलों का चुनाव जीतने के प्रति आश्वस्त रहने की सबसे बड़ी वजह गांव शहर की पोलिंग परसेंटेज का अंतर माना जा रहा है। 

दरअसल पूरे चुनाव के दौरान कांग्रेस जहां शहरी क्षेत्र में मजबूत दिखी वही वोटिंग के ठीक पहले भाजपा ने अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों में अपने प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, संगठन मंत्री हितानंद शर्मा एवं शैलेंद्र बरूआ आदि की रणनीतिक  सूझबुझ  भरे मैनेजमेंट के बल पर जबरदस्त वापसी की। वही नाराज नेता जयंत मलैया को मनाने में भी कोई कोर कसर नही छोड़ी। नतीजन मतदान के बाद जो रुझान सामने आ रहे हैं वह शहरी क्षेत्र में कांग्रेस की करीब 5000 से लीड बता रहे हैं वहीं ग्रामीण इलाकों से भाजपा को 8 से दस हजार की बड़त बता रहे हैं। इस बात को दबी जुबान से जहां कांग्रेसी स्वीकार कर रहे हैं वही भाजपाई भी सहमत नजर आ रहे हैं लेकिन अंतिम परिणाम तो 2 मई को ही आएंगे जिसका सभी को बेकरारी से इंतजार है।

कांग्रेस के लोधी बनाम अदर के मुद्दे का लाभ भाजपा.. 

 चुनाव के दौरान कांग्रेस को लोधी बनाम अदर के गुद्दे से जहां लाभ की आस नजर आ रही थी वहीं यहीं मृद्दा आखिरी में भाजपा के लिए संजीवनी बनता नजर आया। भाजपा ने प्रचार के दौरान सर्व समाजों के सम्मेलन बैठके आदि करके जहां एक हद तक डैमेज कंट्रोल करने में सफलता प्राप्त कर ली थी लेकिन कांग्रेस अंतिम समय में लोधी बनाम अन्य की हवा को अपने पक्ष में नहीं कर सकी।  इधर कांग्रेस अंतिम दिनों में इसी को लेकर जहां उलझ गई वहीं ग्रामीण इलाकों में भाजपा के लोधी वोट बैंक ने इस अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बनाते हुए जिस तरह से मतदान किया उसके दम पर ही भाजपा अब ग्रामीण क्षेत्रों से भारी बढ़त की उम्मीद सजाए बैठे है।  

ऐसे होती गई कांग्रेस की चूक बनाम माईनस मार्किंग..

सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस नेता जब सुभाष कॉलोनी में शराब पकड़वाने के बाद श्याम नगर में नोटों से भरी गाड़ी को पकड़वाने के चक्कर में अपने घंटो का समय बर्बाद कर रहे थे और पुलिस भी यहां पर उलझी हुई थी उस दौरान जिन इलाकों में शराब तथा पैसे के दम पर वोटिंग होती है वहां पर भाजपाई रणनीतिकार अपना खेल दिखा चुके थे। दूसरी ओर वार्डो में कांग्रेस की वोट निकलवाने वाले लड़ाकू नेता पुलिस से उलझ कर हवालात जा चुके थे। जिससे अगले दिन होने वाले मतदान के दौरान इन कांग्रेसी नेताओं के वार्डो में कांग्रेस समर्थकों की वैसी वोट नही निकली जैसी पूर्व में निकलती रही है। कांग्रेस जिला अध्यक्ष मनु मिश्रा और पूर्व जिला अध्यक्ष रतनचंद जैन के बीमार पड़ जाने की वजह से इनके इलाके में भी कांग्रेस की भरपूर वोट नही निकली। दूसरी ओर अनेक मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों तथा अनुसूचित जाति बाहुल्य  मतदान केंद्रों में भी पूर्व की तरह शत प्रतिशत मतदान नहीं हुआ। यह भी कांग्रेस के लिए घाटे की वजह कहीं जा सकती है। यह सब हालात कहीं भाजपा के मैनेजमेंट का हिस्सा तो नहीं थे इसको लेकर भी दबी जुबान से चर्चाये सरगर्म है।

भाजपा का प्लस प्वाईंट बनी प्रह्लाद की रणनीति..

इधर भाजपा के लिए प्लस प्वाइंट अंतिम समय में केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल द्वारा प्रचार की कमान अपने हाथ में संभालने और बसपा विधायक रामबाई को भरोसे में लेकर हिरदेपुर से वांसा तक के पोलिंग बूथ की वोट निकलवाने की जिम्मेदारी सौंपना फायदेमन्द दिख रहा है। लिखने की जरूरत नहीं है कि रामबाई ने किस तरह से दर्जन भर से अधिक पोलिंग पर भाजपा के फेवर में मतदान कराया है। इसी तरह श्री पटेल ने  प्रचार के अंतिम दिनों में हेलीकॉप्टर से बलारपुर से बालाकोट तक एक किया। उसका लाभ भी आखिरकार राहुल के खाते में जाता हुआ नजर आ रहा है। 

इमलिया घाट में उमा भारती और प्रह्लाद पटेल की सभा तथा लक्ष्मण कुटी और आभाना में प्रह्लाद और सिंधिया की सभा आखिरी टाइम पर वोटरों को भाजपा के पाले में लाने में काफी हद तक सफल बताई जा रही। इसके पूर्व बांदकपुर तथा वांसा में मुख्यमंत्री शिवराज के साथ हुई प्रहलाद पटेल की सभाएं भाजपा के लिए कारगर रही है। दूसरी ओर कांग्रेस की तरफ से पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह ही बड़े चेहरे प्रचार में सामने आए। लेकिन उनका फोकस बिकाऊ टीकाउ तक ही टिका रहने की वजह से कांग्रेस अंतिम समय में जातिगत वोटों का लाभ उठाने में उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन से दूर नजर आई। जबकि लक्ष्मण कुटी में प्रह्लाद पटेल ने पूतना जैसे शब्दों का इस्तेमाल करके राजनीतिक विरोधियों को भले ही नाराज कर लिया हो लेकिन अपने जातिगत वोटों को साधने में फिर से सफलता हासिल कर ली।

कुल मिलाकर पूरे चुनाव के दौरान जबरदस्त पॉजिटिव पोजीशन में रही कांग्रेस अंतिम समय में प्रत्याशी के पॉजिटिव होने के बावजूद कैसे नेगेटिव हालात में पहुंच गई उसके पीछे भाजपा का तगड़ा मैनेजमेंट और जबरजस्त रणनीति मुख्य बजह कही जा सकती है। इधर अंतिम समय में कांग्रेस का मैनेजमेंट और व्यवस्थाएं गड़बड़ाती हुई नजर आई। अब जबकि प्रत्याशियों का भाग्य ईवीएम में बंद हो गया है ऐसे मैं कांग्रेस इस बात को लेकर आशंकित है की श्याम नगर की तरह सत्ता शासन-प्रशासन के दम पर अंतिम समय में कहीं फिर कोई ऐसी स्थिति निर्मित ना हो जाए की जीत उनके पास से फिसल जाए। हालांकि अंतिम परिणाम ही यह तय करेंगे कि दमोह विधानसभा उपचुनाव में वोटरों की पहली पसंद कौन रहा।  वहीं अंतिम नतीजे भी यदि हजारों के बजाए सैकड़ों के अंतर में सामने आए तो आश्चर्य नहीं होगा। पिक्चर अभी बाकी है अटलराजेंद्र जैन

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