लॉक डाउन में भी मजदूरों से कराया जा रहा था कार्य..
यहां पर कार्य करने वाली गुजरात राजस्थान तथा अन्य प्रांतों की लेबर को कोरोनावायरस के संक्रमण काल में खाने के लाले पड़ गए है। लाक डाउन में साधन नहीं मिलने की वजह से यहां पर मजबूरी में रुके मजदूरों को रोजी रोटी के लिए कोरोना वायरस के संक्रमण काल में भी बिना मास्क और किसी सुरक्षा इंतजामों के अभाव में कार्य करने को मजबूर किए जाने के हालात सामने आए हैं। जिसकी जानकारी लगने पर मौके पर पहुंचे मीडिया कर्मियों ने जब कार्य करने वाले मजदूरों से सवाल जवाब किए तो वह अपने क्षेत्र जाने के लिए आवागमन के साधन नहीं होने से यहां फंसे होने तथा खाने-पीने का इंतजाम करने के लिए कार्य करने को मजबूर रहने जैसी बात करते नजर आए।
मौके पर जल संसाधन विभाग तथा कार्य एजेंसी के किसी भी जिम्मेदार अधिकारी के मौजूद नहीं होने के बावजूद लाक डाउन में कार्य जारी रहना आश्चर्य का विषय था वही मीडिया के कैमरे में सब कुछ रिकार्ड जाने के बाद कार्य कराने वाले इसे बंद करने की बात करते हुए भी नजर आए। इस पूरे नजारे के संदर्भ में जब कंपनी के साइड इंचार्ज श्री पंकज जी से मोबाइल पर जानकारी चाही गई तो उन्होंने यहां किसी भी प्रकार का कार्य जारी होने से इनकार कर दिया। बाद में जब उनको संबंधित कार्य की वीडियो रिकॉर्डिंग व्हाट्सएप पर सेंड करते हुए इस बारे में अपना पक्ष रखने को कहा गया तो उनका कहना था कि दो-तीन दिन पहले कुछ कार्य चल रहा था जिसे बंद करा दिया गया है। और इस कार्य का लॉक डाउन से कोई लेना देना नहीं है। इनका कहना था कि साइट पर मौजूद लेवर को खाने पीने की परेशानी थी अतः वह वापस जा रही थी। लेकिन नरसिंहगढ़ पुलिस ने मजदूरों को रोककर वापस करा दिया था। जिससे वह यहा पर रुकी हुई है।
जब इस संदर्भ में नरसिंहगढ़ पुलिस चौकी प्रभारी मनोज यादव से चर्चा की गई उनका कहना था कि लॉक डाउन में दो दिन पूर्व कुछ मजदूर पैदल सीतानगर से नरसिंहगढ़ आ गए थे। जिनका कहना था कि उनके खाने पीने को कोई इंतजाम नहीं है, अतः रुक कर क्या करें। जिस पर उनके द्वारा उन्हें वापस कराते हुए खाने-पीने का इंतजाम कराने का भरोसा दिलाया गया था। उपरोक्त सभी बातों से साफ होता है कि कोरोना संक्रमण को रोकने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के आवाहन पर जब सभी फैक्ट्री और कारखाने तक बंद हो गए ऐसे में भी करीब तीन-चार दिन तक सीतानगर सिंचाई परियोजना तहत पाइप डालने का कार्य वहां मौजूद लेबर और मजदूरों से कराया जाता रहा और जब यह सब मीडिया के कैमरे में रिकॉर्ड हो गया तो मजदूरों को उनके भाग्य के भरोसे छोड़ते हुए साधन नहीं होने के बाद भी अपने क्षेत्र में जाने को कह दिया गया।
पिछले 3 दिनों से भले ही यहां पर कार्य बंद हो लेकिन मौके पर कई दिनों पहले से जल संसाधन विभाग और गुजरात की लक्ष्मी कंपनी के कोई भी जिम्मेदार अधिकारी नहीं पहुंचे थे। ऐसे में सवाल यही उठता है कि आखिर किसके इशारे पर किसके निर्देशन में मजदूरों की जान जोखिम में डाल कर काम कराते हुए पाइप बिछाने का टारगेट कराने की कवायद की जा रही थी ? लॉक डाउन के दिनों में AC में आराम फरमाने वाले कंपनी के अधिकारी और ठेकेदार प्रधानमंत्री श्री मोदी के कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने हेतु लॉक डाउन को लेकर दिए गए दिशा निर्देशों की अनदेखी करते हुए क्यों मजदूरों की जान जोखिम में डालते रहे या बात फिलहाल समझ के परे है। जिला कलेक्टर इस पूरे मामले को संज्ञान में लेकर संबंधित कंपनी और उसके अधिकारियों को नोटिस देकर जरूर जवाब तलब करेंगे ऐसी जनापेक्षा बनी हुई है।
दमोह। जिला मुख्यालय से करीब 25 किमी दूर सीतानगर सिचाई परियोजना तहत जल संसाधन विभाग के निर्देशन में डेम निर्माण तथा पाइप लाइन कार्य विभिन्न एजेंसिया पेटी पर करा रही है। डेम कार्य मे लाइम स्टोन की गिट्टी और रेत का उपयोग करके गुणवत्ता से खिलबाड़ किया जा रहा है वही मिलीभगत से जारी टेस्टिंग रिपोर्ट को आधार बनाकर अधिकारी सब कुछ नजरअंदाज कर रहे है। इधर पाइप लाइन का कार्य गुजरात की लक्ष्मी क. कंपनी के निर्देशन में ठेकेदार द्वारा बाहरी लेवरो से कराया जा रहा है।सीतानगर परियोजना तहत चल रहे पाइप लाइन विस्तार कार्य को जल संसाधन विभाग के अधिकारियों तथा कार्य कराने वाली कंपनी के इंजीनियरों की अनुपस्थिति में कैसे बाहरी मजदूरों द्वारा अंजाम तक पहुंचाया जा रहा है। इस का एक नमूना आपको दिखाते है..
मौके पर जल संसाधन विभाग तथा कार्य एजेंसी के किसी भी जिम्मेदार अधिकारी के मौजूद नहीं होने के बावजूद लाक डाउन में कार्य जारी रहना आश्चर्य का विषय था वही मीडिया के कैमरे में सब कुछ रिकार्ड जाने के बाद कार्य कराने वाले इसे बंद करने की बात करते हुए भी नजर आए। इस पूरे नजारे के संदर्भ में जब कंपनी के साइड इंचार्ज श्री पंकज जी से मोबाइल पर जानकारी चाही गई तो उन्होंने यहां किसी भी प्रकार का कार्य जारी होने से इनकार कर दिया। बाद में जब उनको संबंधित कार्य की वीडियो रिकॉर्डिंग व्हाट्सएप पर सेंड करते हुए इस बारे में अपना पक्ष रखने को कहा गया तो उनका कहना था कि दो-तीन दिन पहले कुछ कार्य चल रहा था जिसे बंद करा दिया गया है। और इस कार्य का लॉक डाउन से कोई लेना देना नहीं है। इनका कहना था कि साइट पर मौजूद लेवर को खाने पीने की परेशानी थी अतः वह वापस जा रही थी। लेकिन नरसिंहगढ़ पुलिस ने मजदूरों को रोककर वापस करा दिया था। जिससे वह यहा पर रुकी हुई है।
जब इस संदर्भ में नरसिंहगढ़ पुलिस चौकी प्रभारी मनोज यादव से चर्चा की गई उनका कहना था कि लॉक डाउन में दो दिन पूर्व कुछ मजदूर पैदल सीतानगर से नरसिंहगढ़ आ गए थे। जिनका कहना था कि उनके खाने पीने को कोई इंतजाम नहीं है, अतः रुक कर क्या करें। जिस पर उनके द्वारा उन्हें वापस कराते हुए खाने-पीने का इंतजाम कराने का भरोसा दिलाया गया था। उपरोक्त सभी बातों से साफ होता है कि कोरोना संक्रमण को रोकने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के आवाहन पर जब सभी फैक्ट्री और कारखाने तक बंद हो गए ऐसे में भी करीब तीन-चार दिन तक सीतानगर सिंचाई परियोजना तहत पाइप डालने का कार्य वहां मौजूद लेबर और मजदूरों से कराया जाता रहा और जब यह सब मीडिया के कैमरे में रिकॉर्ड हो गया तो मजदूरों को उनके भाग्य के भरोसे छोड़ते हुए साधन नहीं होने के बाद भी अपने क्षेत्र में जाने को कह दिया गया।
पिछले 3 दिनों से भले ही यहां पर कार्य बंद हो लेकिन मौके पर कई दिनों पहले से जल संसाधन विभाग और गुजरात की लक्ष्मी कंपनी के कोई भी जिम्मेदार अधिकारी नहीं पहुंचे थे। ऐसे में सवाल यही उठता है कि आखिर किसके इशारे पर किसके निर्देशन में मजदूरों की जान जोखिम में डाल कर काम कराते हुए पाइप बिछाने का टारगेट कराने की कवायद की जा रही थी ? लॉक डाउन के दिनों में AC में आराम फरमाने वाले कंपनी के अधिकारी और ठेकेदार प्रधानमंत्री श्री मोदी के कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने हेतु लॉक डाउन को लेकर दिए गए दिशा निर्देशों की अनदेखी करते हुए क्यों मजदूरों की जान जोखिम में डालते रहे या बात फिलहाल समझ के परे है। जिला कलेक्टर इस पूरे मामले को संज्ञान में लेकर संबंधित कंपनी और उसके अधिकारियों को नोटिस देकर जरूर जवाब तलब करेंगे ऐसी जनापेक्षा बनी हुई है।
पूरे मामले को लेकर फिलहाल जल संसाधन विभाग के अधिकारियों तथा लक्ष्मी कंपनी के अधिकारियों से बात नहीं हो सकी है लेकिन साइड इंचार्ज पंकज जी इसको कोई गंभीर मसला नहीं मानते। इसका अंदाजा उनके द्वारा दिए गए जवाबों से स्पष्ट होता है। यहां चल रहे कार्यों पर अब आगे भी नजर रहेगी। नए अपडेट के साथ फिर मिलते है, पिक्चर अभी बाकी है.. शैलेश श्रीवास्तव के साथ अटल राजेन्द्र जैन की रिपोर्ट
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