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बीच में इस्तीफा देने वाले.. विधायक व सांसद के उपचुनाव लड़ने पर रोक लगाने चुनाव आयोग से मांग.. कांग्रेस नेत्री और महिला कांग्रेस की प्रदेश सचिव.. जया ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की..

जया ठाकुर द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर
देहली। पांच साल के लिए निर्वाचित जन प्रतिनिधियों द्वारा बीच में स्तीफा देने की बजह से होने वाले उपचुनाव में ऐसे पूर्व विधायक व सांसदों के उपचुनाव लड़ने पर रोक लगाए जाने की मांग कांग्रेस नेत्री और महिला कांग्रेस की प्रदेश सचिव जया ठाकुर द्वारा चुनाव आयोग एवं माननीय सर्वोच्च न्यायलय से की गई है। इस हेतु उनके द्वारा एक जनहित याचिका भी सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई है। 

दमोह निवासी और कांग्रेस नेत्री महिला कांग्रेस की प्रदेश सचिव जया ठाकुर ने बताया कि  संविधान के दसवें शेड्यूल के माध्यम से स्व. राजीव गांधी द्वारा दलबदल कानून लाकर ऐसे लोगों पर लगाम कसने की एक ईमानदार कोशिश की गई थी, परंतु तब पार्लियामेंट कमेटी की अनुशंसा को आधा ही स्वीकार किया गया व ऐसे लोग के चुनाव ना लड़ने की अनुशंसा को लागू नहीं किया गया था, किंतु अब वो समय आ गया है कि ऐसे लोग जो दलबदल कानून को धत्ता बता रहे हैं व उसकी खामी का फायदा उठा रहे हैं जिसका सबसे ज्यादा भाजपा ने बड़-चड़, धन-बल के कारण लोकतंत्र के माध्यम से चुनी हुई सरकारों को आस्थिर करने के लिए किया है। चाहे उत्तराखंड की 2016 की घटना हो या पिछले साल कर्नाटक की घटना हो या फिर हाल ही में मध्यप्रदेश या गुजरात की घटना हो जिसमें विधायकों को लालच प्रलोभन देकर उनसे इस्तीफा करवाया गया और उनको धन बल व ऐसी वादे करके लालच दिया जाता है कि आप उपचुनाव में आइए और जीतने पर उन्हें तरह-तरह के पदों से सुशोभित किया जाएगा, जैसा कि कर्नाटका में हुआ था इस्तीफा देकर उपचुनाव में जीते हुए सभी विधायकों को मंत्री पद दिया गया है, इस तरह के कृत्य लोकतंत्र में चुनी हुए सरकारों को आस्थिर करने के लिए किया जा रहा है। 

यह लोकतंत्र के लिए खतरनाक है और जनभावनावों को धन बल के माध्यम से परास्त किया जा रहा है इसको रोकने के लिए हम सभी को ऐसे लोगों को चिन्हित करना पड़ेगा और उन्हें लोकतंत्र के माध्यम से ही शिकस्त देनी पड़ेगी और ऐसे लोग चुनाव न लड़ पायें, इसके लिए कानून बनाया जाये, ताकि जनता की इच्छा का सम्मान हो और उन्हीं के पैसों से दोबारा चुनाव लड़ने वाले यह लालची लोग सफल न हो पाए, क्योंकि यह लोकतंत्र का अपमान है। साथी ही जनता के पैसों का दुरुपयोग है जो चुनाव आयोग के माध्यम से खर्च हो रहा है व दल बदल कानून का पिछले दरवाजे से माखौल उड़ाना है।  
इस हेतु जया ठाकुर द्वारा माननीय सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दी जिसका डायरी नंबर10689/2020 है जो दिनांक 20 मार्च को दाखिल की है इस प्रार्थना के साथ की बीच में ही इस्तीफा देने वाले विधायकों को उपचुनाव लड़ने से रोका जाए। साथ ही मैं जनता से यह भी अपील करना चाहती हूं कि अगर ऐसे लालची लोग चुनाव लड़ते हैं तो उनको अपने वोट के माध्यम से ऐसा सबक सिखाएं कि भविष्य में ऐसे लोग जनता को धोखा देने से पहले सौ बार सोचें। खासतौर पर से सुरखी विधानसभा के लोगों से जिनका अपमान सबसे ज्यादा हुआ है। 

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1 Comments

  1. Right apil,जिस विधान सभा/लोकसभा की मतदाता गण बडे ही विश्वास के साथ उस राजनेतिक पार्टी,दल और निर्दलीय प्रत्याशी को अपना मत देकर विधान सभा या लोकसभा जिताकर भेजती है। और सरकार पर अपने जनता के हितो को लेकर विश्वास करती है,उस विश्वास को ये विधाय या सांसद दल बदल कर निजी स्वार्थो मे पैसो के लिए बिक जाते है। उस समय "जनता का दिल भरा विश्वास तोड देते है जो एक छलावा से कम नही है। जिस पर जनता विश्वास कर अपनी रक्षा,अपने अधिकारो की रक्षा ,समाज के विकास को देखकर प्रतिनिधी चुनकर जिताती है। उस विधायक/सांसद दल वदल कर विपक्ष मे मिल जाता है तो इस जनता पर और भी जुल्म अत्याचार या अपराधियो के सामने जीवन की भीक मांगनी पडती है और जनता फिर गुलामी की जंजीरो जकड जाती है।लेकिन देश मे कम आबादी के सवर्णो की पार्टिया है सो बही बहुसंख्क लोगो वोट ७० छलकपट कर जीत जाते है और दल बदल करते रहते है।,,,,मान लीजिए कि कोई विधायक या सांसद को उसकी ही पार्टी अनदेखी करती है तो वह ५ वर्ष निर्दलीय बना रहे। तब भी उचित है।
    अब यदि पार्टी के नेता दल बदल कर अपनी जनता से गद्दारी करते है तो पद स्वत:समाप्त हो जाए या ५ वर्ष तक चुनाव न लडने मिले साथ है जनता कि तरफ या संवैधानिक एफ आई आर दर्ज होनी चाहिए। जो ५ वर्ष की सजा होनी चाहिए।

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