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सिद्धचक्र 16 मंडल विधान के समापन पर श्रीजी की भव्य शोभायात्रा निकली.. मुनिश्री विमलसागर के हुए प्रवचन, शांति नाथ भगवान के जन्म, तप, मोक्ष कल्याणक पर 170 शांति धाराए आज..

हवन पूजन के साथ श्री सिद्धचक्र 16 मंडल विधान संपन्न
दमोह। सकल दिगंबर जैन समाज द्वारा आचार्य विद्या सागर गौशाला के निमित्त से आचार्य श्री के आशीर्वाद और मुनि श्री विमल सागर महाराज के ससंघ सानिध्य में श्री सिद्धचक्र 16 मंडल विधान आज हवन पूजन के साथ संपन्न हुआ। रविवार को भगवान शांति नाथ के जन्म तप और मोक्ष कल्याणक के मौके पर 170 शांति धारा का आयोजन होगा।
श्री सिद्ध चक्र महामंडल विधान के नौ दिनी आयोजन के अंतिम दिन शनिवार को विधान स्थल उमा मिस्त्री की तलैया में ब्रह्मचारी संजीव भैया कटंगी व सहयोगी भैया जनो के सानिध्य में सुबह श्रीजी का अभिषेक पूजन शांति धारा उपरांत हवन संपन्न हुआ। तत्पश्चात श्री जी की नगर शोभा यात्रा प्रारंभ हुई। जिसमें सबसे आगे धर्म ध्वजा और दिव्य घोष के साथ महिला वर्ग अहिंसा परमो धर्म और गौ रक्षा का शंखनाद करते चल रही थी।  
मुनि श्री विमल सागर महाराज, मुनिश्री अनंत सागर महाराज, मुनि श्री धर्म सागर महाराज, मुनि श्री अचल सागर महाराज और मुनि श्री भाव सागर महाराज के सानिध्य तथा ब्रह्मचारी संजीव भैया के निर्देशन में शोभायात्रा में 85 जिन प्रतिमाओं को श्रावक जन अपने मस्तक तथा पालकी में सुशोभित किए चल रहे थे। चांदी के भव्य विमान मैं भी श्रीजी को विराजीत किया गया था
उमामिस्त्री की तलैया से प्रारंभ हुई शोभायात्रा धगट चौराहा, जैन धर्मशाला, चौधरी मन्दिर, बड़ा मन्दिर, सिटी नल, पुराना थाना, टाकीज तिराहा, सराफा, घण्टाघर, राय चौराहा, नसिया जी मन्दिर, पलन्दी चौराहा से घण्टाघर, नया बाजार, पलन्दी मन्दिर होकर कार्यक्रम स्थल उमा मिस्त्री की तलैया वापिस पहुची। 
जहां कार्यक्रम की सफलता के लिए विधान समिति के संयोजक ज्ञानेंद्र इटोरिया एवं आलोक पलन्दी ने आभार जताया। गौशाला के संयोजक मनीष मलैया ने अभी तक कराए गए कार्य और आगामी योजना की जानकारी दी। शाकाहार उपासना परिसंघ के अध्यक्ष श्रेयांश सराफ, अंकुश जैन ने रविवार को सुबह 7 बजे से होने वाली 170 शांतिधारा की जानकारी दी। 
इस मौके पर त्यागी वृति भोजनालय के संचालन हेतु अनेक श्रावक जनों ने दान राशि की घोषणा भी की। 3 जून को जैन धर्मशाला के आचार्य श्री शांति सागर जी महाराज के समाधि दिवस पर होने वाले कार्यक्रम तथा 4 जून को आचार्य श्री को 108 वाहनों से श्रीफल भेंट करने जबलपुर जाने संबंधी जानकारी प्रदान की गई। तत्पश्चात मुनि संघ के मंगल प्रवचन हुए।
धर्म कार्य के लिए अनुकूलता का इंतजार नही करना चाहिए-मुनि श्री
धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनिश्री विमलसागर जी महाराज ने भव्य आयोजन की सफलता के लिए सभी को साधुवाद देते हुए कहा कि गुरुदेव को ऐसा नमन करो यही से कि आचार्य श्री कुंडलपुर आ जाए। "सीना तो तानों पसीना तो बहाओ" लेकिन सही मार्ग में इंद्र ने भी आज शोभायात्रा में प्रभु को छाया प्रदान की। कभी धर्म कार्य करने के लिए ऐसा नहीं सोचना की अनुकूलता मिलेगी तब धर्म करेंगे। महावीर जयंती पर भी मौसम अनुकूल हो गया था। और गुरुदेव के आशीर्वाद से सब अच्छा हो गया। जब भी धर्म प्रभावना की बात आए घर में नहीं बैठना चाहिए। तीन लोक के नाथ की प्रभावना के लिए अपना सब-कुछ व्यापार आदि बंद करके शामिल होना चाहिए। हमारी भावना है इन ब्रह्मचारियो की दीक्षा अति शीघ्र हो जाए। 
मुनि श्री ने कहा कि हम छः मित्रो ने एक साथ दीक्षा ली थी। हमारी भावना है कि ये रत्नत्रय के तेज से चमके। आचार्य श्री कहते हैं मेरे शिष्य मेरे से पहले सिद्धालय में विराजमान हो। मुनि श्री भाव सागर जी की भावना है कि शांतिनाथ भगवान के त्रय कल्याणक पर सभी बच्चे, युवा, वृद्ध पुरुष अभिषेक शांतिधारा जरूर करें। ब्रह्मचारी संजीव भैया कटंगी ने बताया कि भगवान के कल्याणक के अवसर पर अभिषेक , शांतिधारा पुण्यवृद्धि का कारण है। इस अवसर पर ब्रह्मचारी अरुण भैया, शैलू भैया, अंकित भैया, पंडित अभिषेक आशीष सगरा आदि भी मौजूद रहे। आयुष जैन की रिपोर्ट

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