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चुनाव के पहले शिकायतों का तंज.. मंत्री मलैया पर आरोपों के विरोध में भाजपा ने की संतोष भारती पर रासुका की मांग..

विसा चुनाव के पूर्व जुबानी व शिकायती जंग तेज-
मप्र में विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद चुनाव प्रक्रिया तथा विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों के नामों की सूची जारी होने में अभी समय है। इधर टिकट दावेदारी के दौर में भाजपा व कांग्रेस से तय प्रत्याशियों के खिलाफ जुबानी जंग व शिकायतों का तंज तेज होने लगा है। जिससे चुनाव तैयारियों में लगे प्रशासन तंत्र को भी ऐसी अनेक शिकायतों के द्वंद से जूझना पड़ रहा है। हम चर्चा कर रहे हैं प्रदेश के वित्त मंत्री के निर्वाचन क्षेत्र दमोह विधानसभा में जारी चुनावी शिकायतों के दौर की।

 दमोह विधानसभा क्षेत्र से भाजपा की तरफ से श्री जयंत मलैया का नाम तय रहने से श्री मलैया, उनके पुत्र, परिजन, समर्थक व पार्टीजन गांव गांव में सतत संपर्क में जुटे हुए हैं। जबकि कांग्रेस के प्रत्याशी का नाम दूर की कोड़ी होने व दावेदारो के दिल्ली भोपाल में डेरा डाले हुए हैं।
इधर श्री मलैया का मुखर विरोध करते रहने और उनके सजातीय बंधु होने की वजह से समाजवादी विचारक संतोष भारती को भी कांग्रेस की टिकट की आस बंधी हुई है। श्री भारती अन्य दावेदारों की तरह दिल्ली भोपाल एक करने के बजाए दमोह में रहकर ही श्री मलैया व उनके परिवार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। तथा लगातार शिकायतें कर रहे है।
इसके जवाब में आज भाजपा के जिला अध्यक्ष व महामंत्री के साथ श्री मलैया के चुनाव मेंनेजर व कुछ रणनीति कारों ने कलेक्ट्रेट एसपी ऑफिस पहुंचकर कलेक्टर व एसपी को संतोष भारती के खिलाफ आरोप पत्र सौंपा। रासुका के तहत प्रतिबंधात्मक कार्यवाही किए जाने की मांग की। 
श्री भारती के खिलाफ शहर की फिजा बिगाड़ने और मंत्री श्री मलैया और उनके परिजनों के खिलाफ अनर्गल आरोप प्रचारित करने की बात कही गई हैं। उक्त शिकायत के बाद अब कार्यवाही की गेंद प्रशासनिक अधिकारियों के पाले में है।

28 साल से विधायक 15 साल से मंत्री हैं श्री मलैया-
दमोह विधानसभा  से लगातार 28 वर्षों से जनता का प्रतिनिधित्व करने वाले जयंत मलैया पिछले 15 सालों से भाजपा शासित प्रदेश सरकार में विभिन्न विभागों के कैबिनेट मंत्री है। मंत्री रहते हुए अपने विरोधियों और आलोचकों की भी मुश्किल वक्त में मदद करके अक्सर अपनी ही पार्टी के कुछ नेताओं के निशाने पर आ जाने वाले मंत्री श्री मलैया के कुछ मुखर विरोधी ऐसे भी है जो समय-समय पर मलैया परिवार के क्रियाकलापों को लेकर सोशल मीडिया पर टिप्पणियां तथा शिकायती ज्ञापनों के जरिए चर्चाओं में बने रहते हैं।

ऐसे ही एक शख्स है पुराने समाजवादी और कांग्रेश के रास्ते आम आदमी पार्टी में जाकर वापस कांग्रेस की ओर रुख करने वाले संतोष भारती। मंत्रियों से लेकर बड़े अधिकारियों की शिकायते करके लंबी लड़ाई जारी रखने का राजनैतिक अनुभव रखने वाले पूर्व सैनिक तथा मीसाबंदी रहे संतोष भारती जनता लहर में 1977-78 में जनता पार्टी की टिकट से दमोह विधानसभा का चुनाव लड़े थे। उस समय निर्दलीय प्रत्याशी श्रीमती कृष्णा  आनंद के चुनाव मैदान में उतरने से श्री भारती को जनता लहर में भी कांग्रेश के प्रभु नारायण टंडन से चुनाव में मात खाना पड़ी थी।
इधर 1980 में भाजपा के गठन के बाद 1984 में हुए उपचुनाव में भाजपा ने संतोष भारती के बजाय समाजसेवी विजय कुमार मलैया के पुत्र युवा जयंत मलैया को पहली बार अपना प्रत्याशी बनाया और जीत भी दर्ज की। हालांकि 1985 में हुए विधान सभा चुनाव में श्री मलैया को महज 83 वोटों से कांग्रेस के युवा तुर्क मुकेश नायक ने मात दे दी थी। इसके बाद 1990 के विधानसभा चुनाव से आज तक श्री मलैया चुनावी रण में भाजपा के अजेय योद्धा बने हुए हैं।
आखिर क्यों मलैया के मुखर विरोधी बने भारती ?

कांग्रेस के विरोध में राजनैतिक पारी की शुरुआत करने वाले संतोष भारती और जयंत मलैया आज एक दूसरे के कट्टर राजनीतिक विरोधी हैं। श्री मलैया भाजपा में रह कर कांग्रेसी मित्रों का जहां बराबरी से ध्यान रखने के कारण चर्चाओं में रहते हैं वही संतोष भारती कांग्रेसियों के साथ में खड़े होकर श्री मलैया के खिलाफ बयान बाजी और शिकायतें करने का कोई भी मौका पिछले 20 सालों से नहीं छोड़ रहे हैं।
 माना जाता है कि श्री भारती के राजनीतिक कैरियर पर 80 के दशक के बाद विराम लगने की एक वजह श्री मलैया का भाजपा की राजनीति में पदार्पण होना रहा है। वहीं दिग्विजय सरकार में मंत्री रहे पवई विधायक मुकेश नायक तथा नोहटा विधायक रत्नेश सालोमन के खिलाफ विभिन्न मामलों को लेकर श्री भारती के शिकायती संघर्ष के दौर में उनको 1999 में पुलिस के कोप का शिकार भी होना पड़ा।
इस दौरान विपक्ष भाजपा के विधायक जयंत मलैया का राजनीतिक सपोर्ट नहीं मिलना भी भारती व मलैया के बीच में राजनीतिक खाई को और चौड़ा करता चला गया। श्री मलैया की धर्मपत्नी सुधा मलैया की तेजतर्रार बयान बाजी भी श्री भारती को कांटे की तरह खटकती रही। 2003 में प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बाद ही अपनी आदत के मुताबिक श्री भारती सरकार के मंत्रियों और काम काज के खिलाफ मुखर होना शुरू हो गए। जो 15 साल से लगातार जारी है।

विपक्षियों पर खास मेहरबान रहे है मंत्री श्री मलैया-

इधर श्री मलैया ने 15 सालों के सत्ता काल में अपने राजनीतिक विरोधियों को वक्त बेवक्त उपकृत करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ा लेकिन श्री भारती इसके अपवाद कहे जा सकते हैं। इस विधान सभा चुनाव की घोषणा के साथ श्री भारती ने अपने चंद समर्थकों के साथ जिस तरह से मंत्री श्री मलैया व उनके पुत्रों के खिलाफ चुनाव आचार संहिता के आरोपों की शिकायतें की

 सोशल मीडिया पर खुलकर टिप्पणियां की तथा मीडिया में खुलकर बयान बाजी करते हुए मलैया पर गंभीर आरोप लगाते हुए मानहानि करने का चैलेंज दिया। इसके बाद आज भाजपा नेताओं द्वारा श्री भारती की शिकायत करते हुए उनके खिलाफ रासुका की कार्यवाही किए जाने की मांग करना क्रिया की प्रतिक्रिया ही कहा जा सकता है। अटल राजेंद्र जैन की रिपोर्ट

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