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सितंबर के 18 वे दिन कोविड 19 केस तेरह सौ पार.. सागर तथा दमोह में तीन मरीजो की मौत.. नए 57 संक्रमितों में 27 पुराने मरीजो से संबद्ध.. अस्पताल के पास मेडिकल स्टोर, डिसपेंसरी, पैथलाजी लैव के बाहर उड़ रही सोशल डिस्टेंस की धज्जीयां ..

57 नए संक्रमित, 32 ठीक हुए, तीन की मौत..

दमोह। सितंबर के 18 दिन भी कोरोना का कहर जारी रहा। आज 57 नए मरीज मिलने से टोटल कोविड-19 केसों की संख्या 1314 तक पहुच गई है। वही 32 मरीजो ने कोरोना की जंग जीतकर घर वापसी की है। जिससे ठीक होने वाले मरीजों की संख्या बढ़कर 782 हो गई है। इधर कोरोना संक्रमण के चलते सागर तथा दमोह में इलाजरत तीन मरीजो की मृत्यु हो जाने की दुखद जानकारी भी सामने आई है। जबकि 353  मरीजों की सेंपल रिपोर्ट आना अभी बाकी है।

दमोह के कॉलोनी क्षेत्र निवासी वन विभाग के रिटायर कर्मचारी की इलाज के दौरान सागर में मौत हो जाने के बाद वहीं पर प्रशासनिक दिशा निर्देशों के अनुरूप अंतिम संस्कार कराया गया। इधर दमोह के जिला अस्पताल में वार्ड बॉय रहे कर्मचारी की मौत के बाद दोपहर में हटा नाका मुक्तिधाम में प्रशासनिक दिशा निर्देशन में अंतिम संस्कार संपन्न हुआ। जबकि शाम को नेमी नगर निवासी जिला कोर्ट एक बाबू की मृत्यु हो जाने की दुखद सूचना सामने आई है। 19 सितंबर को इनके अंतिम संस्कार की क्रिया संपन्न होगी। जिले में कोविड-19 केस लगातार सामने आने के साथ अब पुराने मरीजों से संबद्ध लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आने में जमकर वृद्धि हो रही है। जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है मरीजों की संक्रमण रिपोर्ट आने के पहले परिजनों द्वारा लापरवाही बढ़ती जा रही है।

 अस्पताल से फैलते संक्रमण से प्रशासन अनजान..जिला अस्पताल में कोविड-19 जांच कराने वाले मरीजों की पर्ची पहले सर्जिकल वार्ड के समीप लाइन लगाकर बनाई जाती थी जिससे अन्य मरीज भी संभावित संक्रमितो के संपर्क में आते रहे हैं वही पिछले दिनों इस मामले में कलेक्टर का ध्यान आकर्षित कराए जाने के बाद कोविड-19 जांच केंद्र के समीप ही पर्ची बनाई जाने लगी है। लेकिन जांच के लिए पहुंचने वाले मरीजों के परिजनों के वहीं पर एकत्रित रहने से संभावित संक्रमण की आशंका बनी रहती है। पिछले कुछ दिनों से जिस तरह से पुराने मरीजों के कांट्रैक्ट वाले लोग संक्रमित मिल रहे हैं उसकी एक वजह यह भी है। 

जिला अस्पताल के सामने मेडिकलों पर भीड़.. जिला अस्पताल में संभावित मरीजों के लिए दी जाने वाली दवाओं में से कुछ नही दी जा रही है। जिससे अस्पताल से दवाओं का पर्चा लेकर संभावित मरीज या परिजन बाहर निकल कर आनंद या कृष्णा मेडिकल पहुंचते हैं और वहां भीड़ के बीच में खड़े होकर अन्य लोगों के संपर्क में आते रहते है। जांच आने के बाद जहां मरीज को संक्रमण का पता लगता है वहीं इनके संपर्क में आए लोगों को कुछ दिनों बाद खुद की तबियत बिगड़ने पर जांच कराने के बाद संक्रमित होने का पता लगता हैं।

डिसपेंसरी और पैथलाजी लैव के बाहर सोशल डिस्टेंस की अनदेखी..कोरोना संक्रमण काल में अन्य बीमारियों के मरीजों को जहां अस्पताल में ठीक से जांच उपचार नहीं मिल रहा है वहीं अस्पताल में सक्रिय कुछ दलाल मरीजो के परिजनों को मानस भवन परिसर में संचालित कुछ डॉक्टरों की डिस्पेंसरी तथा पैथोलॉजी लैब में जांच कराने के लिए भेज देते हैं। जबकि यहां पर मरीजों के ना बैठने के कोई इंतजाम है ना सोशल डिस्टेंस का ध्यान रखा जाता है और ना ही ठीक से जांच उपचार की कोई व्यवस्था है लेकिन मजबूरी में घंटों का इंतजार करने वाले मरीज मोटी फीस देकर विभिन्न जांच कराने के साथ यही के मेडिकल से दबाव लेने को मजबूर नजर आते हैं। खास बात है कि यहां के अधिकांश डिस्पेंसरी और पैथोलॉजी जिला अस्पताल के डाक्टरों से संबंधित द्वारा ही संचालित की जा रही है तथा यहां कोरोना संक्रमित मरीजों के परिजनों की आवाज ज्यादा की स्थिति भी देखी जा सकती है।

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