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बांसा तारखेडा में मुनि सुब्रत नाथ तीर्थ का शिलान्यास.. आचार्यश्री उदारसागर जी महाराज के प्रवचन से प्रभावित होकर.. मालिन ने भी मंदिर के लिए किया शिलादान.. तीन दिवसीय तीर्थ व जिनालय शिलान्यास कार्यक्रम का समापन..

 बांसा तारखेडा में मुनि सुब्रत नाथ तीर्थ का शिलान्यास..

दमोह। जैन तीर्थ और मंदिरों के निर्माण में अमूनन समाज के लोगों की सहभागिता और दान की खबरें तो आती हैं, लेकिन बांसा तारखेड़ा में निर्मित होने जा रहे तीर्थंकर मुनिसुव्रतनाथ तीर्थ के शिलान्यास कार्यक्रम में कुछ अलग की परिदृश्य देखने मिला। यहां समाज के दानदाताओं के बीच मंदिर की मालिन (मंदिर की देखरेख करने वाली महिला) ने भी एक शिला जिनालय के लिए दान करने के लिए भाव व्यक्त किए और 11 हजार रुपए में इसके लिए बोली भी ली। यह देख समाज के लोगों और समिति ने महिला और उसके भावों का सम्मान किया। वहीं आचार्य उदारसागर ने आशीर्वाद दिया। 

दरअसल, बांसा तारखेड़ा में आयोजित तीन दिवसीय तीर्थ व जिनालय शिलान्यास कार्यक्रम का समापन गुरुवार को किया गया। आचार्य उदारसागर, मुनि उपशांत सागर जी  और सुभद्र सागर जी के सानिध्य व ब्र. संजीव भैया, अरुण भैया के निर्देशन में आयोजित कार्यक्रम में सुबह से श्रीजी का अभिषेक, शांतिधारा का सौभाग्य श्रावकों को प्राप्त हुआ। इसके बाद संगीतमय चैसठ रिद्धि विधान, यागमंडल विधान का आयोजन किया गया। जिसमें इंद्र-इंद्राणियों ने भक्ति भाव से अघ्र्य अर्पित किए। इस मौके पर तीर्थ को भूमि देने वाले परिवार सेठ शीलचंद्र जैन, सुरेशचंद्र जैन बांसा तारखेड़ा को आचार्यश्री ने आशीर्वाद दिया। 

कार्यक्रम के दूसरे चरण में मंदिर निर्माण के लिए शिलादान के लिए भक्तों ने अपने-अपने भाव भक्त किए। प्रथम शिला सेठ देवेंद्र कुमार, श्रीपाल जैन बांसा, दूसरी शिला शीलचंद्र जैन नोहटा परिवार व तृतीय शिला सेठ कंछेदी लाल जयकुमार जैन, ब्र.नरेंद्र बबलू भैया सहजपुर परिवार ने रखने का सौभाग्य प्राप्त किया। मूलनायक तीर्थंकर प्रतिमा ब्र. सुनीता दीदी, पदमचंद जैन परिवार को प्राप्त हुआ। इस दौरान कार्यक्रम में मौजूद सैकड़ों लोगों ने भी अपने-अपने भाव के अनुसार दान दिया। इसी दौरान कार्यक्रम में उपस्थित जैन मंदिर की मालिन उमा सैनी ने भी मंदिर की एक छोटी शिला रखने की इच्छा आचार्यश्री के समक्ष व्यक्त की। रुपए 11 हजार का दान देकर उसने यह शिला रखने का सौभाग्य प्राप्त किया। कार्यक्रम में यह अवसर भावुक कर देने वाला रहा। मालिन उमा सैनी व उसके परिवार ने आचार्यश्री को श्रीफल अर्पित कर आशीर्वाद लिया। जिसके भावों की सभी ने सराहना भी की। 

आचार्यश्री के प्रवचन से प्रभावित हुई मालिन..

मंदिर में रहकर देखरेख, सफाई का काम कर बसर करने वाली मालिन उमा सैनी के पुत्र मुकेश सैनी ने बताया कि मां  मंदिर से जुड़े होने के कारण समाज के हर कार्यक्रम में शामिल रहती है। तीन दिनों से आचार्यश्री उदारसागर के प्रवचन वह सुन रही हैं। गुरुजी के उपदेशों से प्रभावित होकर ही मां ने मंदिर में अपनी पंूजी दान करने की इच्छा व्यक्त की थी और गुरुवार को अपना भाव भी व्यक्त किया है। जिसने सभी को प्रभावित किया है। अब मालिन की शिला पर भी मुनिसुव्रतनाथ तीर्थ का एक जिनालय खड़ा होगा। जो इतिहास में याद किया जाएगा। कार्यक्रम के समापन में तीर्थ में निर्मित होने वाले जिनालय का शिलान्यास ब्र. अरुण भैया के निर्देश में संपन्न कराया गया। सकल जैन समाज बांसा तारखेड़ा व मुनिसुव्रतनाथ तीर्थ ट्रस्ट ने प्रदेश भर से आए भक्तों का आभार व्यक्त किया है। 

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