आपातकाल के 50 वर्ष पर जिला भाजपा कार्यालय में संगोष्ठी आयोजित.. दमोह भारतीय जनता पार्टी द्वारा आपातकाल के 50 वर्ष पूर्ण होने पर संविधान
हत्या दिवस काला दिवस पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें पूर्व मंत्री
विधायक पन्ना बृजेंद्र प्रताप सिंह मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे साथ
ही पूर्व मंत्री विधायक जयंत कुमार मलैया, जिला अध्यक्ष श्याम शिवहरे,
महामंत्री सतीश तिवारी, लोकतंत्र सेनानी संघ जिला अध्यक्ष निर्गुण खरे,
वरिष्ठ सेनानी हुकम चंद जैन, पूर्व जिला अध्यक्ष विद्यासागर पांडे संगोष्ठी
संयोजक अमित बजाज मंचासीन रहे। संगोष्ठी में लोकतंत्र सेनानी संघ एवं सभी
लोकतंत्र सेनानियों का पुष्प हार पहनाकर एवं स्मृति चिन्ह प्रदान कर
सम्मानित किया गया
पूर्व मंत्री बृजेन्द्र प्रताप
सिंह ने संबोधन में कहा कि आज हम एक ऐसे काले दिन को स्मरण कर रहे हैं, जो
भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में काले अध्याय के रूप में दर्ज है। आज से 50
वर्ष पहले 25 जून 1975 को, कांग्रेस की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती
इंदिरा गांधी ने देश पर आपातकाल थोपा था। यह केवल एक राजनीतिक निर्णय नहीं
था, यह भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था पर सबसे बड़ा हमला था। यह सत्ता बचाने
की लालसा में संविधान को रौंदने का कुत्सित प्रयास था। आपातकाल लगाने का
उद्देश्य नेहरू-गांधी परिवार का सत्ता पर वर्चस्व बनाए रखना था। इसके लिए
संविधान को ताक पर रख दिया गया, प्रेस की स्वतंत्रता छीन ली गई,
न्यायपालिका को बाध्य किया गया और लाखों लोगों को बिना कारण जेलों में डाल
दिया गया। आपातकाल लगाकर नागरिक अधिकारों को कुचल दिया गया। विचार रखने की
स्वतंत्रता, लिखने की स्वतंत्रता, बोलने की स्वतंत्रता, सब पर ताले जड़ दिए
गए। लोकतंत्र की 'आत्मा को कुचलकर तानाशाही थोपी गई और मौलिक अधिकारों का
अपहरण किया। 12 जून 1975 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक निर्णय में
श्रीमती इंदिरा गांधी के चुनाव को अमान्य ठहराया और उन्हें छह वर्षों तक
चुनाव लड़ने से रोक दिया। लेकिन इस निर्णय को स्वीकार करने की बजाय, सत्ता
बचाने के लिए आपातकाल थोप दिया गया।यह वह समय था जब संसद से लेकर सड़कों
तक, सत्य, स्वतंत्रता और लोकतंत्र के लिए संघर्ष शुरू हुआ। हजारों की
संख्या में सत्याग्रही, समाजसेवी, पत्रकार, श्रमिक, किसान, युवा और महिलाएं
सड़कों पर उतरे। अनेक लोग जेल गए, अत्याचार सहे लेकिन झुके नहीं। मैं उन
सभी वीरों को नमन करता हूँ, जिन्होंने लोकतंत्र की रक्षा के लिए लड़ाई
लड़ी। जिन्होंने यह साबित किया कि भारत की आत्मा को कभी कैद नहीं किया जा
सकता । कांग्रेस ने इंदिरा गांधी की कुर्सी बचाने के लिए देश को जेल बना
दिया। लोकतंत्र की हत्या सिर्फ इसलिए हुई क्योंकि एक कोर्ट के फैसले ने
इंदिरा गांधी की सत्ता को चुनौती दी थी। इंदिरा गांधी ने कैबिनेट को
विश्वास में नहीं लिया, आधी रात को राष्ट्रपति से चुपचाप आपातकाल लागू
करवाया। कांग्रेस की संस्कृति रही है- परिवार पहले, संविधान बाद में।
'इंडिया इज़ इंदिरा' नारा कांग्रेस की लोकतंत्र विरोधी सोच का प्रतीक था।
एक व्यक्ति, एक परिवार को देश से बड़ा समझना ही कांग्रेस की वैचारिक विकृति
है। कांग्रेस के नेताओं ने संविधान की प्रतियां तो खूब लहराईं, लेकिन उसकी
आत्मा को रौंदने में सबसे आगे रहे। संगोष्ठी आयोजन
संयोजक अमित बजाज ने प्रस्तावना रखी। संचालन जिला महामंत्री रामेश्वर चौधरी
एवं आभार प्रकट संगोष्ठी सह प्रभारी महेश पटेल ने किया। संगोष्ठी आयोजन
टोली में संतोष रोहित, राजुल चौरहा सम्मिलित रहें। इस अवसर पर पूर्व मंत्री
बृजेंद्र प्रताप सिंह ने पत्रकार वार्ता को भी संबोधित किया। एक पेड़ मां के नाम तहत किया पौधारोपण.. प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी की प्रेरणा से एक पेड़ मां के नाम अभियान के अंतर्गत भारतीय
जनता पार्टी द्वारा जेपीबी कन्या विद्यालय में पौधारोपण का कार्यक्रम
आयोजित किया गया जिसमें पूर्व मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह, पूर्व मंत्री
जयंत मलैया, जिला अध्यक्ष श्याम शिवहरे, कार्यक्रम प्रभारी जिला उपाध्यक्ष
रमन खत्री सहित भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता एवं विद्यालय स्टाफ एवं
छात्राओं की उपस्थिति रही।
राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण 2024 दमोह जिले का शानदार प्रदर्शन.. दमोह।
कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर ने बताया राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण माह
अक्टूबर.नवंबर 2024 में किया गया था जिसमे कक्षा 3 कक्षा 6 और कक्षा 9 का
असेसमेंट हुआ है जो की भारत सरकार ने कराया है। उन्होनें बताया मुझे खुशी
है बताते हुए कि दमोह जिला तीनों कक्षाओं में टॉप.5 जिलों में शामिल हुआ है
और निश्चित रूप से पिछले वर्ष हमारे शिक्षा विभाग के अधिकारियों शिक्षकों
ने काफी मेहनत की थी। श्री कोचर ने कहा मुझे लगता है कि इसका पूरा श्रेय
उन्हीं को जाता है और यह बात सही है कि यह केवल शुरुआत हैए अभी हमें बहुत
लंबा रास्ता तय करना है और इसमें 1.2 वर्ष का समय लग सकता है लेकिन यदि इसी
प्रकार से चलता रहा तो एक ना एक दिन जरूर दमोह की पूरी शिक्षा व्यवस्था
में क्रांतिकारी बदलाव आएगा ऐसी मैं आशा करता हूँ।
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